जब राक्षस को मारने पर कृष्ण जी पर गौ-हत्या का पाप लगने वाला था
नारद जी ने उनको ट्रिक बता दी, वरना दुष्ट मामा कंस ने तो उन्हें हर तरह से फंसा ही दिया था.
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उनने उस राक्षस को पकड़ा और जमीन पर पटक कर मार डाला. राक्षस तो मर गया लेकिन सयानी राधा ने श्रीकृष्ण से कहा. आपको गौ हत्या का पाप लगा है. क्योंकि जिस वक़्त आपने अरिष्टासुर को मारा वो बछड़ा बना था. और बछड़ा तो गाय का बच्चा होता है. इसलिए अब आपको देशभर के सारे तीर्थों का दर्शन करके आना पड़ेगा. तभी जाकर आप इस पाप से मुक्त हो पाएंगे.
कृष्ण जी चिंता में पड़ गए, आप ही सोचो गौ-हत्या के नाम पर कौन नहीं चिंता में पड़ जाता है? श्रीकृष्ण ने ट्रबलशूटर देवर्षि नारद से डिस्कस किया. गौ-हत्या न लगे ऐसा क्या कर दूं
पूछा. नारद ने उनसे कहा कि आप सभी तीर्थों को पानी के रूप में उस जगह बुलाइए जहां आपने उस बछड़े मतलब अरिष्टासुर को मारा था. फिर उन सभी के तीर्थों के जल को एक दूसरे में मिलाकर नहा लीजिए.
एक बार ऐसा करते ही आप इस पाप से छूट जाएंगे. देवर्षि नारद ने जैसा बताया कृष्ण जी ने वैसा ही किया. और पता क्या ट्रिक यूज की? अपनी बंसी से छोटा सा कुंड खोदा और सब तीर्थों से कहा इसमें जल बनकर आ जाओ. सबने उनकी बात मान ली. उनने स्नान-ध्यान किया. पंडित जी लोग को खाना खिलाया. दान-दक्षिणा दी. सबको खुश किया तब जाकर उस दिन वो पाप मुक्त हुए.
फिर इसी कुंड के बगल में राधा जी ने भी एक कुंड बना दिया. उनने अपने कंगन से कुंड खोदा था. उनकी सहेलियों ने उनकी हेल्प की और उस कुंड को बड़ा कर दिया. कृष्ण जी को ये बहुत अच्छा लगा और उन्होंने वादा किया. वो रोज़ उसमें नहाएंगे.

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मथुरा से चार-पांच किलोमीटर दूर कोई अरिता गांव है. वहां आज भी दो कुंड हैं. एक का पानी सफेद और एक का थोड़ा काला. मजे की बात ये कि अंदर से दोनों जुड़े हैं, लेकिन बाहर से अलग-अलग दिखते हैं. एक इंट्रेस्टिंग बात और है. राधा कुंड चौकोर है. जबकि कृष्ण जी वाला आड़ा-तिरछा.