'हद दर्जे के नेगेटिव हो', हमास से डील को लेकर नेतन्याहू पर बुरा भड़के ट्रंप, रिपोर्ट में दावा
इज़रायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू अगर राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के प्लान के साथ जा रहे हैं तो उनके देश में सहयोगी पार्टियां गठबंधन तोड़ने की धमकी दे रहे हैं. अगर वह प्लान के खिलाफ जाते हैं तो ट्रंप उन्हें धमका रहे हैं.

हमास ने अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की शांति योजना पर 'सकारात्मक' प्रतिक्रिया दी. इसके बाद ट्रंप ने 3 अक्टूबर को इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को फोन किया. अमेरिकी न्यूज़ वेबसाइट Axios के मुताबिक, नेतन्याहू ने ट्रंप से कहा कि हमास के जवाब में 'खुश होने लायक कुछ नहीं" है. इस पर ट्रंप ने खीझते हुए नेतन्याहू से कहा,
“मुझे समझ नहीं आता तुम हमेशा इतने नेगेटिव क्यों रहते हो. यह एक जीत है. इसे स्वीकार करो.”
ट्रंप ने बाद में Axios को बताया कि वह हमास की प्रतिक्रिया को दो साल पुराने संघर्ष को समाप्त करने के अवसर के रूप में देखते हैं. उन्होंने कहा,
“यह उनके (नेतन्याहू के) लिए जीत का मौका है… उन्हें इससे कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए. मेरे साथ रहना है तो उसे मानना ही होगा.”
लेकिन नेतन्याहू की अपनी भी दिक्कतें हैं. उनको अपनी सहयोगी दक्षिणपंथी पार्टियों के बढ़ते विरोध का सामना करना पड़ रहा है. इन पार्टियों ने गठबंधन से बाहर निकलने की धमकी दी है.
दूसरी तरफ हमास ने कहा है कि अगर इज़रायल अपना सैन्य अभियान रोकता है और गाज़ा से सैनिकों को हटा लेता है, तो वह सभी शेष बंधकों को रिहा करने को तैयार है. हालांकि, उसने कुछ बिंदुओं पर बातचीत की मांग की. इस पर इज़रायली अधिकारियों ने Axios से कहा कि प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने हमास की मांग को समझौता अस्वीकार करने के रूप में देखा है. उनका कहना है कि अमेरिका के साथ मिलकर वह ऐसी छवि बनने से रोक रहे हैं कि हमास ने योजना को स्वीकार कर लिया है.
अति-दक्षिणपंथी गुटों का विरोधदरअसल, ट्रंप की 20 सूत्रीय योजना को समर्थन देने के नेतन्याहू के निर्णय ने उनकी अति-दक्षिणपंथी सरकार में तनाव बढ़ा दिया है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतामार बेन-गवीर ने कहा कि उनकी पार्टी किसी भी ऐसी योजना में साझेदार नहीं होगी जो हमास को गाज़ा में ही रहने दे. इन दलों ने नेतन्याहू को गठबंधन से हटने की धमकी दी.
वित्त मंत्री बेज़ालेल स्मोतरीच ने सैन्य अभियान को रोकने को ‘बड़ी गलती’ बताया और कहा कि इससे इज़रायल की स्थिति कमजोर हो सकती है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक दोनों मंत्रियों की पार्टियों के पास 120 सदस्यीय सेनेट में कुल 13 सीटें हैं. अगर दोनों मंत्री गठबंधन से हटते हैं तो नेतन्याहू की सरकार गिर सकती है. इससे 2026 से पहले ही चुनाव होने की स्थिति बन जाएगी.
'कोई युद्धविराम नहीं'
इस सबके बीच इज़रायली सरकार के प्रवक्ता शोष बेड्रोसियन ने 5 अक्टूबर को कहा कि कोई ‘युद्धविराम लागू नहीं हुआ’ है, हालांकि कुछ हमले ‘रक्षात्मक कारणों’ से रोके गए हैं. ट्रंप की हवाई हमले रोकने की अपील के बावजूद, पिछले हफ्ते के अंत में इज़रायली हमलों में गाज़ा में कई फ़िलिस्तीनियों की मौत हुई.
इधर, नेतन्याहू ने कहा है कि योजना का उद्देश्य बंधकों की रिहाई, हमास का हथियारों को खत्म करना और गाज़ा से सैनिकों के जमावड़े को खत्म करना है. हालांकि, ट्रंप की योजना में कोई समयसीमा तय नहीं की गई है और फ़िलिस्तीनी राज्य के इस मुद्दे पर अस्पष्ट संकेत हैं. जो नेतन्याहू के कट्टर सहयोगियों को नाराज़ कर सकते हैं.
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