एक राजधानी, एक राजमहल. राजमहल की बालकनी और उस पर खड़ा एक राजा. राजा ने काशी मेंमिलने वाली मलमल का मुलायम शॉल ओढ़ा हुआ है. पीठ पर सुनहरा लबादा है जो तक्षशिला सेआया है. ये मगध नरेश अजातशत्रु हैं. जो मगध की राजधानी राजगृह के अपने महल में खड़ेहुए हैं. उनकी आंखें दूर क्षितिज की ओर देखते हुए एक जगह जाकर अटक गई हैं. गिद्धकूटपर्वत को देखकर अजातशत्रु को याद आते हैं भगवान बुद्ध. और माथे पर चिंता की लकीरेंउभर आती हैं. वो सोचते हैं, तथागत को क्या जवाब दूंगा? कैसे बताऊंगा कि उनके दोस्तबिंबिसार की मौत हो गई है और उसका जिम्मेदार बिंबिसार का बेटा यानी मैं खुद हूं?पूरी कहानी जानने के लिए वीडियो देखें.