चल भाई… फिलॉसफी मत झाड़. अक्सर दोस्त ऐसा कह देते हैं. आपसे कहे तो कह दीजिए किक्यों भइया, आपकी बात बात! हमारी बात फिलॉसफी? फिलॉसफी को बहुत लोग बोरिंग मानतेहैं. लेकिन इस राय की तस्वीर खींचे और इसका विश्लेषण करें तो इसकी भी अपनी एकफिलॉसफी है, चाहे अनजाने ही सही. फ्राइडे शाम की रतजगा हो, गले लगने की गर्मजोशी होया किस्तों पर खरीदे गए आईफोन. इनके पीछे भी एक दर्शन है. तो क्या है इस दर्शन कीकहानी, जानने के लिए देखें ‘आसान भाषा में’ का ये पूरा एपिसोड.