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वो क़ौम जिसकी औरतों को सेक्स वर्कर बनाया गया, मर्दों-बच्चों को क़त्ल कर दिया गया

ISIS ने ज़ुल्म की हर हद पार कर दी थी. रोहिंग्या की तरह ये क़ौम भी ज़ुल्म की शिकार है.

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साल 2014 में ISIS ने इराक़ में यज़ीदी क़ौम का जनसंहार किया. ISIS इनसे इस्लाम कबूल कराना चाहता था. (Photo : Reuters)
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पंडित असगर
22 सितंबर 2017 (Updated: 21 सितंबर 2017, 04:12 AM IST)
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रोहिंग्या मुसलमान. जिनपर म्यांमार में ज़ुल्म हो रहा है. वो देश छोड़कर भाग रहे हैं. म्यांमार सेना कह रही है कि वो उग्रवादियों को मार रही है. जबकि मीडिया में बच्चों और औरतों की लाशों की तस्वीरें सामने आ रही हैं. एक लाख से ज्यादा रोहिंग्या बांग्लादेश पलायन कर चुके हैं. रोहिंग्या क़ौम की तरह ही कुछ ऐसी और क़ौमें हैं, जो ज़ुल्म की शिकार हैं. दुनिया की ये क़ौमें दरबदर हैं. उनका अपना देश नहीं. ‘दरबदर क़ौमें’ सीरीज की चौथी क़िस्त में पढ़िए ‘यज़ीदी’ क़ौम के बारे में.
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यज़ीदी

ये वो क़ौम है, जिसे ये समझा गया कि ये शैतान को पूजते हैं. ये वो क़ौम है जिसपर ISIS ने सबसे ज़्यादा क़हर ढहाया. ये वो क़ौम है, जिसकी औरतों के रेप किए गए. उन्हें ISIS के आतंकियों ने सेक्स स्लेव बनाकर रखा. लड़कियों को सेक्स वर्कर बनाकर मंडी में बोली लगाई. जिनके बच्चों को मार दिया गया. मर्दों को क़त्ल किया गया. जबरन धर्म बदलवाया गया. ज़ुल्म की शिकार ये क़ौम उस वक़्त दुनिया की नज़रों के सामने आई, जब उत्तर-पश्चिमी इराक़ में इसने ISIS से बचने के लिए पहाड़ों में शरण ली.
ISIS ने जब क़त्लेआम शुरू किया तो यज़ीदी कौम दरबदर हो गई. जान बचाने को सिंजर पहाड़ी में शरण ली. जहां बड़ा नरसंहार हुआ. (Photo : Reuters)
ISIS ने जब क़त्लेआम शुरू किया तो यज़ीदी कौम दरबदर हो गई. जान बचाने को सिंजर पहाड़ी में शरण ली. जहां बड़ा नरसंहार हुआ. क्योंकि वहां से बचकर भागना आसान नहीं था. (Photo : Reuters)
बात ज़ुल्म की हो रही है. रोहिंग्या मुस्लिम के कत्लेआम की हो रही है. क्यों न इस क़ौम के दर्द को भी दुनिया जाने. म्यांमार में ज़ुल्म की तरफ बौद्ध हैं तो इराक़ में मुस्लिम आतंकी संगठन ISIS. साल 2014 में तो इस क़ौम की हालत ये थी कि खाने-पीने के भी लाले थे. ISIS से बचने के लिए सिंजर नाम की पहाड़ी में शरण ली. जहां भूख से 40 बच्चे मरे थे. हक़ की बात करने वाले अगर इस क़ौम के दर्द को नज़रअंदाज़ करेंगे तो ये उनके दोहरे रवैये का सबूत होगा.

