आसान भाषा में: कैसे चलता है जेल में 'व्यवस्था' का खेल?
ये तो स्पष्ट है कि ये काम सेटिंग से होता है. जिसे शिष्ट समाज परिचय कहता है. परिचय कई बार अर्थशास्त्र से निरपेक्ष होता है, जैसे फलां आदमी हमारे मामा के लड़के का मुंहबोला फूफा है. लेकिन जेल में अधिकतर ये सेटिंग धनबल और ख़ौफ की खेती से की जाती है.