The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Lallankhas
  • Why did king Bharat pretend to be a fool, story from Bhagvata Burana

क्यों मूर्ख बनने का दिखावा करते रहे राजा भरत?

मोक्ष पाने के लिए मूर्ख का रोल करते रहे राजा भरत. पर एक दिन उन्होंने दुनिया को ऐसा ज्ञान दिया कि सबके मुंह खुले रह गए. कहानी श्रीमद्भगवत महापुराण से.

Advertisement
Img The Lallantop
इमेज क्रेडिट: जगन्नाथ
pic
प्रतीक्षा पीपी
11 दिसंबर 2015 (Updated: 11 दिसंबर 2015, 06:23 AM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
राजा भरत अपने सेकेंड जन्म में जब ब्राह्मण के बेटे बनकर पैदा हुए तो बड़े कॉन्शियस रहते थे. क्यों? कहते हैं कि दूध का जला छाछ भी फूंककर पीता है. भरत जी भी बड़े संभल कर रहते थे कि कहीं किसी मोह-प्रेम में पड़कर दुनियादारी में न लग जाएं और फिर से अपनी मुक्ति का रास्ता बंद कर लें. इसलिए उन्होंने फैसला लिया कि वो अब दुनिया के सामने बेवकूफ बनकर रहेंगे और ऐसा बर्ताव करेंगे जैसे वो बैलबुद्धि हों. इससे न कोई उनसे बात करेगा, न किसी का मोह होगा. सारे पापा लोगों की तरह उनके पापा ने भी उन्हें पढ़ाने-लिखाने की पूरी कोशिश की. पर वो पूरी ढिठाई से मूर्ख बने रहे. दिखावटी मूर्खता के कारण उनका नाम जड़ भरत रख दिया गया. पापा के स्वर्गवास के बाद जड़ भरत को उनके भाइयों ने खेतों में काम करने के लिए लगा दिया. भाई लोग काम तो तबीयत से काम कराते थे, पर खाने को घुइयां कुछ नहीं देते थे. पर वे सब कुछ सहते रहे. एक दिन जड़ भरत को कुछ डाकू उठाकर ले गए. डाकुओं ने सोचा आज इसको मार के चंडिका को नर बलि देंगे. पर चंडिका देवी को तो ये सीक्रेट पता था कि मूरख सा दिखने वाला जड़ भरत असल में बहुत भौकाली आदमी है. जैसे ही डाकू भरत का सिर काटने वाले थे, देवी प्रकट हुईं और डाकुओं का कर दिया काम तमाम. जड़ भरत वहां से बच निकले. एक दिन वो ऐसे ही टहल रहे थे कि राजा रहूगण की सवारी निकली. कहारों ने देखा कि एक ऐसा आदमी घूम रहा है जिसका शरीर तो सलमान खान का है और दिमाग बैल का. बस बुला लिए उसको राजा की पालकी उठवाने के लिए. भरत जी बड़ा संभल संभल कर चल रहे थे कि चींटी टाइप के छोटे जीव कहीं उनके पांव से दबकर मर न जाएं. इससे पालकी हिलने लगी और राजा गया बौराय. राजा बोला कि अब तो हम तुमको दंड देंगे. बैकग्राउंड में बजी बांसुरी और भरत आ गए फिलॉसफर के रूप में. बोले, किसको दंड दोगे राजा? इस शरीर को? शरीर तो मैं छोड़ दूंगा धरती पर. वो तो मेरा है भी नहीं. मेरी तो आत्मा है. उसको कैसे सज़ा दोगे? किस अधिकार से दोगे? क्या तुम ईश्वर हो? प्रॉब्लम यह है कि तुम बन गए हो राजा और इसलिए बहुत उड़ रहे हो. पर एक दिन टाइम तुम्हारा भी आएगा और भगवान सारे पर काट लेंगे. राजा को लगा शॉक. हाथ जोड़कर बोले, मैं तो कपिल मुनि से ज्ञान लेने जा रहा था. पर तुम तो खुद ही बहुत ज्ञानी हो. मैं तुमसे ही ज्ञान लूंगा. फिर बताया उनको भरत ने कि सबसे पहले तो तेरा-मेरा करना बंद करो. कुछ भी तुम्हारा नहीं है. सब है भगवान का. मोह माया छोड़ो, भगवान से नाता जोड़ो. तभी तुम्हारा भला होगा. लेक्चर पाकर राजा की आंख खुली और निकल लिया जंगल की ओर तपस्या करने. (श्रीमद्भगवत महापुराण)

Advertisement

Advertisement

()