कहानी 'जो जीता वही सिकंदर' के रतनलाल की, जिन्होंने जेपी दत्ता की ओछी हरकत पर 'बॉर्डर' ठुकरा दी
एक और सफल एक्टर, जिसका करियर ड्रग्स खा गए.
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'जो जीता वही सिकंदर' में अगर रतन न होता तो संजू कभी रेस नहीं जीत पाता.
अगर यादगार हिंदी फिल्में देखते आए हैं तो बताने की ज़रूरत नहीं कि यहां किसकी बात हो रही है. फिर भी हमारा फर्ज़ है बताना. रतन और संजू ‘जो जीता वही सिकंदर’ यूनिवर्स के किरदार हैं. वो फिल्म जो स्पोर्ट्स, रोमांस और दोस्ती जैसी कई चीज़ें कवर करती है. फिल्म के किरदार आज भी मेमोरेबल हैं. और ऐसा सिर्फ लीड कैरेक्टर्स के लिए ही नहीं कहा जा सकता. सपोर्टिंग कास्ट भी क्या कमाल थी. ऐसे ही यादगार किरदारों में से एक था रतन. जिसे अब मामिक सिंह के अलावा किसी और की शक्ल में इमैजिन नहीं किया जा सकता.
