अगले 4 महीने इन 12 राज्यों में होगा SIR, चुनाव आयोग ने असम को क्यों छोड़ दिया?
2026 में जिन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में विधानसभा चुनाव होने हैं, वे सभी इस प्रक्रिया में शामिल होंगे.

निर्वाचन आयोग ने 27 अक्तूबर को देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) शुरू करने की घोषणा की है. मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि बिहार में SIR के पहले चरण के पूरा होने के बाद अब यह दूसरा चरण शुरू किया जा रहा है.
ज्ञानेश कुमार ने बताया कि साल 2026 में जिन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में विधानसभा चुनाव होने हैं, वे सभी इस प्रक्रिया में शामिल होंगे. केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल की वोटर लिस्ट में SIR किया जाएगा. हालांकि, असम में यह प्रक्रिया नहीं होगी, क्योंकि वहां एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) की प्रक्रिया पहले से चल रही है.
इसके अलावा जिन अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में यह पुनरीक्षण होगा उनमें अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश शामिल हैं. इस प्रक्रिया के बाद अंतिम मतदाता सूची 7 फरवरी 2026 को जारी की जाएगी.
बिहार में SIR के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आधार को भी प्रकिया में शामिल करने का आदेश दिया था. उसने 11 दस्तावेजों के अतिरिक्त आधार को 12वां दस्तावेज बनाने का आदेश दिया था. लेकिन आज हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में देश के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि आधार कार्ड केवल पहचान के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, मतदाता सूची से जोड़ने के लिए नहीं.
उन्होंने कहा कि दूसरे चरण के SIR के लिए प्रशिक्षण 28 अक्टूबर से शुरू होगा और प्रत्येक अधिकारी हर घर तीन बार जाएगा. ऐसा इसलिए किया जाएगा ताकि किसी फर्जी या दोहरी प्रविष्टि वाले मतदाता को शामिल न किया जाए. उन्होंने कहा,
“इस अभियान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई योग्य मतदाता छूटे नहीं और कोई अयोग्य व्यक्ति सूची में शामिल न हो.”
निर्वाचन आयोग के अनुसार, घर-घर सर्वे में पहले से उपलब्ध जानकारी भरी जाएगी, ताकि प्रक्रिया तेज़ हो सके. ज्ञानेश कुमार ने कहा कि बिहार में हुए पहले चरण में 7.5 करोड़ लोगों ने भाग लिया, और उनमें किसी ने भी अपील नहीं की, यानी ‘जीरो अपील्स’ दर्ज हुईं.
चीफ इलेक्शन कमिश्नर ने यह भी बताया कि मतदाता सूचियों में बार-बार बदलाव स्थानांतरण (migration), एक से अधिक जगह पंजीकरण, मृत मतदाताओं के नाम न हटने और विदेशियों की गलत प्रविष्टियों के कारण होते हैं. उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद से अब तक आठ बार SIR आयोजित किया गया है, और आखिरी बार यह 2002 से 2004 के बीच हुआ था.
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