The Lallantop
Advertisement

अस्त्र शस्त्र नहीं, भगवान के कंटाप से मरा ये राक्षस

जब भगवान ने धरा जोर का कंटाप तो ये राक्षस गोल गोल घूमने लगा.

Advertisement
Img The Lallantop
Source: Flickr
pic
प्रतीक्षा पीपी
11 दिसंबर 2015 (Updated: 7 जनवरी 2016, 08:49 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
हिरण्याक्ष राक्षस का भगवान नारायण के अवतार के हाथों मरना तय था. हिरण्याक्ष ने महर्षि नारद को टेलीपैथी से कहा कि भगवान कहां हैं, हमको मिलना है. नारद जी बोले कि भगवान तो अभी धरती को रसातल से निकालने में बिजी हैं. हिरण्याक्ष तुरंत भगवान के पास पहुंचा. उसने देखा कि भगवान जंगली सुअर के रूप में धरती को अपने दांतों पर उठाए बाहर निकल रहे हैं. हिरण्याक्ष ने भगवान से बहुत बदतमीज़ी से कहा- ओ मूर्ख. इस धरती को छोड़ और यहां से कट ले. आज मैं मोगैम्बो वाले मूड में हूं. यहीं तुझे निपटा दूंगा. भगवान के दांतों पर धरती अटकी हुई थी, इसलिए उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. हिरण्याक्ष को ठंडक नहीं पड़ी. वो फिर बदतमीजी करते हुए भगवान को कोंचने लगा. भगवान ने धरती को रखा पानी पर और बोले- बेटा बहुत टिपिर-टिपिर कर रहे थे, अब आओ तुमको बताते हैं. हम खुद जंगली सुअर का रूप धरे हुए हैं. तुम जैसे गली के कुत्ते से भला क्यों डरेंगे? ये कहकर भगवान ने राक्षस पर गदा चलाई. पर राक्षस था मायावी, उसने चला दी आंधी. बिजली कड़कड़ने लगी, चांद, सूरज सब छुप गए. फिर भगवान ने निकाला अपना सुदर्शन चक्र और उसके मायाजाल को काट दिया. फिर जड़े उन्होंने हिरण्याक्ष को 2-3 कंटाप ऐसे कि राक्षस गोल गोल घूमने लगा और आंखें बाहर आ गईं.. राक्षस का लग गया काम. जान तो गई ही, बेइज्जती अलग हुई. (श्रीमद्भागवत महापुराण)

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement