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सीमेंट-कंक्रीट मिक्सर वाली मशीन में बने मालपुए, भंडारे में खाना बनाने का VIDEO VIRAL

खीर और सब्जी बनाकर रखने के लिए अलग से टंकी बनवाई गईं.

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Huge Bhandara in a village of Madhya Pradesh
यूं तैयार किया गया भंडारे का प्रसाद (फोटो: आजतक)
29 जनवरी 2023 (Updated: 29 जनवरी 2023, 18:31 IST)
Updated: 29 जनवरी 2023 18:31 IST
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मध्य प्रदेश के ग्वालियर (Gwalior) जिले में स्थित घाटीगांव सिरसा गांव में शनिवार, 28 जनवरी को एक बहुत बड़ा भंडारा हुआ. इतना बड़ा कि भंडारे के लिए तैयार सब्जी और खीर को किसी बड़े बर्तन में नहीं बल्कि ईंट और सीमेंट से तैयार की गई बड़ी-बड़ी हौद यानी टंकियों में रखा गया. मालपुए का घोल बनाने के लिए बिल्डिंग बनाने में इस्तेमाल होने वाले सीमेंट-कंक्रीट मिक्सर की मदद ली गई. इतना ही नहीं, भक्तों को प्रसाद ट्रैक्टर की ट्रॉलियों में भरकर बांटा गया.

भगवान देवनारायण की जयंती पर भंडारा

मौका था गुर्जर समाज के आराध्य भगवान देवनारायण की जयंती का. इस अवसर पर गांव में विशाल भंडारा किया गया. आजतक के नीरज चौधरी की रिपोर्ट के मुताबिक सिरसा गांव के देवनारायण मंदिर में पिछले 7 दिनों से भागवत कथा चल रही थी. हर शाम कथा के बाद भंडारा किया जा रहा था. भंडारे की व्यवस्था के लिए आसपास के कई गांव लगे. 

भंडारे के लिए मालपुए के ढेर लगा दिए गए (फोटो: आजतक)

रेंहट गांव के ब्रजेश गुर्जर ने बताया कि हफ्ते भर प्रसाद में मालपुए, खीर और आलू की सब्जी बांटी गई. इसके लिए हर रोज तकरीबन 30 क्विंटल चीनी, 60 क्विंटल आलू, 20 क्विंटल चावल और 35 क्विंटल गेहूं के आटे सहित बड़ी मात्रा में घी की खपत हुई. 

वहीं 7वें दिन काफी बड़े स्तर पर भंडारा हुआ. इसमें 100 क्विंटल से ज्यादा चीनी, 100 क्विंटल आलू, 60 क्विंटल चावल और 500 क्विंटल आटे की खपत हुई. प्रसाद बनाने के लिए 100 से ज्यादा हलवाई लगे थे. प्रसाद परोसने में 250 लोग लगे थे. 

भंडारे में 1.50 लाख लोग शामिल हुए 

देवनारायण मंदिर के महंत संत शीतलदास ने बताया कि भंडारे की व्यवस्था गांववार बांटी गई थी. जैसे, एक गांव के लोगों को प्रसाद तैयार कराने, दूसरे गांव को प्रसाद परोसने और तीसरे गांव को पत्तल उठाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. 

Huge Bhandara in a village of Madhya Pradesh
भंडारे में लगभग डेढ़ लाख लोग शामिल हुए (फोटो: आजतक)

महंत शीतलदास के मुताबिक इस आयोजन के लिए ग्वालियर-चंबल के गुर्जर समाज से चंदा लिया गया. वहीं दूसरे समाजसेवियों, नेताओं और आम लोगों ने भी इसके लिए दान दिया. महंत शीतलदास ने बताया कि कथा के बाद हर शाम होने वाले भंडारे में तकरीबन 80 हजार लोगों को प्रसाद बांटा जा रहा था. वहीं आखिरी दिन हुए भंडारे में लगभग 1.50 लाख लोग शामिल हुए.

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