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‘एक भी गोरा चेहरा नहीं...’ ब्रिटिश MP ने भारतीय और पाकिस्तानी बाहुल इलाकों को बताया झुग्गी, बुरा फंसे

Robert Jenrick ने मार्च में कंजर्वेटिव एसोसिएशन के एक डिनर के दौरान यह विवादास्पद टिप्पणी की थी. उनकी इस टिप्पणी से विवाद खड़ा हो गया है. रॉबर्ट की इस टिप्पणी की राजनीतिक नेताओं, स्थानीय लोगों और समुदाय के प्रतिनिधियों ने कड़ी निंदा की है.

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UK MP Criticises Areas Inhabited By Indians and Pakistanis As Slums
ब्रिटेन के कंजर्वेटिव पार्टी के वरिष्ठ सांसद हैं रॉबर्ट जेनरिक. (फोटो- इंडिया टुडे)
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रिदम कुमार
9 अक्तूबर 2025 (Published: 09:52 AM IST)
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सोहो रोड, हैंड्सवर्थ, बर्मिंघम. यह ब्रिटेन के एक इलाके का पता है. यहां रहने वाले ज्यादातर लोग भारतीय और पाकिस्तानी मूल के हैं. लेकिन इसी देश के लाखों लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक सांसद को यह इलाका पसंद नहीं है. वरिष्ठ सांसद Robert Jenrick ने इस जगह को “एक झुग्गी बस्ती” और “अब तक देखी गई सबसे खराब जगहों में से एक” बताया. सिर्फ इतना ही नहीं सांसद महोदय ने यहां तक कह दिया, “यहां ऐसा इलाका है, जहां मैंने एक भी गोरे व्यक्ति को नहीं देखा.” उनकी इस टिप्पणी ने साफ कर दिया है कि वह अपने ही देश की इस जगह और शायद यहां रहने वाले लोगों से बेहद ‘नफरत’ करते हैं. उनकी इस टिप्पणी से विवाद खड़ा हो गया है. रॉबर्ट की इस टिप्पणी की राजनीतिक नेताओं, स्थानीय लोगों और समुदाय के प्रतिनिधियों ने कड़ी निंदा की है.

रॉबर्ट जेनरिक ने क्या कहा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रॉबर्ट जेनरिक ने मार्च में कंजर्वेटिव एसोसिएशन के एक डिनर के दौरान यह विवादास्पद टिप्पणी की थी. लेकिन इस पर विवाद अब खड़ा हुआ है. उन्होंने कहा, 

“मैं बर्मिंघम के हैंड्सवर्थ गया. वहां का हाल बहुत ही खराब था. यह मेरे हिसाब से इस देश की एक झुग्गी जैसा इलाका है. वहां मैं 90 मिनट तक रहा. लेकिन एक भी श्वेत चेहरा नहीं दिखा. यह वो देश नहीं है जिसमें मैं रहना चाहता हूं.”

मंगलवार 7 अक्टूबर को द टेलीग्राफ के डेली टी पॉडकास्ट के दौरान अपनी टिप्पणी का बचाव किया. कहा कि कस्बों और शहरों के कुछ इलाके काफी हद तक अलग-थलग हैं. इस मुद्दे पर चर्चा को नस्लवादी कहे जाने के बेतुके डर की वजह से टाली नहीं जा सकती. 

सांसदों ने जेनरिक को लगाई फटकार

ब्रिटिश सांसद की इस टिप्पणी की सांसद अयूब खान और मेयर रिचर्ड पार्कर ने तीखी आलोचना की है. उन्होंने इसे विभाजनकारी और नस्लीय भेदभावपूर्ण बताया. अयूब खान ने कहा कि इन टिप्पणियों में नस्लवाद की झलक है. 

वेस्ट मिडलैंड्स के मेयर रिचर्ड पार्कर ने भी टिप्पणी की निंदा करते हुए कहा कि जेनरिक समुदायों को बांटने की राजनीति कर रहे हैं. हैंड्सवर्थ वह इलाका है जहां अलग-अलग पृष्ठभूमि के लोग एक साथ रहते हैं. यही नहीं बिशप डेसमंड जद्दू जैसे कम्युनिटी लीडर्स ने जेनरिक से माफी की मांग की. उन्होंने उनके बयान को विभाजनकारी करार दिया.

स्थानीय लोगों ने की कड़ी निंदा

हैंड्सवर्थ में पले-बढ़े ब्रिटिश भारतीय सलाहकार ऋषि लोथियी ने कहा कि जेनरिक शायद ‘नशे’ में रहे होंगे इसलिए उन्होंने ऐसा कहा. हमारी सोहो रोड तो ‘संस्कृतियों का संगम’ है. उनकी पत्नी केरी, जो गोरी ब्रिटिश महिला हैं, ने भी इलाके की तारीफ की. 

स्थानीय व्यापारियों ने भी जेनरिक की बात का तुरंत खंडन किया. इलाके के एक पब ‘द क्रॉस गन्स’ के मालिक रंजीत सिंह ने कहा कि उनके पब में हर रंग-रूप के लोग आते हैं, फिर चाहे वे गोरे हों, एशियाई हों या अफ्रीकी. यहां सब एक-दूसरे के साथ घुलमिल कर रहते हैं.

स्थानीय निवासी और रिटायर्ड टीचर लिज डेविस ने कहा कि वह 40 वर्षों से ज्यादा समय से एशियाई, अश्वेत और पूर्वी यूरोपीय पड़ोसियों के बीच शांति से रह रही हैं. उन्होंने सांसद की टिप्पणी को अज्ञानतापूर्ण और हास्यास्पद बताया.

क्या कहते हैं आबादी के आंकड़े

रिपोर्ट में बर्मिंघम सिटी काउंसिल के हवाले से लिखा गया कि हैंड्सवर्थ की कुल जनसंख्या में सिर्फ 8.7% लोग गोरे हैं. वहीं, ज्यादातर निवासी भारतीय (2,736) और पाकिस्तानी (2,962) मूल के हैं.

पहले भी हुए हैं ऐसे हमले

यह पहली बार नहीं है जब ब्रिटेन के किसी सांसद ने भारत या भारतीयों पर नस्लीय टिप्पणी की हो. बीते साल जून में रिफॉर्म पार्टी से जुड़े एक नेता ने भारतीय मूल के ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक पर नस्लीय टिप्पणी की थी.

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