अल्लाह मेहरबान तो मनीष पांडेय पहलवान!
उसने एक हाथ से कैच लिया और गेंद को वापस इतनी ऊंचाई पर फेंक दिया कि आसमान में एक छेद हो गया. उस शाम हर कोई पूछ रहा था, 'ये नया लौंडा कौन है?'
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कर्नाटक बनाम मुंबई. रणजी ट्रॉफी फाइनल. साल 2009. रणजी में दबदबा मुंबई का रहा है. उस साल भी उसका जीतना तय मान रहे थे लोग. लेकिन पहली पारी में उसके सब खिलाड़ी 233 पर ढेर हो गए. जवाब में कर्नाटक भी कुछ ज़्यादा तोप न मार पाई. आविष्कार साल्वी के सामने उन्होंने भी घुटने टेक दिए. मुंबई की दूसरी इनिंग्स में पहले पांच विकेट सिर्फ 51 रन पर गिर जाने के बाद अभिषेक नायर और धवल कुलकर्णी के बीच एक अच्छी साझेदारी बनी.
हुआ यूं कि इंडिया खेल चुके और टीम में पेंशन पाने की उमर तक पहुंच चुके खब्बू स्पिनर सुनील जोशी की एक फ्लाइटेड गेंद पर अभिषेक नायर का दिल आ गया और वो कूद कर क्रीज़ से बाहर आ पहुंचे. गेंद टप्पे से पहले डिप कर गई और शॉट की टाइमिंग बिगड़ गई. लग रहा था कि गेंद फील्डरों के बीच गिरेगी, पर एक खिलाड़ी के अंदर सोया हुआ सुपरमैन जाग उठा था. वो दौड़ता हुआ लॉन्ग ऑन पर आया, और हवा में यूं तैर गया जैसे पांचवीं के किसी लड़के ने कागज का हवाई जहाज बनाकर हवा में छोड़ दिया हो. एक हाथ से कैच लिया और तुरंत उठकर गेंद को वापस इतनी ऊंचाई पर फेंक दिया कि आसमान में एक छेद हो गया. हां तो, उस शाम हर कोई यही पूछ रहा था, 'ये नया लौंडा कौन है?'अभिषेक पचासा पूरा कर लिया और लगा कि मुंबई को पार लगा के ही मानेगा. लेकिन आगे जो हुआ उसने हर क्रिकेट फैन की जुबान पर ये सवाल रख दिया, 'ये नया लौंडा कौन है?'
उस मैच में मुंबई सिर्फ 6 रन से जीत पाई. फाइनल भले ही मुंबई ने जीता हो लेकिन वो सुपरमैन हर किसी की नजरों में आ गया था. और एक जरूरी बात तो बताना भूल गए. कर्नाटक की दूसरी इनिंग्स में भी उसने 144 रन बनाये थे, जिसमें 18 चौके शामिल थे.

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ऑस्ट्रेलिया बनाम इंडिया. पांचवां वन-डे. साल 2016. सीरीज के पिछले चार मैच इंडिया हार चुका है. 330 रन का पीछा करने उतरी इंडियन टीम को रोहित ने अच्छी शुरुआत दी लेकिन 330 रन तो 330 रन होते हैं. एक छोटा झटका भी मैच को हिला देता है. लेकिन यहां भी ये सुपरमैन खड़ा था. गेंदें खेलीं 81. रन बनाए एक सौ चार. आखिर इंडिया को जीत का चखना चखा ही दिया.
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांचवें वन-डे से पहले 75 लिस्ट-ए मैचों में 5088 रन बना चुके मनीष पांडेय IPL के 77 मैचों में 1571 रन बना चुके हैं. IPL में सेंचुरी मारने वाले पहले भारतीय होने का तमगा भी इन्हें ही मिला है.इन दोनों ही केस में सुपरमैन कॉमन है. मनीष पांडेय. उत्तराखंड का रहने वाला. कर्नाटक का सीधे हाथ का बल्लेबाज जिसके साथ बेहतरीन फील्डिंग एकदम फ्री में आती है.
अब आते हैं इनकी मार्मिक कहानी पर. पहली IPL सेंचुरी ने इतना तो तय कर ही दिया था कि सैनिक बाप के सैनिक बेटे के सपने को मनीष को और ढोना नहीं होगा और वो अब क्रिकेट ही खेलेगा.
मनीष 2009 में सेंचुरी मारते हैं, नजरों में आते हैं, लेकिन इंडिया के लिए खेलने का मौका मिलता है साल 2015 में.
पहले वनडे में 71 रन बनाने के बाद इन्हें अगली बार मौका मिलता है 6 महीने बाद. जिसमें पूरी सीरीज़ में सिर्फ दो बार बैटिंग मिलती है. कुल रन बनाते हैं 110. 12 दिन बाद टी-20 वर्ल्ड कप की टीम का चयन होता है और इनका नाम लिस्ट से गायब पाया जाता है.

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इस बार उन्हें झटका देने वाले का नाम था विराट कोहली. हड़बड़ाइए नहीं. टीम की सेटिंग ही ऐसी थी कि विराट कोहली जिन्हें श्रीलंका सीरीज के लिए आराम दिया गया था, की T20 वर्ल्ड कप टीम में वापसी होते ही मनीष पांडेय को बाहर जाना पड़ा.
देश के सबसे बेहतरीन T20 बल्लेबाजों में से एक को घर में बैठकर बुद्धू बक्से पर ही मैच इसलिए देखना पड़ रहा था, क्योंकि सालों पहले किसी ने किताब में लिख दिया था कि एक टीम में सिर्फ 11 खिलाड़ी ही हो सकते हैं. और आज के टाइम में 6 बल्लेबाज, एक आल राउंडर, और 4 गेंदबाज लेकर टीम बनाई जाती है. हर्षा भोगले भी यही कह रहे थे.
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बस यही एक बात मनीष को सालती रहती थी कि उन्हें गेंद को पकड़कर हाथ घुमाना क्यों नहीं आता. पवन नेगी जितना ही घुमा लेता भाई! या चेन्नई सुपरकिंग्स में एडमिशन ले लेता! लेकिन जब किस्मत मेहरबान हो और युवराज चोट खाए बैठे हों तो टीम में एंट्री भी हो सकती है. मनीष पांडे सेमी फाइनल का मैच खेलने के लिए टीम में बुलाये जा चुके हैं. हालांकि कहा ये भी जा रहा है कि अजिंक्य रहाने के ये मैच खेलने के उनसे ज़्यादा चान्सेज़ हैं. इस बात को सौरव गांगुली, वसीम अकरम और तमाम क्रिकेट की जानकारी के सिरमौर ज़ोर देकर कह रहे हैं.