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नेहरू को सत्ता देते वक्त जो 'सेंगोल' अंग्रेजों ने दिया, वो क्या है और क्यों नई संसद में रखा जाएगा?

सेंगोल का इतिहास मौर्य साम्राज्य से मुगल और अंग्रेजों तक जाता है...

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amit shaw told that sengol will be established in new parliament
अमति शाह ने जानकारी दी कि संसद में रखा जाएगा सेंगोल (तस्वीर: इंडिया टुडे)
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24 मई 2023 (Updated: 24 मई 2023, 15:27 IST)
Updated: 24 मई 2023 15:27 IST
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गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की. बताया कि 28 मई को नए संसद भवन (New Parliament) का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. इस दौरान संसद भवन के निर्माण से जुड़े 60 हजार "श्रमयोगियों" को प्रधानमंत्री मोदी सम्मानित भी करेंगे.

अमित शाह ने जानकारी दी कि नई संसद के उद्घाटन के मौके पर नए भारत को परंपरा से जोड़ा जाएगा. आजादी के बाद भुला दिए गए सेंगोल की संसद भवन में स्थापना होगी. इसे तमिलनाडु से आए विद्वान प्रधानमंत्री को सौंपेंगे. अमित शाह ने कहा कि सेंगोल भारतीय परंपरा का हिस्सा रहा है. इसका संबंध भारत के इतिहास और आजादी से है. उन्होंने कहा कि इसके लिए संसद भवन से अधिक उपयुक्त, पवित्र और उचित स्थान कोई हो ही नहीं सकता. तो आखिर ये सेंगोल है क्या, इसका इतिहास क्या है, आजादी से इसका क्या संबंध है. आइये समझते हैं.

सेंगोल क्या है ?

सेंगोल शब्द संस्कृत के "सुंक" शब्द से बना है. जिसका अर्थ होता है "शंख." शंख वैदिक परंपरा में पौरुष के उद्घोष का प्रतीक है. इसे राज्य के विस्तार, प्रभाव और संप्रभुता से भी जोड़ कर देखा जाता है. ऐसे ही सेंगोल भी राज्य की संप्रभुता, प्रभाव, विस्तार और पौरुष के प्रतीक के तौर पर वर्णित है. परंपरा में सेंगोल को "राजदण्ड" कहा जाता है. जिसे राजपुरोहित राजा को देता था. वैदिक परंपरा में दो तरह के सत्ता के प्रतीक हैं. राजसत्ता के लिए "राजदंड" और धर्मसत्ता के लिये "धर्मदंड". राजदंड राजा के पास होता था और धर्मदंड राजपुरोहित के पास. इसके अलावा सेंगोल तमिल भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ "संपदा से संपन्न" होता है. पुराने समय में ये राजा की शक्ति और सत्ता का प्रतीक माना जाता था.

PM Modi to install Sengol in new Parliament building | Know its legacy - India  Today
नए संसद भवन में स्थापित होगा सेंगोल (तस्वीर: इंडिया टुडे)
सेंगोल का इतिहास

सेंगोल का इतिहास भारत में ईसा पूर्व तक जाता है. सबसे पहले इसका प्रयोग मौर्य साम्राज्य (322-185 ईसा पूर्व) में सम्राट की शक्ति के प्रतीक के तौर पर किया जाता था. गुप्त साम्राज्य (320-550 ई.), चोल साम्राज्य (907-1310 ई.) और विजयनगर साम्राज्य (1336-1946 ई.) में भी सेंगोल के प्रयोग के प्रमाण मिलते हैं. मुगल और ब्रिटिश हुकूमत भी अपनी सत्ता और साम्राज्य की संप्रभुता के प्रतीक की तौर पर सेंगोल (राजदण्ड) का प्रयोग करती थीं. गृहमंत्री अमित शाह ने आपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी देते हुए बताया कि आजादी के समय जब नेहरू से पूछा गया कि सत्ता हस्तांतरण के समय क्या आयोजन होना चाहिए तब नेहरू ने अपने सहयोगी सी. गोपालाचारी की सलाह पर तमिलनाडु से सेंगोल मंगाया था. 14 अगस्त की रात को अंग्रेजों ने प्रधानमंत्री नेहरू को सेंगोल सौंप कर ही सत्ता का हस्तांतरण किया था.

Historic Sceptre, 'Sengol', To Be Placed In New Parliament Building: Home  Minister Amit Shah
प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सेंगोल को हाथों में लिये हुए (तस्वीर: ट्विटर) 

                                       

आजादी के बाद कहां गया सेंगोल?

भारत की आजादी के बाद सेंगोल या राजदंड का प्रयोग नहीं किया जाता था. इसे ऐतिहासिक धरोहर मानते हुए, इलाहाबाद संग्रहालय में रख दिया गया. गृहमंत्री अमित शाह ने प्रेस कॉफ्रेंस में कहा कि इस पवित्र सेंगोल को किसी संग्रहालय में रखना अनुचित है. उन्होंने सवाल उठाया कि आजादी के बाद अब तक सेंगोल भारतीयों के सामने क्यों नहीं आया. सेंगोल को शाह ने अंग्रेजों से भारतीयों के हाथों में सत्ता आने का प्रतीक कहा और बताया कि पीएम मोदी को जब इस परंपरा की जानकारी मिली तो गहन चर्चा-विमर्श के बाद उन्होंने सेंगोल को संसद में स्थापित करने का फैसला लिया. 96 साल के तमिल विद्वान जो 1947 में उपस्थित थे, नए संसद में सेंगोल की स्थापना के समय मौजूद रहेंगे.

(ये स्टोरी हमारे साथी अनुराग अनंत ने की है)

 

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