साधुओं के नाम के साथ हमेशा संन्यास, तपस्या, शास्त्र और ज्ञान को जोड़ा जाता रहाहै. लेकिन हमें जानना चाहिए कि एक वक्त पर इन्होंने हथियार भी उठाए हैं. अखाड़ोंमें वो संन्यासी शामिल हैं, जो अर्ध कुंभ और कुंभ में भाग लेते हैं. ये अखाड़ेआदिगुरु शंकराचार्य ने ईसा से 509-476 साल पहले बनाए थे. ताकि वैदिक धर्म को बढ़ायाजा सके. और जबरन धर्मांतरण से बचा जा सके. अखाड़ों में साधु-संन्यासियों को शस्त्रविद्या सिखाई जाती है. यानी यह एक तरह की ट्रेनिंग की जगह थी. इसी निमित्त इनप्रशिक्षण स्थलों को पहले, ‘अखंड’ पुकारा जाता था. जो धीरे-धीरे ‘अखाड़े’ नाम सेप्रचलित हो गए. अब प्रयाग के कुंभ में इनकी क्या भूमिका रहती है, ये ऐतिहासिक तौरपर प्रयाग में कैसे रहे थे, जानने के लिए देखें तारीख का ये एपिसोड.