क्या है PUBG का चाइना कनेक्शन, क्यों भारत सरकार ने इसे बैन नहीं किया?
ये रही पबजी की पूरी कहानी.
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यह पबजी-पबजी क्या है. पता करना है तो यह कहानी पढ़ लीजिए.
तारीख 29 जून. रात आठ बजे के आसपास का समय था. तभी खबर आई कि केंद्र सरकार ने 59 चाइनीज़ ऐप को बैन कर दिया है. बैन किए गए ऐप में टिकटॉक, न्यूजडॉग, क्लब फैक्ट्री, हेलो, शेयरइट जैसे नाम थे. कई लोगों को इस पर अचंभा हुआ. कई लोग निराश हुए और कई लोग हंसे. लेकिन सरकार का यह फैसला लद्दाख में चीन से चल रहे तनाव के बीच आया है. लद्दाख में महीनेभर से भारत और चीन के बीच टकराव चल रहा है. 15 जून को टकराव खूनी हुआ. इसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए. तब से ही चीन को सबक सिखाने को लेकर बातें हो रही हैं. आम से खास तक, सब चीन से बदला देने को मुट्ठियां भींच रहे हैं. ऐसे समय में सरकार ने चाइनीज ऐप को बैन करने का फैसला किया. इस ऐलान के बाद एक नाम और उछला. यह था- पबजी.सोशल मीडिया पर रही गहमागहमी
लोग कहने लगे कि पबजी को भी बैन किया जाए. यह भी चाइनीज है. यह चाइनीज है या नहीं, इस पर बात आगे करेंगे. लेकिन पहले यह बता दें कि कुछ लोग ऐसे भी थे, जो पबजी के बैन नहीं होने से झूम रहे थे. उनकी खुशी सोशल मीडिया पर छुप नहीं पा रही थी. कुछ नमूने देखिए और मजे लीजिए-
When Indian Govt. banned #TikTok
Me and bois: pic.twitter.com/BazekRUXLq
but not PUBG*😂 🙈
— DOPE.🍷 (@Antic_piece) June 29, 2020
Meanwhile Pubg to other 59 Chinese app.#PUBG
— Tushar Mandloi🇮🇳 (@TusharMandloi2) June 29, 2020
pic.twitter.com/PbscR9bM2P
#TikTok
— Narendra modi 💯 (@Pm_modi_99) June 29, 2020
and all chinese apps ban in india expect PubG PubG Player right now: pic.twitter.com/SvjWcrKcKc
Pubg watching other Chinese apps get banned #TikTok
— twiter.lines (@TwiterLines) June 29, 2020
pic.twitter.com/e7xzq84KI5
अच्छे लगे? मजा आया, बढ़िया! अब आते हैं उस बात पर, जिसे ऊपर अधूरा छोड़ा था. कि पबजी चाइनीज़ है या नहीं.When #TikTok
Everyone to government : pic.twitter.com/wzUCTOk8tj
is banned but not #PUBG
— Kuldeep Chaudhary (@Its__memes) June 29, 2020
क्या कहा? जानते नहीं ये पबजी क्या बला है?
कोई बात नहीं. कोई आपको जज नहीं करेगा. सबको हर बात पता हो, यह जरूरी तो नहीं. पर आपका दोस्त 'लल्लनटॉप' है, वो करेगा आपकी मदद. पहले तो यह जान लीजिए कि इसका पारलेजी बिस्किट या जूनियरजी सुपरहीरो से कोई लेना-देना नहीं है. यह एक गेम है. इसे आप मोबाइल पर भी खेल सकते हैं. और डेस्कटॉप या लैपटॉप पर भी. असल में इसका पूरा नाम है PLAYER UNKNOWN’S BATTLEGROUNDS. इसी को शॉर्ट में कहते हैं PUBG. जैसे आप में से किसी का नाम होगा सुल्तान, अभिषेक, राजेश्वर आदि, आदि. पर घरवाले चिंकू, मिंकू या राजू कहकर बुलाते हैं. बस वही बात यहां भी है.