कौन हैं ये यज़ीदी

'यज़ीद' और 'यज़ीदी' इसको लेकर बड़ा कंफ्यूजन रहता है. लेकिन दोनों बिल्कुल अलग हैं. यज़ीदी एक क़ौम है. जबकि यज़ीद उम्मेयद राजवंश का वो शासक था, जो खुद ही मुसलमानों का खलीफा बन बैठा था. ये यज़ीद माविया का बेटा था. माविया वो था जिसने सुन्नियों के पहले खलीफा और शिया के पहले इमाम यानी मुहम्मद साहब के दामाद 'अली' को मारकर सत्ता हथिया ली थी. बाद में अपना उत्तराधिकारी अपने बेटे यज़ीद को बना दिया था. जिसने बाद में इराक स्थित कर्बला में अली के बेटे इमाम हुसैन को मरवा दिया था. तो इस यज़ीदी क़ौम का ताल्लुक इस यज़ीद से नहीं है. यज़ीदी एक समुदाय है.
symbolic image (source: dailymotion)
इराक़ के कर्बला नाम के इलाके में यज़ीद नाम के शासक ने मुहम्मद साहब के नवासे हुसैन का क़त्ल करा दिया था. लेकिन इस यज़ीद का यज़ीदी क़ौम से ताल्लुक नहीं है. (Photo: dailymotion)

ये वो क़ौम है जिसका अपना अलग एक धर्म है. इनकी अपनी मान्यताएं हैं. न ये मुस्लिम हैं, न हिन्दू. न ईसाई हैं और न पारसी. बल्कि इन सबका मिक्सचर हैं. इनके कुछ ऐसे रीति रिवाज बताए जाते हैं, जिनकी वजह से इन्हें शैतान को पूजने वाला कहा जाता है.
यज़ीदियों का यज़ीद या ईरानी शहर यज़्द से भी कोई लेना-देना नहीं है. उनका ताल्लुक फ़ारसी भाषा के 'इज़ीद' से है, जिसके मायने फ़रिश्ता या देवता होता है. इज़ीदिस का मतलब देवता के मानने वाले. यज़ीदी भी खुद को देवता का मानने वाला कहते हैं.

क्या मान्यताएं हैं यज़ीदी लोगों की

1. यजीदी धर्म की शुरुआत 12वीं सदी में शेख़ अदी इब्न मुसाफिर ने की थी. अपने ईश्वर को याज़्दान कहते हैं. इनके मुताबिक दुनिया को बनाने के बाद ईश्वर ने इसकी देखभाल के लिए सात फरिश्तों को तैनात किया है. इन फरिश्तों में ‘मलक ताउस’ यानि मोर का फरिश्ता प्रमुख है. उन्हें दैवीय इच्छाएं पूरा करने वाला माना जाता है. मलक ताउस का अन्य नाम शायतन भी है, जिसका अरबी में मतलब 'शैतान' है. और इसी वजह से उनकी छवि 'शैतान का उपासक' की बन गई.
यज़ीदी क़ौम सात फरिश्तों में यकीन रखती हैं, जिनमें ‘मलक ताउस’ यानि मोर का फरिश्ता प्रमुख माना जाता है.
यज़ीदी क़ौम सात फरिश्तों में यकीन रखती हैं, जिनमें ‘मलक ताउस’ यानि मोर का फरिश्ता प्रमुख माना जाता है.

2. इस धर्म के मानने वाले बाइबल और कुरान दोनों ही धर्मग्रंथों में आस्था रखते हैं. दोनों किताबों के मिले-जुले स्वरूप का पालन भी करते हैं. ज्यादातर इनकी मान्यताएं मौखिक हैं, जिनका कहीं जिक्र नहीं मिलता. ये क़ौम इतनी रहस्मयी है कि इन्हें पारसी धर्म से भी जोड़ दिया जाता है.
यजीदी धर्म के अनुयायी दिन में पांच बार सूर्य की तरफ मुंह करके पूजा करते हैं. दोपहर की पूजा लालिश पहाड़ियों की तरफ मुंह करके की जाती है, जहां उनका पवित्र मजार है. यज़ीदी की कब्रों का मुंह पूरब दिशा की तरफ होता है.
यज़ीदी की कब्रों का मुंह पूरब दिशा की तरफ होता है. (Photo : Reuters)
यज़ीदी की कब्रों का मुंह पूरब दिशा की तरफ होता है. (Photo : Reuters)

