साल 1926 की बात है. महाराष्ट्र में एक केस बहुत चर्चित हुआ था. पिछड़ों के अधिकारोंके लिए लड़ने वाले दो एक्टिविस्टों ने एक किताब लिखी थी. किताब में ब्राह्मणवाद कीआलोचना थी. और उससे भी बढ़कर बाल गंगाधर तिलक जैसे नेता के लिए अपशब्दों का इस्तेमालहुआ था. किताब के ऊपर बहुत हंगामा हुआ. हंगामा इतना बड़ा कि मामला अदालत में पहुंचगया. केस की पैरवी करने वाले वकील बड़े नाम, बड़ी फीस वाले थे. जबकि एक्टिविस्टों केपास ऐसा कोई नहीं था. ऐसे में उनकी तरफ इस केस को लड़ने आया वो शख्स, जो आगे चलकरभारत का संविधान बनाने वाला था. बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव.क्या था ये केस? एक वकील के तौर डॉक्टर भीमराव आंबेडकर का जीवन कैसा था. आज जानेंगेइसी बारे में. जानने के लिए देखें तारीख का ये एपिसोड.