भले ही शेक्सपियर कह गए हों : What's in a name? पर भैया आज के ज़माने में नाम मेंही तो सबकुछ रक्खा है. साहब पैसा कमाने से ज़्यादा इस दुनिया में नाम कमाने कीजद्दोजहद है. पैसा पैदा करने से ज़्यादा नाम पैदा करने की होड़ है. अगर एक बारमार्केट में नाम खराब हो जाए, तो दुकान बंद ही करनी पड़ती है. ऐसे ही कुछ नाम हैं,जो अब बदनाम हो चुके हैं. कुछ को तो गाली की तरह भी इस्तेमाल किया जाता है. एक नामऐसा भी है, जो रोज़ सुबह हमारे नाश्ते का हिस्सा बनता है. कहानी ऐसे ही नामों की, जोआज शब्द के तौर पर प्रचलित हो गए हैं. कौन से हैं ये शब्द, जानने के लिए देखें पूरावीडियो.