इजरायल के नाम पर पाकिस्तान में मचे बवाल की पूरी कहानी, तहरीक-ए-लब्बैक ने नाक में दम किया
Pakistan Protests: इस्लामाबाद और रावलपिंडी में सुरक्षा हालात के मद्देनजर इंटरनेट बैन किया गया है. इसके अलावा TLP प्रदर्शनकारियों को राजधानी में घुसने से रोकने के लिए रोड पर बड़े-बड़े कंटेनर खड़े किए गए हैं.

पाकिस्तान में सुरक्षा हालात बदतर होते जा रहे हैं. पाकिस्तान सरकार और कट्टरपंथी धार्मिक संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है. लाहौर में हिंसक प्रदर्शन में 11 लोगों की मौत होने की आशंका जताई जा रही है. पाकिस्तानी सुरक्षा बल TLP प्रदर्शनकारियों को राजधानी इस्लामाबाद में घुसने से रोकने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं.
लाहौर में शनिवार, 10 अक्टूबर को दिन भर पुलिस और TLP के बीच हिंसक झड़पें जारी रहीं. सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को राजधानी की तरफ बढ़ने से रोकने की कोशिश की, जहां वे फिलिस्तीन समर्थक रैली निकालने वाले थे.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब पुलिस को 'इजरायली गुंडे' बताते हुए, तहरीक-ए-लब्बैक ने दावा किया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी, जिसमें उसके 11 सदस्य मारे गए और 50 से ज्यादा घायल हो गए.
एक वायरल वीडियो में बैकग्राउंड में गोलियों की आवाज के बीच इस दक्षिणपंथी इस्लामी संगठन के एक नेता को यह कहते हुए सुना जा सकता है,
"सुबह से TLP के 11 लोग मारे जा चुके हैं. लगातार गोलाबारी और शैलिंग हो रही है."
पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, इस्लामाबाद और रावलपिंडी में मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया गया. सुरक्षा बलों ने शहर के बड़े रास्तों को कंटेनरों से घेर लिया.

TLP पाकिस्तान सरकार के उस रुख से खफा है, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के गाजा पीस प्लान पर पाकिस्तान ने हामी भरी है. TLP इस शांति समझौते पर पाकिस्तान के समर्थन से नाराज हैं. TLP ने कहा कि ये विरोध प्रदर्शन की असल जड़ इजरायल और हमास के बीच गाजा युद्धविराम समझौता है.
TLP इसका विरोध करने के लिए प्रदर्शन कर रही है, जिसका पाकिस्तान समर्थन करता है. इसका मकसद फिलिस्तीनियों के साथ एकजुटता दिखाना है. जब प्रदर्शनकारी इस्लामाबाद के लिए रवाना हुए तो TLP के सीनियर सदस्य अल्लामा मुहम्मद इरफान ने एएफपी को बताया,
"गाजा के लोगों के साथ एकजुटता दिखाने के अलावा हमारी कोई मांग नहीं है."
इरफान ने आगे कहा, "हमें नहीं पता कि हम इस्लामाबाद कब पहुंचेंगे, लेकिन सरकार हमारे साथ क्रूरता कर रही है. हम सरकार के साथ बिल्कुल भी बातचीत नहीं कर रहे हैं."
गुरुवार, 9 अक्टूबर को पाकिस्तान के दूर-दराज के इलाकों से लाखों लोग, TLP के सदस्य, गाजा में इजरायल के हमलों के विरोध में अमेरिकी दूतावास की तरफ मार्च करने के लिए जुटे थे. इस मार्च को पुलिस ने लाहौर में रोका, जिसके बाद TLP और पुलिस के बीच हिंसक झड़पें हुईं.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, TLP ने इस कार्रवाई के खिलाफ मार्च का ऐलान किया, जिसमें इस्लामाबाद के बाहर लाखों लोग अमेरिकी दूतावास की ओर बढ़ रहे थे. इसके चलते सरकार ने इस्लामाबाद को रेड जोन के सुरक्षा घेरे को किले में तब्दील कर दिया. कई होटलों को भी खाली करवा लिया गया.
इस बीच, पाकिस्तान में बढ़ती हिंसा को देखते हुए अमेरिका ने पाकिस्तान में मौजूद अपने नागरिकों को सलाह दी है कि वे बड़े जमावड़े से बचें और अपनी सुरक्षा के लिए सतर्क रहें. इस्लामाबाद में मौजूद अमेरिकी दूतावास ने सोशल मीडिया पर जारी एक बयान में कहा,
"इस्लामाबाद स्थित अमेरिकी एंबेसी और लाहौर, कराची और पेशावर स्थित अमेरिकी कॉन्सुलेट 10 अक्टूबर, 2025 को पूरे पाकिस्तान में होने वाले विरोध प्रदर्शनों की योजना पर नजर रख रहे हैं. इन विरोध प्रदर्शनों के आसपास की सड़कें बंद होने के कारण यातायात में देरी/रास्ते बदलने की संभावना है. विरोध प्रदर्शनों के समय का पता नहीं है. हम अमेरिकी नागरिकों को सलाह देते हैं कि वे बड़े जमावड़ों से बचें और अपने आसपास के माहौल को लेकर सचेत रहें."
लाहौर में हिंसा और कड़ी सुरक्षा
लाहौर में पुलिस और TLP समर्थकों के बीच झड़पों के दौरान दर्जनों लोग घायल हो गए, जिनमें पुलिसवाले भी शामिल थे. कई गाड़ियों और संपत्तियां भी तहस-नहस हो गईं. TLP समर्थक 'गाजा के लिए इंसाफ' की मांग कर रहे थे, लेकिन पुलिस और सरकार ने उन्हें हिंसा की बजाय शांति बनाए रखने की सलाह दी थी.
लाहौर में पुलिस ने TLP के विरोध प्रदर्शन को काबू करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया और प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने की कोशिश की. इसके बावजूद हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही.

