एक कविता रोज़ में सुनिए चंद्रकांत देवताले की कविता - चीते को जुकाम होने से
'इस्पात के बीहड़ सपनों को देखते देखते कितनी थक गईं हैं आंखें/ईंट के भत्तों के पास बैठे बैठे तप गए हैं कितने दिन'
मयंक
15 जुलाई 2021 (Updated: 15 जुलाई 2021, 10:14 AM IST) कॉमेंट्स