1951 की बात है. प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के सर तमाम दिक्कतें थीं. देश के पहलेचुनाव होने थे, तमाम राज्यों में अलग अलग मुद्दे सर उठा रहे थे. लेकिन इन दिक्कतोंसे कहीं बड़ी एक और दिक्क्त थी. फॉरेन रिजर्व यानी डॉलर की खासी कमी थी और एक एकपैसा खर्च करने से पहले सौ बार सोचना पड़ता था. ऐसे में उस साल सरकार के पास एकरिपोर्ट आई. जिसमें लिखा था कि भारत की महिलाएं कॉस्मेटिक आयात करने पर खासा खर्चकर रही हैं. ये सभी विदेश से आयात होते थे, अतः इसमें बेशकीमती डॉलर खर्च करना पड़ताथा. सरकार ने तुरंत कॉस्मेटिक्स के आयात पर बैन लगा दिया. फिर वो ही हुआ जो होनाथा. नेहरू के निजी सचिव MO मथाई अपनी किताब, माई डेज विद नेहरू में लिखते हैं किसरकार के इस कदम से शहरों की महिलाओं में सरकार के प्रति काफी गुस्सा था.प्रधानमंत्री नेहरू के ऑफिस में टेलीग्राम्स की झड़ी लगने लगी. जिनमें लिखा होता किसरकार को कॉस्मेटिक्स पर बैन तुरंत हटाना चाहिए.