हज़ारों स्टूडेंट्स और लाखों किताबें. एंट्रेंस ऐसा कि अच्छे-अच्छों की हवा ख़राब होजाए. दुनिया की पहली रेजिडेंशियल यूनिवर्सिटी, जहां छात्र पढ़ते भी थे और रहते भीथे. कहने को तो नालंदा बौद्ध शिक्षा का केंद्र था. लेकिन इसे संरक्षण हर धर्म केराजा से मिला. सब अच्छा चल रहा था. तभी एक हाथ में तलवार और दूसरे में मशाल लिए एकआक्रांता आया और पढाई-लिखाई की इस नायाब जगह को आग में झोंक दिया. महीनों तककिताबें जलती रहीं. पर आज उस आग की बात नहीं करेंगे. आज बताएंगे कैसे मिलता था यहांप्रवेश? कितनी मुश्किल थी नालंदा की प्रवेश परीक्षा? पाठ्यक्रम क्या था? कैसी थीलाइब्रेरी? कौन पढ़ा, किसने पढ़ाया और नालन्दा यूनिवर्सिटी की धमक कहां तक थी? जाननेके लिए देखें तारीख का ये एपिसोड.