अरुणाचल प्रदेश में जन्मीं महिला से चीनी एयरपोर्ट पर बेहूदगी, खाने तक के लिए तरसाया
पीड़ित महिला प्रेमा ने बताया कि Shanghai Airport पर China के अधिकारियों ने उनका पासपोर्ट रख लिया और उन्हें कई घंटों तक बिना सही जानकारी के एयरपोर्ट के ट्रांजिट क्षेत्र में ही बंद रखा.

अरुणाचल प्रदेश में पैदा होने की वजह से एक भारतीय महिला प्रेमा वांगजोम थोंगडोक को शंघाई एयरपोर्ट पर चीनी अधिकारियों के उत्पीड़न का सामना करना पड़ा. प्रेमा ने आरोप लगाया कि चीनी अधिकारियों ने उनके भारतीय पासपोर्ट को केवल इस वजह से अवैध करार दिया क्योंकि उनके पासपोर्ट में जन्मस्थान अरुणाचल प्रदेश लिखा था. यह घटना 21 नवंबर को हुई जब प्रेमा लंदन से जापान जा रही थीं और शंघाई में तीन घंटे के ट्रांजिट के लिए रुकी थीं.
प्रेमा वांगजोम थोंगडोक बीते 14 सालों से ब्रिटेन में रहती हैं. उन्होंने बताया कि जैसे ही वो शंघाई के पुडोंग एयरपोर्ट पर इमिग्रेशन काउंटर पर पहुंचीं, एक चीनी अधिकारी ने उनका पासपोर्ट लिया और कहा, "अरुणाचल प्रदेश चीन का हिस्सा है." उन्होंने आरोप लगाया कि इसीलिए चीनी अधिकारियों ने उनके पासपोर्ट को 'अवैध' बता दिया.
इंडिया टुडे से जुड़े प्रणय उपाध्याय से बात करते हुए प्रेमा ने कहा,
“जब मैंने अधिकारी से पूछा कि क्यों मेरा पासपोर्ट अवैध है, तो उसने बिना कोई समझाए बस कहा, "अरुणाचल चीन का हिस्सा है.” उनका यह जवाब सुनकर मैं हैरान रह गई क्योंकि मुझे पिछले साल शंघाई से बिना किसी समस्या के ट्रांजिट मिला था."
प्रेमा ने यह भी बताया कि इस बार चीनी अधिकारियों ने उनका पासपोर्ट ही ले लिया और उन्हें कई घंटों तक बिना सही जानकारी के एयरपोर्ट के ट्रांजिट क्षेत्र में ही ‘बंद’ रखा. उन्होंने आरोप लगाया कि वैध वीजा होने के बावजूद उन्हें जापान जाने वाली फ्लाइट में चढ़ने से रोक दिया गया.
प्रेमा के अनुसार, अधिकारियों ने उन्हें खाना और अन्य सुविधाएं भी नहीं दीं. उन्होंने दावा किया कि एयरलाइन के कर्मचारियों ने उनका मजाक उड़ाया और यहां तक कि उन्हें 'चीनी पासपोर्ट' लेने की सलाह भी दी. मुश्किल हालात में उन्होंने ब्रिटेन के एक दोस्त की मदद से शंघाई में मौजूद भारतीय कांसुलेट से संपर्क किया.
तब जाकर 18 घंटे तक एयरपोर्ट पर फंसे रहने के बाद प्रेमा को अधिकारियों ने बाहर निकाला. इसके बाद उन्हें अपनी यात्रा जारी रखने की इजाजत मिली. उन्होंने बताया कि ट्रांजिट क्षेत्र की हद में रहने की वजह से वे दोबारा टिकट बुक नहीं कर पा रही थीं, खाना नहीं खरीद पा रही थी और ना ही टर्मिनलों के बीच आवाजाही कर पा रही थीं.
उन्होंने आगे दावा किया कि अधिकारियों ने उन्हें सिर्फ चाइना ईस्टर्न से नया टिकट खरीदने के लिए मजबूर किया. प्रेमा ने कहा कि अधिकारियों ने ऐसा करने पर ही पासपोर्ट वापस करने की बात कही. उन्होंने दावा किया कि इससे उन्हें फ्लाइट मिस होने और होटल बुकिंग की वजह से आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा.
प्रेमा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू समेत कई प्रमुख लोगों को ईमेल कर अपनी आपबीती बताई है. इसमें उन्होंने उनके साथ हुए उत्पीड़न को भारतीय संप्रभुता का अपमान बताया. प्रेमा ने भारत सरकार से अपील की कि वे इस मामले को बीजिंग के सामने उठाएं ताकि इस घटना के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो सके.
उन्होंने भारत सरकार से यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा कि भविष्य में अरुणाचल प्रदेश के नागरिकों को विदेश यात्रा में ऐसी परेशानियों का सामना ना करना पड़े. उन्होंने सरकार से उम्मीद जताई कि इस मामले में उचित मुआवजा और कार्रवाई की जाएगी.
इस बीच खबर है कि सरकार ने इस घटना के दिन ही चीनी सरकार और दिल्ली स्थित उसके दूतावास को कड़ा संदेश दिया था. इंडिया टुडे से जुड़े प्रणय ने सरकार के सूत्रों के हवाले से बताया कि शंघाई स्थित भारतीय दूतावास ने स्थानीय स्तर पर मामले को उठाया है और पीड़ित महिला यात्री की भी पूरी सहायता की है.
सूत्रों के मुताबिक सरकार ने चीनी पक्ष से जोर देकर कहा कि महिला को जिन आधार पर डिटेन किया गया, वे हास्यास्पद हैं. अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा है और यहां के नागरिकों को भारतीय पासपोर्ट पर यात्रा करने का अधिकार है.
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