अगर राहुल गांधी स्विट्जरलैंड में अपना 'खटाखट-खटाखट' प्लान लाते, तो ये हाल होता
Switzerland को चॉकलेट्स और डेयरी प्रॉडक्ट्स के अलावा खुफिया बैंकिंग सिस्टम के लिए जाना जाता है. अब जनमत संग्रह के जरिए इसने अपने अमीर लोगों को भी 'कंफर्टेबल' कर दिया है.

स्विट्जरलैंड में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के 'खटाखट-खटाखट' प्लान से मिलती-जुलती एक स्कीम लाई गई. इसमें विरासत में मिले धन पर 50 फीसदी टैक्स लगाने का प्लान था. स्विट्जरलैंड में इस पर रायशुमारी हुई, जिसमें यह प्लान फ्लॉप हो गया. देशभर में हुए जनमत संग्रह में 78 फीसदी से ज्यादा स्विस मतदाताओं ने 50 मिलियन फ्रैंक से ज्यादा की विरासत पर 50 फीसदी टैक्स लगाने की योजना को रिजेक्ट कर दिया.
राहुल गांधी ने 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान खटाखट-खटाखट प्लान के तहत महिलाओं को 8,500 रुपये देने का वादा किया था. स्विट्जरलैंड में भी इसी तरह की योजना लाई गई. इसमें सबसे अमीर वर्ग से पैसे लेकर गरीबों में बांटने थे. लेकिन स्विस मतदाताओं ने इसे नकार दिया.
स्विट्जरलैंड को चॉकलेट्स और डेयरी प्रॉडक्ट्स के अलावा खुफिया बैंकिंग सिस्टम के लिए जाना जाता है. अब जनमत संग्रह के जरिए इसने अपने अमीर लोगों को भी 'कंफर्टेबल' कर दिया है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, स्विट्जरलैंड में विरासत से अमीरी पाने वालों पर टैक्स लगाने का प्लान यंग ग्रीन्स और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी लाई थीं. यह योजना अमीरों से पैसा लेकर गरीबों को देने पर बेस्ड थी.
इसका मकसद था कि देश के 'सुपर रिच' से हर साल 6 से 8 अरब फ्रैंक (करीब 66,800-89,000 करोड़ रुपये) जुटाए जाएं. इन पार्टियों का कहना था कि ये पैसा जलवायु परियोजनाओं और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में लगाया जाए. यह कदम दुनिया के सबसे पूंजीवादी व्यवस्थाओं में से एक स्विट्जरलैंड जैसे देश में उठाया गया, जहां अरबपतियों की बड़ी सख्या है. 30 नवंबर को यह जनमत संग्रह हुआ.
लगभग 78 फीसदी स्विस मतदाताओं ने 50 मिलियन स्विस फ्रैंक से ज्यादा मूल्य की विरासत और गिफ्ट्स पर 50 फीसदी फेडरल टैक्स लगाने के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया. इस प्लान के समर्थकों ने तर्क दिया कि यह टैक्स ठीक है. इसके लिए उन्होंने जिंदगी गुजारने की बढ़ती लागत का हवाला दिया. वहीं, विरोधियों ने इस योजना को निजी संपत्ति पर हमला बताया.
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