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'ट्रंप के एजेंडे वाले नियम नहीं मानेंगे... ', फंडिंग के लिए सरकार ने रखी थीं शर्तें, MIT ने इनकार किया

मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) का कहना है कि यूनिवर्सिटी ऐसी शर्तों को नहीं मान सकती, जिसमें राष्ट्रपति Donald Trump के राजनीतिक एजेंडे को अपनाने के लिए कहा गया है. MIT ने कहा कि यूनिवर्सिटी अपने मूल्यों से समझौता नहीं करेगी.

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MIT refuses to accept Donald trumps agenda for funding
MIT पहला विश्वविद्यालय था, जिसने वॉइट हाउस की शर्तों को मानने से इनकार कर दिया है.
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अर्पित कटियार
11 अक्तूबर 2025 (Updated: 11 अक्तूबर 2025, 10:57 AM IST)
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अमेरिका के प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थान MIT (मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) ने वाइट हाउस के उस प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया है, जिसमें फेडरल फंडिंग (सरकार से फंडिंग) के बदले संस्थान के नियमों में बदलाव करने की शर्त रखी गई है. यूनिवर्सिटी ने साफ कहा है कि सरकार के बताए नियम MIT की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ हैं.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, MIT की अध्यक्ष सैली कॉर्नब्लुथ ने अमेरिकी शिक्षा सचिव को पत्र लिखकर इन शर्तों का विरोध किया. पत्र में उन्होंने लिखा कि यूनिवर्सिटी ऐसी शर्तों को नहीं मान सकती, जिसमें राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के राजनीतिक एजेंडे को अपनाने के लिए कहा गया है. उन्होंने लिखा कि इस प्रस्ताव में ऐसे प्रावधान शामिल हैं जो अभिव्यक्ति की आजादी को नुकसान पहुंचा सकते हैं और शैक्षणिक स्वतंत्रता से समझौता कर सकते हैं. MIT का कहना है यूनिवर्सिटी अपने मूल्यों से समझौता नहीं करेंगी.

दरअसल, वाइट हाउस ने हाल ही में नौ शीर्ष विश्वविद्यालयों को एक मेमो भेजा था, जिसमें कहा गया था कि अगर वे फेडरल फंडिंग चाहते हैं, तो उन्हें कुछ नई शर्तों को मानना होगा. इन शर्तों में शामिल हैं:-

  • विदेशी छात्रों की संख्या 15% तक सीमित करना.
  • लिंग और नस्ल के आधार पर एडमिशन न देना. यानी किसी छात्र के लिंग (जैसे महिला, पुरुष, ट्रांसजेंडर) या नस्ल/जातीयता (जैसे श्वेत-अश्वेत, एशियन आदि) के आधार पर एडमिशन या तरजीह नहीं दी जाएगी.
  • लिंग की पहचान सिर्फ जैविक आधार पर करना. इसमें LGBTQ+ समूह को मान्यता नहीं दी जाएगी.

MIT पहला विश्वविद्यालय है, जिसने वाइट हाउस के इस मेमो का समर्थन करने से इनकार कर दिया है. जबकि अन्य विश्वविद्यालय जैसे वर्जीनिया, डार्टमाउथ और वेंडरबिल्ट अभी इस पर विचार कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: ट्रंप सरकार के खिलाफ हुई अमेरिका की 150 से ज्यादा यूनिवर्सिटीज, हार्वर्ड का फंड रोका था

वाइट हाउस का तर्क है कि यह कदम विश्वविद्यालयों में भेदभाव खत्म करने के लिए उठाया गया है. वाइट हाउस की प्रवक्ता लिज ह्यूस्टन ने एक बयान में कहा, 

कोई भी यूनिवर्सिटी, जो उच्च शिक्षा में बदलाव लाने के इस मौके को ठुकराती है, वह अपने छात्रों या उनके अभिभावकों का भला नहीं कर रही है. वह कट्टरपंथी, वामपंथी (रैडिकल लेफ्ट) नौकरशाहों के आगे झुक रही है.

आलोचकों का मानना है कि यह सरकार की एक राजनीतिक दखलअंदाजी है, जो अकादमिक स्वतंत्रता को कमजोर कर सकती है. हार्वर्ड जैसी यूनिवर्सिटीज पर पहले ही यह आरोप लगाया गया है कि वे ‘रैडिकल लेफ्ट’ नीतियों को बढ़ावा देते हैं, इसलिए इन यूनिवर्सिटीज की फेडरेल फंडिंग काटने की लगातार कोशिश की जा रही है.

वीडियो: WHO पर ट्रंप ने बड़ा आरोप लगाया है. फंडिंग रोकने की धमकी भी दे डाली

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