एक अंकल रहे थे कि लिवइन रिलेशनशिप पाश्चात्य विचार है. पर संस्कृतियों का अध्ययनइतने मज़े की चीज़ है कि अमेज़ करता रहता है. अपने झारखंड की पहाड़ियों में बसी कईजनजातियों में लिव इन रिलेशनशिप जैसी प्रथा सदियों से है? इस परंपरा को वहाँ "ढुकू"कहा जाता है. बहुत लोगों के लिए ये मॉडर्न विचार होगा लेकिन इन जनजातियों के लिए येएक मजबूरी बन चुका है. क्योंकि इन समुदायों में शादी का मतलब होता है पूरे कबीले कोदावत देना. और ये दावत हल्की-फुल्की नहीं होती! इसमें मीट, चावल और हड़िया जैसेखाने-पीने की चीजें होती हैं. अब, ज्यादातर जनजातीय परिवार इतनी महंगी दावत का खर्चनहीं उठा सकते, तो वे "ढुकू" का रास्ता चुनते हैं. "ढुकू" माने घुसना, और जो लड़कियाइस प्रथा का पालन करती हैं उन्हें ढुकनी बोलते हैं, माने घर में घुसने वाली. लेकिनअसल खबर ये नहीं है. खबर तो जुडी है यूनिफार्म सिविल कोड यानी UCC से. देश के गृहमंत्री अमित शाह ने झारखण्ड में एक बयान दिया. उन्होंने कहा कि जब उत्तराखंड मेंUCC लागू हुआ तो आदिवासी समाज को उसमें शामिल नहीं किया गया और झारखण्ड में UCCआदिवासी लोगों पर लागू नहीं होगा. तो इस वीडियो में समझेंगे कि देश के अलग-अलगहिस्सों में जनजातियां अपने किन परंपरागत रीति-रिवाजों से बंधी हैं ?और क्यों सरकारUCC जैसे सेल्फ प्रोक्लेम्ड, प्रो-वीमेन रिफॉर्म्स, आदिवासियों पर लागू करते समयबैकफुट पर दिखाई देती है? जानने के लिए देखें पूरा वीडियो.