श्राद्ध का समय था. राजा इक्ष्वाकु* ने अपने बेटे विकुक्षि से कहा बेटा यज्ञ में आहुति देने के लिए पवित्र जानवरों का मांस ले आओ. विकुक्षि जंगल पहुंचा और और अच्छे-अच्छे जानवर मार लिए. अब वो थक गया और भूख के मारे पेट कुलबुलाने लगा. वो भूल गया कि श्राद्ध के लिए मारे हुए जानवर को खुद नहीं खाना चाहिए. उसने एक खरगोश खा लिया.
यज्ञ के समय जब मांस की साफ-सफाई होने लगी, तब इक्ष्वाकु के गुरु ने उनसे कहा कि मांस तो पवित्र नहीं है इसलिए उससे यज्ञ नहीं हो सकेगा. जब उनको अपने बेटे की करतूत के बारे में पता चला तो गुस्से में उसे राज्य से बाहर निकाल दिया. भगवान का भजन करते हुए वो जंगलों में घूमता रहा. पापा के मरने के बाद जब राज करने के लिए वापस आया तो उसने खूब बड़े-बड़े यज्ञ कराये और शशाद के नाम से फेमस हुआ.
*इक्ष्वाकु= मनु जी के छींकने पर उनकी नाक से निकला बच्चा
(स्रोत: श्रीमद्भागवत महापुराण)