होता क्या है इस गेम
यह एक मारधाड़ वाला गेम है, जिसमें खूब गोलियां-वोलियां चलती है. इस गेम में अलग-अलग कुछ नक़्शे होते हैं. उसमें हवाई जहाज़ आपको छोड़ के जाता है. आप जैसे और भी लोग होते हैं. हथियार और दुश्मन, दोनों नीचे मिलते हैं. झट से पहुंचकर उनका काम तमाम करके आख़िर तक बचे रहना होता है. गाड़ी-स्कूटर, दवा-दुआ सब मिलती है. अपने जैसी बाक़ी टीमें जहां मिल जाएं, वहां लोग आपस में निपट लेते हैं. बीच-बीच में हवाई जहाज़ से स्पेशल सामान वगैरह भी आता रहता है. जीतने वाले को मिलता है इनाम. जिसे कहते हैं- ‘विनर-विनर, चिकन डिनर.’ अब असली में चिकन मिलता है या नहीं. यह हमको पता नहीं, क्योंकि अपन कभी जीते नहीं.
यहां तक सब क्लियर है? ठीक.
कौन हैं पबजी के जनक
पबजी के जनक हैं आयरलैंड के एक भाईसाब. नाम है ब्रेंडन ग्रीन. फोटो खींचने के साथ ही इन्हें वीडियो गेम बनाने का भी शौक है. उन्होंने Arma: 2 नाम से एक गेम बनाया. इसे बनाने के बाद वे वीडियो गेम्स बनाने में ही घुस गए. फिर इनको एक जापानी फिल्म 'बैटल रॉयल' खूब पसंद आई. यह फिल्म 42 छात्रों के बारे में है. इनमें लड़के और लड़कियों, दोनों शामिल होते हैं. फिल्म की शॉर्ट में कहानी ऐसी है कि इन छात्रों के जंगल में छोड़ दिया जाता है. यहां सब एक-दूसरे के दुश्मन है. जो आखिर तक जिंदा रहेगा, वही जीतेगा. फिर शुरू होती है खून-खराबे की कहानी. इसे देखकर ग्रीन भाईसाब की दिमाग की बत्ती जल गई. उन्होंने इसी की तर्ज़ पर उन्होंने गेम बनाया. इसका नाम था DayZ: Battle Royale. इस गेम से ग्रीन का सितारा एकदम मस्त चमका. बाद में उन्होंने सोनी कंपनी के साथ एक वीडियो गेम के लिए काम किया.

पबजी के पापा ब्रेंडन ग्रीन.
यह साल था 2016. वही साल, जब भारत वाले टी20 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में हार के गम में डूबे थे. वही साल, जब शाहरुख खान की 'फैन', सलमान खान की 'सुल्तान' और आमिर खान की 'दंगल' आई थी. लेकिन एक फिल्म और आई थी. नाम था 'एमएस धोनी: दी अनटोल्ड स्टोरी'. इसमें 30 साल के एक लड़के सुशांत सिंह राजपूत ने सिनेमाई पर्दे पर भारत के सबसे कामयाब कप्तान को हूबहू उतार दिया था. लेकिन चार साल बाद सुशांत सिंह हमारे बीच नहीं रहे. ख़ैर.
फिर हुआ पबजी का अवतार
तो ब्रेंडन ग्रीन को साल 2016 में ही एक दिन एक दक्षिण कोरिया की एक कंपनी ने बुलाया. कंपनी का नाम था- ब्ल्यूहोल कॉर्पोरेशन. यह कंपनी वीडियो गेम बनाती है. ब्ल्यूहोल ने ग्रीन से कहा- हमारे लिए एक गेम बनाओ. बिलकुल उस जापानी फिल्म 'बैटल रॉयल' जैसा. अब नेकी और पूछ-पूछ. ग्रीन भी यही चाह रहे थे. वे चले गए दक्षिण कोरिया. अगले साल-डेढ़ साल तक ग्रीन वीडियो गेम बनाने में जुटे रहे. काम पूरा हुआ दिसंबर 2017 में. इसका नाम रखा PLAYER UNKNOWN’S BATTLEGROUNDS यानी PUBG. हिंदी में मतलब हुआ अनजान खिलाड़ियों की जंग का मैदान.

पबजी में एक साथ 100 लोग खेलते हैं. जो आखिर तक बना रहता है, वहीं जीतता है.
कोरिया-जापान में घुसा चीन
यह गेम रिलीज होते ही छा गया. लोग इसे खेलने को टूट पड़े. इसका नतीजा यह रहा कि ब्ल्यूहोल कंपनी ने अपना नाम ही बदल लिया. वह ब्ल्यूहोल से बन गई पबजी कॉर्पोरेशन. पबजी की धमक चीन में भी पहुंची. पर चीन में सब कुछ सरकार तय करती है. उसने कहा कि गेम में बहुत हिंसा है. बच्चे बिगड़ जाएंगे. इसलिए बैन लगाने की बात कही. लेकिन तभी एक चीनी कंपनी एंटर हुई. नाम है- टेंशेट होल्डिंग्स. यह चीन की धाकड़ कंपनी है. कई काम करती है. जैसे- फिल्में बनाती है, मैसेजिंग ऐप चलाती है.
