साल 1971. समंदर का अहसास कराती उफनती मेघना नदी, चौड़ाई इतनी कि दूसरा किनारादिखाई ही न दे. चारों ओर सिर्फ पानी ही पानी. एक अभेद्य दीवार. नियाजी की सेना पुलउड़ाकर गफलत में थी कि भारतीय सेना अब आगे नहीं बढ़ पाएगी.लेकिन उन्हें ये एहसासनहीं था कि उनका सामना भारतीय सेना के उस जांबाज से है, जिसकी 'आउट-ऑफ-द-बॉक्स'रणनीतियां असंभव को संभव बनाने के लिए जानी जाती थीं. बिना पुल के मेघना नदी पारकरना और दुश्मन के इलाके में सटीकता के साथ पैर जमाने का करिश्मा मुमकिन कैसे हुआ?और इसे अंजाम देने वाला कौन था? जानने के लिए देखें तारीख का ये एपिसोड.