ASI का नाम अख़बार के अंदर के पन्नों से निकलकर पेज-1 पर तब आया, जब राम मंदिर औरबाबरी मस्जिद विवाद में इसकी एंट्री हुई. 2003 में एक ऐसा सर्वे हुआ जिसने बताया किविवादित स्थान पर मंदिर तो था ही, लेकिन उस मंदिर में 5-5 खंभों की 17 पंक्तियांथीं. सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्म भूमि के केस में ASI की रिपोर्ट को साक्ष्य के तौरपर स्वीकार किया. सिलसिला यही नहीं रुका. ASI के सर्वे की गाड़ी ज्ञानवापी से होतेहुए संभल भी पहुंच चुकी है. कई लोग चाहते हैं कि इसे अजमेर भी ले जाया जाए. तो इसवीडियो में समझेंगे किASI के सर्वे में ऐसा होता क्या है, जिससे इतिहास का पूरा सच सामने आ जाता है? कैसेकुछ पदार्थ और एक ब्रश ही काफी होता है सदियों पुरानी कहानी उजागर करने के लिए? औरASI किन साइंटिफिक तरीकों का इस्तेमाल करता है, जिससे इत्ती पुरानी-पुरानी बातेंपता चल जाती हैं? जानने के लिए देखें 'आसान भाषा में' का या पूरा एपिसोड.