पाकिस्तान सरकार ने TLP पर आरोप लगाया है कि वो गाजा संघर्ष का फायदा उठाकर देश में अशांति फैलाने की कोशिश कर रही है. उप गृह मंत्री तलाल चौधरी ने 9 अक्टूबर को एक बयान में कहा कि पुलिस ने गिरफ्तार प्रदर्शनकारियों से जो सामान बरामद किया है, वो हिंसा की तरफ इशारा करता है.
उन्होंने कहा कि गिरफ्तार किए गए प्रदर्शनकारियों के पास डंडे, केमिकल, कांच की गोलियां, आंसू गैस के गोले और यहां तक कि हथियार भी थे, जिससे यह साफ है कि उनका इरादा शांतिपूर्ण प्रदर्शन का नहीं था.
चौधरी ने आगे कहा,
"क्या TLP शांतिपूर्ण विरोध कर रही थी, या फिर वो हिंसा की प्लानिंग बना रही था?"
उन्होंने यह भी दावा किया कि TLP ने ना तो प्रदर्शन की इजाजत ली थी और ना ही किसी कानून का पालन करने का वादा किया था. इसके बजाय वो समाज को गुमराह करने और हिंसा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही थी.
तलाल चौधरी ने कहा कि TLP अपनी राजनीतिक स्थिति को बनाए रखने के लिए गाजा जैसे संवेदनशील मुद्दे का फायदा उठा रही है, जिससे पाकिस्तान में तनाव बढ़ सकता है.

दूसरी तरफ, पाकिस्तान के आतंकवाद निरोधी विभाग (CTD) ने शनिवार, 11 अक्टूबर को बताया कि खैबर पख्तूनख्वा के डेरा इस्माइल खान में एक पुलिस ट्रेनिंग सेंटर पर 10 अक्टूबर की रात हुए हमला हुआ. CTD ने इसमें कम से कम 7 पुलिसवालों के मारे जाने और 13 के घायल होने का दावा किया है.
TLP का इतिहास और राजनीतिक स्थिति
तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) एक कट्टरपंथी और दक्षिणपंथी धार्मिक संगठन है. 2015 में बरेलवी आलिम खदीम हुसैन रिजवी ने इसे बनाया था. हुसैन रिजवी पहली बार 2010 में तब चर्चा में आए, जब उन्होंने पंजाब के तत्कालीन गवर्नर सलमान तासीर की सख्त ईशनिंदा कानूनों में सुधार की मांग वाली टिप्पणी के विरोध में अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी थी. इसके बाद वो मुखर होकर 'इस्लाम' के लिए आवाज उठाने लगे.
TLP पाकिस्तान के इस्लामिक कानूनों, खासकर इस्लाम के खिलाफ कथित तौर पर होने वाली ईशनिंदा की घटनाओं पर लगातार आवाज उठाता रही है. TLP ने कई बार पाकिस्तान में और एंटी-इस्लाम विचारधारा के खिलाफ प्रदर्शन किए.
TLP पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका और इजरायल के खिलाफ और फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन करती रही है. 2020 में खादिम हुसैन रिजवी का इंतकाल हो गया. उनके निधन के बाद से उनके बेटे साद हुसैन रिजवी TLP की बागडोर संभाल रहे हैं.

TLP का असर 2018 के चुनाव में साफ देखा गया, जब इसने पाकिस्तान में पांचवें सबसे बड़े राजनीतिक दल के रूप में खुद को उभारा. इसने लगातार ईशनिंदा कानून के तहत इस्लाम का अपमान करने पर मौत की सजा की पैरवी की.
2020-2021 के दौरान, TLP ने फ्रांस के खिलाफ जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन किए थे. दरअसल, अक्टूबर 2020 में फ्रांस की राजधानी पेरिस में सैमुअल पैटी नामक एक टीचर ने कथित तौर पर पैगंबर मुहम्मद का कार्टून दिखाया था. कार्टून दिखाने से खफा एक लड़के ने पैटी की हत्या कर दी गई.
इसके बाद फ्रांस में पुलिस ने कट्टर इस्लामिक नेताओं और संगठनों पर शिकंजा कसा. संदिग्ध लोगों पर सख्त कार्रवाई की गई. राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की तत्कालीन सरकार ने कट्टर इस्लाम के खिलाफ कार्रवाई तेज की. इसके विरोध में पाकिस्तान में फ्रांस के खिलाफ खूब प्रदर्शन हुए. TLP ने फ्रांसीसी राजदूत को पाकिस्तान से बाहर करने की मांग की.
TLP और पाकिस्तान सरकार के बीच टकराव
TLP की विरोध-प्रदर्शन की ताकत ने 2021 में भी बवाल मचाया था जब उन्होंने अपनी मांगों को लेकर एक लंबा मार्च किया था. इसके बाद तत्कालीन इमरान खान की पाकिस्तान सरकार ने TLP को एक प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया. लेकिन बाद में एक समझौते के तहत इस प्रतिबंध को हटा लिया गया. इस समझौते के तहत TLP ने हिंसा से बचने और कानून के तहत प्रदर्शन करने की शर्त पर सरकार से समझौता किया था.
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