3. यज़ीदियों में पादरी या पीर जल छिड़क कर बच्चों का धर्म संस्कार करते हैं. जिस तरह ईसाइयों में शादी के लिए अंगूठियां बदली जाती हैं, उसी तरह यज़ीदी रोटी को दो टुकड़ों में बांटकर पति-पत्नी को खिलाते हैं और शादी हो जाती है. लाल जोड़ा पहनकर दुल्हन ईसाईयों के चर्च में जाती है.
इस्लाम में जिस तरह रोजा रखा जाता है, उसी तरह दिसंबर में यज़ीदी तीन दिन उपवास रखते हैं. लेकिन यज़ीदी पीर के साथ शराब पीकर अपना उपवास तोड़ते हैं. मुसलमानों में शराब हराम है. ये लोग मुसलमानों की तरह कुर्बानी करते हैं. और बच्चों की ख़तना भी कराते हैं.
यज़ीदियों में पादरी या पीर जल छिड़क कर बच्चों का धर्म संस्कार करते हैं. ये यज़ीदियों के बाबा हैं. (Photo : Reuters)
यज़ीदियों में पादरी या पीर जल छिड़क कर बच्चों का धर्म संस्कार करते हैं. ये यज़ीदियों के बाबा हैं. (Photo : Reuters)

4. यज़ीदी लोगों का विश्वास है कि रूह एक जिस्म से दूसरे जिस्म में दाख़िल होती है. आखिर में मोक्ष पाती है. यानी इनके यहां हिंदुओं की तरह पुनर्जन्म वाला कॉन्सेप्ट है. यज़ीदी के लिए धर्म निकाला सबसे बुरा माना जाता है, क्योंकि ऐसा होने पर उसकी रूह को मोक्ष नहीं मिलता. इसलिए उनमें धर्म बदलने का सवाल ही नहीं उठता. ये ही वजह है कि सदियों से उनपर ज़ुल्म हो रहा है, लेकिन उन्होंने अपना धर्म नहीं छोड़ा.

जब 40 हज़ार यज़ीदियों को घेरकर ISIS ने कत्लेआम शुरू किया

यज़ीदी उत्तर-पश्चिमी इराक़, उत्तर-पश्चिमी सीरिया और दक्षिण-पूर्वी तुर्की में छोटे-छोटे कम्युनिटी में रहते हैं. कट्टरपंथी और आतंकी गुट इस क़ौम पर इसलिए ज़ुल्म करती है कि ये "शैतान' को पूजते हैं. इन्हें मुसलमानों का दुश्मन मानते हैं. जिस तरह से इनका कत्लेआम ISIS ने शुरू किया है. उससे इनकी संख्या में कमी आई है. ये लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहे हैं.
इराक़ी यज़ीदी कनाडा, ग्रीस जैसे देशों में शरण के पलायन कर गए हैं. (Photo : Reuters)
इराक़ी यज़ीदी कनाडा, ग्रीस जैसे देशों में शरण के पलायन कर गए हैं. (Photo : Reuters)

ये वही ISIS है जो खुद को ही सच्चा मुसलमान बताता है. खुद को ही अल्लाह वाला बताता है. पता नहीं कौन से अल्लाह का उपासक है, जो इंसानों की जान लेते वक़्त इस आतंकी गुट के हाथ नहीं लरजते.
साल 2014 में ISIS ने यज़ीदी क़ौम पर ऐसा क़हर ढहाया कि करीब एक लाख के करीब यज़ीदी अपनी जान बचाकर इराक़ में सिंजर नाम की पहाड़ी पर भाग गए. ये पहाड़ी इराक में सीरिया बॉर्डर के पास है. ISIS ने इन लोगों को घेर लिया. यज़ीदियों को सड़क पर घसीटकर क़त्ल किया. औरतों को अगवा किया. बच्चों को गुलाम बनाया. उनको मारा भी गया. जो बच्चियां थीं उनके जिस्म की मंडी लगाई. लफ़्ज़ों में उस ज़ुल्म को नहीं बताया जा सकता जो यजीदियों पर हुआ. ये बड़ा जनसंहार था. जिसमें करीब 40 हज़ार लोग मारे गए थे.
इराक में सिंजर पहाड़ी को घेरकर ISIS ने यज़ीदी क़ौम का नरसंहार किया. जान बचाने को ट्रक में भरकर जाते यज़ीदी. (Photo : Reuters)
इराक में सिंजर पहाड़ी को घेरकर ISIS ने यज़ीदी क़ौम का नरसंहार किया. जान बचाने को ट्रक में भरकर जाते यज़ीदी. (Photo : Reuters)

