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पीएम मोदी ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के सामने उठाया खालिस्तान का मुद्दा, 4150 करोड़ की डील भी फाइनल

India UK Defence Deal: इस समझौते के तहत ब्रिटेन भारत को अपनी आधुनिक Lightweight Multirole Missiles (LMM) यानी Martlet मिसाइलें सप्लाई करेगा.

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India UK Defence Deal
ब्रिटिश पीएम कीर स्टारमर और पीएम मोदी ने डिफेंस डील पर किया साइन. (फोटो- PTI)
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हरीश
9 अक्तूबर 2025 (Published: 09:44 PM IST)
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मुंबई में आज, 9 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के बीच बैठक हुई. इस बैठक में 4150 करोड़ रुपये की डिफेस डील फाइनल हुई, साथ ही पीएम मोदी ने खालिस्तानी उग्रवाद का मुद्दा भी उठाया. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मीडिया से बात करते इस बात की जानकारी दी. उन्होंने कहा

पीएम मोदी और कीर स्टार्मर के बीच आज हुई बैठक में खालिस्तानी चरमपंथ के मुद्दे पर चर्चा हुई. प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि लोकतांत्रिक समाजों में कट्टरपंथ और हिंसक उग्रवाद के लिए कोई जगह नहीं है और उन्हें समाज की तरफ से दी गई स्वतंत्रता के गलत इस्तेमाल करने की मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए. दोनों पक्षों में उपलब्ध कानूनी ढांचे के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई करने की जरूरत है.

बीते कुछ महीनों में ब्रिटेन में ऐसी घटनाएं सामने चुकी हैं. मार्च 2023 में यूके में भारतीय हाई कमीशन पर खालिस्तानी झंडा फहराने की कोशिश भी की गई थी. भारत समय-समय पर कनाडा और यूके, दोनों देशों से खालिस्तानियों गतिविधियों को लेकर अपना विरोध दर्ज कराता रहा है. आज प्रधानमंत्री मोदी ने सीधे तौर पर इस मुद्दे को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के साथ उठाया. 

4150 करोड़ की डील

प्रधानमंत्री मोदी और PM स्टार्मर के बीच हुई बैठक में दोनों देशों के बीच 4150 करोड़ रुपये की डिफेंस डील भी साइन हुई. इसके तहत भारतीय सेना को ब्रिटेन में बनीं खास LMM (लाइटवेट मल्टीरोल मिसाइल) मिलेंगी. ये दोनों देशों के बीच बढ़ते हथियार और रक्षा साझेदारी का एक हिस्सा भर है. आगे दोनों देशों के बीच और भी इसी तरह की डील होने की उम्मीद है.

कीर स्टार्मर का दौरा भारत के लिए अहम है. दौरे के केंद्र में है, दोनों देशों के बीच हुआ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट है, जिसपर जुलाई, 2025 में मुहर लगी थी. ब्रेक्सिट के बाद, यह यूके का सबसे बड़ी ट्रेड डील है. मकसद आपसी व्यापार को 2030 तक दोगुना करके 120 अरब डॉलर तक पहुंचाना है. समझौता 'विजन 2035' के तहत 10 साल के रोडमैप पर आधारित है.

5 पॉइंट में डील समझिए?

# डिफेंस सेक्टर में 350 मिलियन पाउंड यानी लगभग 4150 करोड़ रुपये का करार हुआ. इसके तहत भारतीय सेना को यूके में बनी लाइटवेट मल्टीरोल मिसाइलें मिलेंगी. यही मिलाइल यूके यूक्रेन को दे रहा है. नौसेना के जहाजों के लिए इलेक्ट्रिक इंजनों पर सहयोग बढ़ाने के लिए भी समझौता हुआ. इस पर आगे विस्तार से बात करेंगे, उससे पहले समझौतों के बारे में जान लेते हैं.

# मिलिटरी ट्रेनिंग को लेकर भी समझौता भी हुआ. इसके तहत भारतीय वायुसेना के फ्लाइंग ट्रेनर अब ब्रिटेन की रॉयल एयर फोर्स में ट्रेनर बनेंगे.

# स्टार्मर ने सुयंक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के लिए परमानेंट सीट की वकालत की.

# लिथियम, तांबा, निकल और कोबाल्ट जैसे क्रिटिकल मिनरल्स के सप्लाई चेन को मजबूत और पारदर्शी करने पर जोर दिया गया. इसके लिए एक सप्लाई चेन ऑब्जर्वेटरी खोला जाएगा. इसका सैटेलाइट कैंपस ISM धनबाद में होगा.

# ब्रिटेन की 9 यूनिवर्सिटी भारत में कैंपस खोलेंगी.

बताते चलें, कीर स्टार्मर अपने साथ 125 से अधिक लोगों का प्रतिनिधि मंडल लेकर भारत आए हैं. अलग-अलग सेक्टर के प्रतिष्ठित लोगों से मिल रहे हैं. 9 अक्टूबर को मुलाकात के बाद, दोनों (पीएम मोदी-कीर स्टार्मर) नेताओं ने जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. इस दौरान कई अहम मुद्दों पर बातचीत की.

LMM मिसाइल की खासियत

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जब भारतीय फोर्सेज ने दुश्मन ड्रोन को हवा में ही मार गिराया, तो दुनिया ने हमारी ‘काउंटर-ड्रोन’ क्षमता का लोहा माना. अब इसी ताकत को और धार देने के लिए भारत ने यूनाइटेड किंगडम के साथ अहम रक्षा सौदा किया है. 9 अक्टूबर 2025 को साइन हुए इस समझौते के तहत ब्रिटेन भारत को अपनी आधुनिक Lightweight Multirole Missiles (LMM) यानी Martlet मिसाइलें सप्लाई करेगा.

Lightweight Multirole Missile (LMM) को ब्रिटेन में Martlet के नाम से जाना जाता है. ये असल में एक शॉर्ट-रेंज, हल्की और मल्टीरोल मिसाइल है. इसे इस तरह बनाया गया है कि ये ड्रोन, छोटे जहाज, हल्के बख्तरबंद वाहन या लो-फ्लाइंग टारगेट्स को कुछ ही सेकंड में मार गिरा सके.

LMM की प्रमुख तकनीकी खूबियां

वजन: लगभग 13 किलोग्राम

लंबाई: करीब 1.3 मीटर

रेंज: लगभग 6 से 8 किलोमीटर

रफ्तार: Mach 1.5 यानी आवाज़ से डेढ़ गुना तेज

वीडियो: दुनियादारी: ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, पुर्तगाल ने फ़िलिस्तीन को दी मान्यता, अब आगे क्या?

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