कितनी ही सायबर क्राइम की ख़बरें हम रोज़ पढ़ रहे हैं. हमारे आपके डेटा का ऐक्सेसअपराधियों के लिए कोई बड़ी बात नहीं रही. चारों तरफ़ आपका डेटा जमा करने वाला तंत्रमौजूद है. सीसीटीवी है, सोशल मीडिया है, फेशियल रेकग्निशन है, ऑनलाइन शॉपिंग है.डिजिटल सर्विलांस का "थैनोस" सभी 6 मणियों से सुशोभित हो चला है. इसे मारना आसाननहीं रहा. लेकिन इससे निपटने की कोशिश के तहत लाया गया है, Digital personal Dataprotection का कानून. संसद से 2023 में पारित हुआ और 3 जनवरी को इसके रूल्स ड्राफ्टहो गए हैं. अभी क़ानून लागू होना बाकी है. लेकिन क्या ये क़ानून हमारा-आपका डेटाबचा लेगा? दावे तो ऐसे ही हैं. लेकिन दावों में दम कितना है? ये कानून जनता के पक्षमें है या नहीं? क्या इससे हमारी-आपकी लाइफ पर भी कोई असर पड़ने वाला है? पर्सनलडेटा का एक्सेस किसे और कितना मिलना चाहिए? और 21वीं सदी में लोग कच्चे तेल कोछोड़कर, आपकी डेटा माइनिंग के पीछे क्यों पड़े हैं? सबकुछ जानने के लिए देखें आसानभाषा का ये एपिसोड.