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस ज़ुल्म से डरकर करीब 2 लाख यज़ीदी उस इलाके में पलायन कर गए जहां पर कुर्द लोगों को कब्ज़ा था. जो यज़ीदी पहाड़ी पर फंसे थे, उनके बारे में यूनिसेफ के प्रवक्ता जूलिएट टोमा ने मीडिया को बताया था, 'स्थिति बहुत खराब है. पहाड़ों में फंसे लोगों के सामने खाने-पीने का संकट पैदा हो गया है.'
इराक़ की एक न्यूज़ एजेंसी ने खबर दी थी कि करीब 40 बच्चें भूख से मर गए हैं. लाशें पहाड़ियों और सड़कों पर पड़ी मिल रही हैं. यज़ीदी लोगों के सामने दो ही ऑप्शन थे या तो इस्लाम कबूल करो या फिर मौत.
सिंजर के नरसंहार को समझने के लिए ये तस्वीर काफी है. 2016 में ये फोटो उस वक़्त सामने आई, जब कुर्दिश फाइटर वहां पहुंचे. (Photo : Reuters)
सिंजर के नरसंहार को समझने के लिए ये तस्वीर काफी है, जिसमें लाशों की हड्डियां बिखरी पड़ी हैं. 2016 में ये फोटो उस वक़्त सामने आई, जब कुर्दिश फाइटर वहां पहुंचे. (Photo : Reuters)

18 अगस्त 2014 में इस्लाम न कबूलने पर ISIS के आतंकियों ने 300 यज़ीदियों को एक साथ मारा था. उससे एक दिन पहले 80 को क़त्ल किया था. 80 लोगों की जान लेने से पहले 500 यज़ीदियों को मौत के घाट उतार दिया था.
जब 300 लोगों को मारा गया था उस वक़्त 1000 औरतों को बंधक बनाया था. इस कत्लेआम को देखकर ही अमेरिका ने मोसुल बांध के करीब आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए थे, जिसमें कुर्द लड़ाकों ने अमेरिका का साथ दिया.
ISIS से लड़ने के लिए कुर्दों ने अपने फाइटर तैयार कर लिए. जिन्हें ‘पेशमर्गा’ कहा जाता है. (Photo Reuters)
जब अमेरिका ने ISIS पर हवाई हमले किए तो कुर्द फाइटर ने साथ दिया. (Photo Reuters)

कितनी तादाद है यज़ीदियों की

आतंकी संगठन ISIS इराक के नक्शे से यजीदियों का नाम तक मिटा देना चाहता है. दुनियाभर में यज़ीदियों की संख्या कभी 2 करोड़ के करीब थी. जो लाखों की संख्या में सिमट कर रह गई है. क्योंकि ISIS के आतंकियों ने यजीदियों का नरसंहार किया है. औरतों को गुलाम बनाया. रेप किया. जिन महिलाओं को अगवा किया गया उनके साथ गैंगरेप हुआ.
इस बच्चे की मां को ISIS हमलों के दौरान बिछड़ गई थीं. दोनों कनाडा गवर्नमेंट की वजह से मिल पाए. और कनाडा में शरण लिए हुए हैं. (Photo : Reuters)
इस बच्चे की मां को ISIS हमलों के दौरान बिछड़ गई थीं. दोनों कनाडा गवर्नमेंट की वजह से मिल पाए. और कनाडा में शरण लिए हुए हैं. (Photo : Reuters)

हद ये कि बच्चों को भी बेचा गया. ISIS के खूंखार आतंकियों ने छोटी-छोटी मासूम बच्चियों को भी नहीं बख्शा है. यज़ीदियों की तादाद किस देश में कितनी है इसके स्पष्ट आंकड़े नहीं हैं. लेकिन इस क़ौम के मानने वाले इराक़ के अलावा ईरान, टर्की, अर्मेनिया, अज़रबैजान, जॉर्जिया, सीरिया में भी रहते हैं. इराक़ से भागे यज़ीदियों ने कनाडा, टर्की और ग्रीस में भी शरण ली है.