इसी में एक काम है गेम्स बनाना. इस काम के लिए अलग से कंपनी बना रखी है. टेंशेंट गेम्स के नाम से. इसने चीन सरकार से कहा कि हम इस गेम को अपने देश के हिसाब से बनाएंगे. सरकार ने 'हां' कर दी. टेंशेंट ने पबजी कॉर्पोरेशन से बात की. कहा- इस गेम को हम चीन के हिसाब से बनाएंगे. हमें लाइसेंस दे दो. दोनों ने हाथ मिला लिए. टेंशेंट ने 11 फीसदी के आसपास हिस्सेदारी खरीद ली और पबजी कॉर्पोरेशन से मोबाइल के लिए बनाने का लाइसेंस ले लिया.
इस तरह जापानी फिल्म पर कोरियाई कंपनी के गेम में चीन घुस गया.Happy Anniversary to @PUBGMOBILE
What are your most memorable chicken dinners? 🍗 https://t.co/OaTevSr13O
! 2 years ago we brought the best Battle Royale experience to mobile.
— Tencent Games (@TencentGames) March 21, 2020
जिसे पबजी का लगया रोग...
साल 2018 में टेंशेंट ने पबजी को मोबाइल पर रिलीज कर दिया. देखते ही देखते भारत सहित कई देशों में यह हिट हो गया. पबजी कंप्यूटर के साथ ही मोबाइल पर भी नंबर वन हो गया. क्या बच्चे और क्या बूढ़े, सब इसे खेलने लगे. हुआ यह है कि जिसे पबजी का चस्का लगा, वह अपनी ही खबर भूल गया. लोग दीवाने हो गए. इस दीवानगी ने कई समस्याएं भी खड़ी कीं. पर उस पर फिर कभी बात करेंगे.
अब बात उसकी, जिसके लिए यह कहानी लिखी
पबजी गेम दक्षिण कोरियाई कंपनी पबजी कॉर्पोरेशन का ही है. लेकिन मोबाइल वाला वर्जन चीनी कंपनी टेंशेंट ने बनाया. तभी तो मोबाइल पर चलाने पर पहले टेंशेंट लिखा आता है, फिर पबजी कॉर्पोरेशन आता है. जबकि डेस्कटॉप पर केवल पबजी का ही नाम आता है. तो चीन से पबजी का केवल मोबाइल वर्जन से ही नाता है. वह भी चाय में मिली अदरक जितना. संभव है कि इसी वजह से भारत सरकार ने पबजी को 'विनर, विनर, चिकन डिनर' करा दिया. और टिकटॉक, हेलो को अलविदा कर दिया.

पबजी को मोबाइल में ढाला चीनी कंपनी टेंशेंट ने. इसलिए मोबाइल पर पहले उसका नाम आता है.
अब चलते-चलते कुछ बातें पॉइंटर्स में-
# पबजी को गूगल प्ले स्टोर में करीब 10 करोड़ लोग डाउनलोड कर चुके हैं. वैसे कुल मिलाकर ये गेम करीब 60 करोड़ बार डाउनलोड हुआ है. # पबजी फ्री गेम है. इसे डाउनलोड करने में कोई पैसा नहीं लगता. हालांकि गेम के अंदर जरूर सुविधाओं के लिए पैसे खर्च करने होते हैं. # पबजी के दो हिस्से हैं. पबजी पीसी पूरी तरह दक्षिण कोरियाई कंपनी का है. वहीं पबजी मोबाइल में थोड़ा-सा हिस्सा चीन का भी है. # पबजी बनाने वाले ब्रेंडन ग्रीन का सोशल मीडिया नाम PLAYER UNKNOWN है. # टेंशेंट दुनिया की सबसे बड़ी गेम बनाने वाली कंपनी है. कॉल ऑफ ड्यूटी, फॉर्टनाइट जैसे गेम भी इसी कंपनी ने बनाए हैं. # टेंशेंट ने पबजी में हिस्सा कितने में लिया, यह नहीं बताया. लेकिन साल 2019 में उसे इस गेम से 950 करोड़ रुपये की कमाई हुई.
Video: मोदी सरकार ने जो चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया, उसका असली मतलब क्या है?

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