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  • Supreme Court Quashes UP Police FIR: Fake Case of Forced Conversion Leads to Fine

धर्मांतरण के ‘आरोपी’ को 75 हजा़र हर्जाना देगी योगी सरकार

कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि यह झूठा केस बिना सबूत के, सिर्फ़ अपना बढ़-चढ़ कर काम दिखाने के लिए बनाया गया था.

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Yogi Government
झूठे आरोप के तहत उत्तर प्रदेश पुलिस ने याचिकाकर्ता को एक महीने तक जेल में बंद रखा
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कनुप्रिया
4 नवंबर 2025 (Published: 07:58 PM IST)
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इस देश के अलग-अलग राज्यों में धर्मांतरण विरोधी कानून बनाए गए हैं. उत्तर प्रदेश का ये कानून कहलाता है उत्तर प्रदेश प्रोहिबिशन ऑफ़ अनलॉफुल कन्वर्ज़न एक्ट. इसी के तहत जितने लोग गलत तरीके से या जबरदस्ती किसी का धर्मांतरण करवाते हैं, उन्हें सजा दी जाती है. 4 नवंबर 2025 को इसी कानून के तहत की गयी एक FIR को सुप्रीम कोर्ट ने फर्जी बताते हुए रद्द कर दिया है. 

बहराइच में रहने वाले एक इंसान को उत्तर पदेश पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. उसका जुर्म ये बताया गया कि वो लोगों का ज़बरदस्ती धर्मांतरण करवा रहा था जो कि एक्ट और साथ ही भारतीय न्याय संहिता की धारा 69 के तहत एक अपराध है. उसे ना सिर्फ गिरफ्तार किया गया बल्कि उसने एक महीने तक जेल में सज़ा भी काटी. 

मामला शुरू हुआ जब किसी ने पुलिस को बताया कि आरोपी की पत्नी घर छोड़ कर चली गयी हैं, क्योंकि वो अपने पति के धर्मांतरण कराने वाली बात से नाखुश थी. बात ये भी चली कि आरोपी एक गैंग चलाता था जो घूम-घूम कर लोगों का ज़बरदस्ती धर्म बदलवाते थे. पूछ-ताछ के वक़्त पत्नी ने पुलिस को ये बताया कि उसका पति उस पर हिंसा करता है और इसी से परेशान हो कर वो घर से चली गयी थी. पत्नी ने कहीं भी धर्मांतरण का ज़िक्र नहीं किया. लेकिन जो फॉर्मल FIR तैयार की गयी उसमें धर्मांतरण कराने वाले आरोप भी लगा दिए गए. 

सुप्रीम कोर्ट के सामने जब सारे तथ्य आये, तब ज़रा भी देर नहीं लगी ये समझें में कि धर्मांतरण का आरोप बिना किसी ठोस सबूत के लगा दिए गए हैं. पुलिस के पास ना दिखाने के लिए सबूत थे ना सफाई के लिए शब्द. इसी बात पर सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की धारा 226 के तहत बहराइच में फ़ाइल की गई FIR को रद्द कर दिया, जिससे कि पूरा का पूरा केस ही खत्म हो जाए. इतना ही नहीं, मामले की गंभीरता को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को ये आदेश दिया कि वो जल्द-से-जल्द याचिकाकर्ता को बतौर हर्जाना  75,000 रुपए दे. 

फैसले को पढ़ते वक़्त सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस को फटकार भी लगाई. कहा, 

‘ये एक क्लियर केस है कि राज्य में किस तरह से पुलिस झूठे मामलों का इस्तेमाल कर के खुद के लिए ब्राउनी पॉइंट्स खरीदना चाहते हैं.’

ब्राउनी पॉइंट्स माने, जब बिना कुछ भी किए आप अपना लम्बा-चौड़ा काम दिखा दें किसी को खुश करने के लिए ताकि आपका कोई काम बन जाए, कोई फायदा हो जाए. 

 

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