बचकर आई लड़कियों ने सुनाई आपबीती

ISIS के चंगुल से बचकर आई हुई औरतें बड़ी दर्दनाक आपबीती बताती थीं. हर औरत और लड़की की आपबीती हर बार दंग कर देने वाली होती थी. एक लड़की जब बचकर निकली तो उसने बताया था,
'ISIS के आतंकी औरतों के साथ जबरदस्ती कर रहे थे. वो औरतों और लड़कियों को जबरदस्ती ले जा रहे थे. मैंने देखा एक 60 साल का आदमी आया और 17 साल की लड़की को ले गया. ISIS के आतंकी दिन में 3-3 बार आते थे और जबरन लड़कियों को उठाकर ले जाते थे.'
ISIS के चंगुल से बचकर निकली यज़ीदी लड़की. (Photo : Reuters)
ISIS के चंगुल से बचकर निकली यज़ीदी लड़की. (Photo : Reuters)

15 से भी कम उम्र की एक बच्ची जो बचकर आई थी उसने बताया था, 'मैंने एक शख्स को देखा जो कुरान पढ़ रहा था. मैंने उसको कुरान का वास्ता देकर मुझे छोड़ने की गुहार लगाई. मैंने उससे कहा कि मैं छोटी बच्ची हूं. अभी मेरी शादी की उम्र नहीं हुई है. मैंने उससे कहा मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करूंगी, जिंदगी भर तुम्हारी सेवा करूंगी लेकिन मेरे साथ रेप मत करना. मुझे छूना भी मत. लेकिन उन लोगों ने मेरी एक नहीं सुनी.'
इन यज़ीदी लड़कियों की आपबीती सुनकर कलेजा कटता है. रोंगटे खड़े हो जाते हैं. कैसे जानवर लोग हैं ये.
इराक़ में नरसंहार के खिलाफ प्रोटेस्ट करते यज़ीदी. (Photo : Reuters)
इराक़ में नरसंहार के खिलाफ प्रोटेस्ट करते यज़ीदी. (Photo : Reuters)

ये एक क़ौम का नरसंहार नहीं था तो और क्या था? लेकिन इनके इंसाफ के लिए कहीं आवाजें नहीं गूंजीं. शायद इसलिए क्योंकि ये मुसलमान नहीं थे या फिर इनको मारने वाले कट्टरपंथी मुस्लिम ही थे. रोहिंग्या का दर्द कम नहीं है. लेकिन इंसाफ पसंदों को इस क़ौम के लिए भी इंसाफ की आवाज़ बुलंद करनी होगी. हिंसा के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने वालों को उस आतंक के खिलाफ बोलना होगा जो अल्लाह का नाम लेकर अल्लाह को ही बदनाम कर रहा है. अल्लाह और इस्लाम को आतंकी बदनाम कर रहे हैं फिर भी मुसलमान चुप है. ISIS धर्म का रक्षक नहीं बल्कि वो सत्ता पर कब्ज़ा करना चाहता है. जहां उसका ऐसा राज हो कि जैसा वो चाहे, वैसा ही लोग करें. लोग उसकी मर्ज़ी के गुलाम हो. इस आतंक के खिलाफ आवाज़ बुलंद करिए और इस्लाम की शांतिप्रिय इमेज को टूटने से बचाइए.


ये भी पढ़िए :

पहली किस्त : मुसलमानों की वो क़ौम, जिसे मुसलमान ही क़त्ल कर दे रहे हैं

दूसरी किस्त : कुर्द : मुसलमानों की इस क़ौम ने जब भी अलग देश की मांग की, तब मारे गए

तीसरी क़िस्त : हिंदुस्तान से निकली मुसलमानों की वो क़ौम, जो पाकिस्तान में जुल्म की शिकार है

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