जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री का 'जेंडर बैलेंस', 19 मंत्रियों में केवल दो महिलाएं
जापान की नई और पहली महिला पीएम साने ताकाइची ने दावा किया था कि वो अपनी कैबिनेट में ऐसा जेंडर बैलेंस रखेंगी जिसकी तुलना नॉर्डिक देशों से होगी.

साने ताकाइची जापान की प्रधानमंत्री बन गई हैं. जापान के इतिहास में पहली बार कोई महिला प्रधानमंत्री बनी है. लेकिन ताकाइची सिर्फ इस वजह से चर्चा में नहीं हैं. वो इसलिए भी चर्चा में हैं क्योंकि उनकी 19 सदस्यों वाली कैबिनेट में केवल 2 महिलाएं मंत्री बनाई गई हैं. इनमें वित्त मंत्री नियुक्त की गईं सत्सुकी कटियामा भी शामिल हैं. गौरतलब है कि साने ताकाइची ने दावा किया था कि वो अपनी कैबिनेट में ऐसा जेंडर बैलेंस रखेंगी जिसकी तुलना नॉर्डिक देशों से होगी. डेनमार्क, फिनलैंड, आइलैंड, नॉर्वे और स्वीडन को ‘नॉर्डिक देश’ कहा जाता है.
जापान की राजनीति और सरकारों में महिलाओं का होना दुर्लभ है. World Economic Forum's 2025 Gender Gap Report के अनुसार इस मामले में दुनिया के 148 देशों में जापान 118वें नंबर पर है. जबकि आइलैंड, फिनलैंड और नॉर्वे जैसे नॉर्डिक देश पहले तीन स्थान पर हैं.
जापानी सरकार की नई कैबिनेट में जिस दूसरी महिला को जगह दी गई है उनका नाम है किमी ओनोदा. नए कैबिनेट सचिव मिनोरू किहारा ने बताया कि ओनोदा को आर्थिक सुरक्षा मंत्री के रूप में नियुक्त किया जाएगा.
वहीं तोशिमित्सु मोटेगी को विदेश मंत्री का कार्यभार दिया गया है. शिंजिरो कोइजुमी को रक्षा मंत्री बनाया गया है. दिलचस्प बात ये कि प्रधानमंत्री बनने की रेस में वो 'लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी' की तरफ से ताकाइची के मुख्य प्रतिद्वंद्वी थे.
64 वर्षीय ताकाइची ने अपने एक बयान में महिलाओं के स्वास्थ्य संघर्ष पर खुलकर बात की. वह महिलाओं के स्वास्थ्य संघर्ष के बारे में जागरूकता भी फैलाना चाहती हैं. बयान में उन्होंने खुद के मेनोपॉज पर भी बात की. हालांकि जापान की राजनीति में ताकाइची को सामाजिक रूप से रूढ़िवादी माना जाता है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ताकाइची 19वीं सदी के उस कानून संशोधन का विरोध करती रही हैं, जिसमें शादीशुदा जोड़ों के लिए एक ही उपनाम रखना जरूरी बताया गया है. इसके अलावा वह यह भी चाहती हैं कि शाही परिवार में उत्तराधिकार सिर्फ पुरुषों के पास ही रहे.
कई विश्लेषकों का ऐसा मानना है कि साने ताकाइची की सरकार ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाएगी. उनका कहना है कि उनके लिए आर्थिक नीतियों को लेकर तालमेल बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है.
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