‘अगर अमेरिका करेगा, तो हम भी करेंगे’... ट्रंप के बयान से भड़के पुतिन का ऐलान
पुतिन का यह आदेश अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के हालिया बयानों के बाद आया है. सुरक्षा परिषद के साथ एक बैठक में बोलते हुए पुतिन ने अपने पहले के बयान की पुष्टि की कि रूस परमाणु परीक्षण फिर से तभी शुरू करेगा जब अमेरिका पहले ऐसा करेगा.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने टॉप अधिकारियों को परमाणु हथियारों के परीक्षण की तैयारी के लिए प्रस्ताव तैयार करने का आदेश दिया है. पुतिन का यह आदेश अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के हालिया बयानों के बाद आया है. ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका फिर से परमाणु परीक्षण शुरू करने वाला है. इसी के मद्देनजर अब रूस भी न्यूक्लियर हथियारों की टेस्टिंग की तैयारियां कर रहा है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुतिन ने बुधवार 5 नवंबर को एक TV से बातचीत में कहा,
“मैं विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और अन्य एजेंसियों को निर्देश दे रहा हूं कि वे इस मुद्दे पर जानकारी जुटाएं, उसका विश्लेषण करें और यह तय करने के लिए प्रस्ताव तैयार करें कि क्या रूस को परमाणु परीक्षणों की तैयारी शुरू करनी चाहिए.”
सुरक्षा परिषद के साथ एक बैठक में बोलते हुए पुतिन ने अपने पहले के बयान की पुष्टि की कि रूस परमाणु परीक्षण फिर से तभी शुरू करेगा जब अमेरिका पहले ऐसा करेगा.
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बुधवार को रूसी सरकारी समाचार एजेंसी TASS ने क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव के हवाले से लिखा कि पुतिन ने इन प्रस्तावों को तैयार करने के लिए कोई तय समय सीमा नहीं दी है. उन्होंने कहा कि यह फैसला तभी लिया जाएगा जब हमें अमेरिका के इरादों की पूरी जानकारी हो जाएगी.
किसके पास कितने परमाणु हथियारदुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार रूस के पास ही हैं. उनके पास कुल 5,500 से ज्यादा परमाणु हथियार हैं. वहीं, अमेरिका दूसरे नंबर पर है. उनके पास 5,044 परमाणु हथियार हैं. रूस ने आखिरी बार 24 अक्टूबर 1990 को सोवियत संघ के पतन से पहले परमाणु परीक्षण किया था.
रूस और अमेरिका के अलावा, जिन अन्य देशों के पास परमाणु हथियार होने की पुष्टि हुई है, वे हैंः
- चीन
- फ्रांस
- ब्रिटेन
- भारत
- पाकिस्तान
- उत्तर कोरिया.
इजरायल की स्थिति अभी भी साफ नहीं है.
ट्रंप ने क्या कहा थाडॉनल्ड ट्रंप ने गुरुवार 30 अक्टूबर को ऐलान किया था कि अमेरिका एक बार फिर न्यूक्लियर हथियारों की टेस्टिंग शुरू करने वाला है. ऐसा करीब 33 साल बाद होने जा रहा है क्योंकि साल 1992 में अमेरिका ने खुद से ही परमाणु हथियारों की टेस्टिंग पर रोक लगा दी थी.
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उन्होंने आरोप लगाया था कि रूस और चीन दोनों अपनी परमाणु शक्ति बढ़ा रहे हैं. जबकि अमेरिका स्थिर है. अमेरिका को भी पीछे नहीं रहना चाहिए. इसलिए रूस और चीन के बढ़ते एटॉमिक प्रोग्राम के साथ तालमेल बिठाने की जरूरत को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है.
बता दें कि पिछले महीने रूस ने “बुरेवेस्टनिक” नामक न्यूक्लियर क्रूज मिसाइल का परीक्षण किया था. यह मिसाइल परमाणु वारहेड ले जाने में सक्षम है. इसके अलावा रूस ने न्यूक्लियर लॉन्च ड्रिल्स की थीं और “पोसीडॉन” सुपर टॉरपीडो का भी परीक्षण किया था. रूस और अमेरिका के इस कदम ने दुनिया में फिर से परमाणु तनाव बढ़ा दिया है.
वीडियो: डॉनल्ड ट्रंप के परमाणु परीक्षण वाले बयान पर भड़के रूस और ईरान


