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गुजरात में गरबा क्यों खेलते हैं?

गरबा देखने दुनियाभर से लोग गुजरात पहुंचते हैं.

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Why do Gujaratis do Garba? Know the history
गुजरात में नौ दिन के लिए गरबा के माध्यम से दुर्गा माँ की साधना की जाती हैं, क्रेडिट्स इंडिया टुडे
26 सितंबर 2022 (Updated: 26 सितंबर 2022, 21:41 IST)
Updated: 26 सितंबर 2022 21:41 IST
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नवरात्रि शुरू हो चुकी है. देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से नवरात्रि मनाई जाती है. कई इलाकों में पंडाल लगते हैं, कई इलाकों में घरों में ही घट पूजा करके ये त्योहार मनाया जाता है. सबसे ज्यादा ध्यान खींचती हैं मध्य भारत में दुर्गा पंडालों के साथ सजने वाली झांकियां, पश्चिम बंगाल की काली पूजा और गुजरात का गरबा. 

वैसे अब गरबा देश के दूसरे राज्यों में भी होने लगा है, पर गरबे का असली रंग तो गुजरात में ही दिखता है. रंग-बिरंगी चनिया चोली, एक लय में गरबा करते सैकड़ों-हज़ारों लोग. नाचने वाले को भी मज़ा आता है और देखने वाले को भी. पर ये गरबा शुरू कब और कैसे हुआ?

क्यों करते हैं गुजरात में गरबा

ये तो सबको पता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा होती है. उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश होती है ताकि जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहे. गर्बो या गरबा शब्द की उत्पत्ति हुई है संस्कृत शब्द गर्भदीप से. ये एक स्त्री के गर्भ का प्रतीक माना जाता है. गोलाकार छेद वाले मटके को गर्बो के नाम से जाना जाता है. इसकी स्थापना होती है और देवी को खुश करने के लिए गर्बो के चारों तरफ घूम-घूमकर नृत्य किया जाता है. और इसी नृत्य को गरबा कहा जाता है. बीच में रखा गर्बो जीवन का प्रतीक है.

बड़े-बुजुर्ग इसके पीछे एक पौराणिक कहानी भी बताते हैं. वो बताते हैं कि एक समय ऐसा था जब महिषासुर नाम के राक्षस ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी थी. उसे वरदान मिला था कि कोई महिला उसे मार नहीं पाएगी और देवता भी उसे हरा नहीं पा रहे थे. तब देवता मदद के लिए विष्णु के पास गए. बहुत चर्चा हुई, और फिर ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने अपनी शक्तियों को मिलाया, जिससे शक्ति यानी दुर्गा का अवतार हुआ. महिषासुर से लगातार नौ दिन लड़ने के बाद दुर्गा ने उसका वध कर दिया. इससे महिषासुर के अत्याचारों का अंत हुआ. 

गुजरात का गरबा पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. यहां का गरबा देखने विदेशों से लोग पहुंचते हैं. इस साल लल्लनटॉप की टीम भी गुजरात जाएगी, बने रहिएगा हमारे साथ.

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