आंध्रप्रदेश में पांचा, पंजाबी में लाचा, मलयालम में मुंडु, बांग्ला में धुति, तमिलमें वेस्ति, मराठी में धोतर और उत्तर में धोती. एक कपड़े के शायद ही इतने नाम हों.बिना ताम-झाम का कपड़ा. ज्यादा शोशेबाजी नहीं. रंग भी सोबर सफेद. कुछ खास मौकों कोछोड़कर ऐसा लगता है, थान से निकालकर, इसे सीधा कपड़ों की दुनिया में भर्ती कर लियागया हो. इस सादगी के बावजूद, ये देश के सबसे पुराने पहनावों में से एक है. हरदूसरे राज्य में इसका नाम अलग, पहनने का तरीका अलग. पर कपड़ा कमोबेश एक ही, धोती.येकभी क्रांति का सिंबल भी बनी. गांधी जी जिसे पहनकर राजा से मिलने पहुंचे. कभी इसेपहनने वालों के साथ भेदभाव किया जाता था. एक दौर में रविंद्रनाथ टैगोर ने इसे गलतआंका. पर फिर बंगाल में कुछ ऐसा हुआ कि लोग इसे पहनकर सड़कों पर उतरने लगे. कोर्टमें जज, वकील सब इसे पहने नजर आते. कुछ पांच गज का ये कपड़ा, तमाम देश के इतिहास कोलपेटे है. क्या है धोती की कहानी, जानने के लिए देखें पूरा वीडियो.