कश्मीर पर शहबाज शरीफ ने लिखा ट्वीट, एक्स ने पोस्ट के नीचे लिखा- 'ये बातें झूठी हैं'
Pakistan false claim on Kashmir: कहते हैं कि एक ही झूठ को बार-बार कहा जाए तो वह सच लगने लगता है. पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे पर कुछ ऐसा ही करना चाहता है. लेकिन वह भूल जाता है कि टेक्नोलॉजी के जमाने में झूठ तुरंत पकड़ा भी जाता है. इस बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का लाइव फैक्ट चेक हो गया.

कश्मीर पर पाकिस्तान का झूठ बार-बार पकड़ा जाता है, लेकिन वह फिर भी अपना प्रोपेगेंडा फैलाने से बाज नहीं आता. इस बार तो वहां के प्रधानमंत्री ही कश्मीर पर सफेद झूठ बोलते हुए पकड़े गए, जिससे उन्हें शर्मिंदगी झेलनी पड़ी. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कश्मीर पर पुराना राग अलापते हुए एक्स पर लंबी-चौड़ी पोस्ट लिखी. इसमें उन्होंने दावा किया कि भारत ने 27 अक्टूबर 1947 को कश्मीर पर अवैध रूप से कब्जा किया था. शहबाज शरीफ की इस पोस्ट का तुरंत फैक्ट चेक हो गया. पोस्ट के नीचे ही कम्यूनिटी नोट आ गया, जिसमें उनके दावों की पोल खुल गई.
कम्यूनिटी नोट में क्या था?कम्यूनिटी नोट में बताया गया कि शहबाज का दावा गलत और भ्रामक है. कश्मीर के महाराजा हरि सिंह 26 अक्तूबर 1947 को भारत में शामिल होने के लिए राजी हुए थे. इस समझौते पर हस्ताक्षर के बाद भारत ने इसकी रक्षा के लिए 27 अक्टूबर 1947 को श्रीनगर में सेना भेजी थी.
इस नोट में जो बात बताई गई है, वह जगजाहिर है और प्रमाणित भी है. फिर भी पाकिस्तान कश्मीर पर प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए हर साल यह झूठ बोलता है. पाकिस्तान झूठा प्रचार करने की कोशिश करता है कि 27 अक्टूबर 1947 को भारत की सेना श्रीनगर पहुंची थी और यहां पर कब्जा कर लिया था.
जबकि सच्चाई यह है कि पाकिस्तान ने खुद कबायली हमलावरों की आड़ में कश्मीर पर कब्जा करने की कोशिश की थी. लेकिन उससे पहले ही कश्मीर के महाराजा ने भारत के साथ विलय पत्र (Instrument of Accession) पर हस्ताक्षर कर दिए और कश्मीर भारत का हिस्सा बन गया. इसके बाद भारतीय सेना ने कश्मीर से घुसपैठियों को बाहर खदेड़ा था. कश्मीर के भारत में विलय के 78 साल पूरे होने पर ऑल इंडिया रेडियो, आकाशवाणी ने 26 अक्टूबर को वह पत्र भी शेयर किया है, जो महाराजा हरि सिंह ने साइन किया था.
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ध्यान भटकाने की कोशिशशहबाज शरीफ ने अपनी पोस्ट में कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन का भी पुराना राग अलापा. कहा कि जब तक कश्मीर के लोगों को न्याय नहीं मिल जाता, तब तक वह इस मुद्दे से पीछे नहीं हटेगा.
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