क्यूं IRCTC के IPO के लिए अप्लाई करना फायदे का सौदा है?
जानिए क्या होता है IPO और इसे खरीदते वक्त किन-किन बातों का ख्याल रखना होता है.
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फोटो - thelallantop
माताप्रसाद एक पान की दुकान खोलता है- बनारसी पान भंडार. अपने दम पे. माताप्रसाद को इसमें प्रॉफिट होना शुरू हो जाता है. तो माताप्रसाद सोचता है कि क्यूं न लोन लेकर इस पान की दुकान को बड़ा कर इसे परचून की दुकान में बदल दिया जाए. लेकिन एक दिक्कत है. उसे कहीं से लोन मिल नहीं रहा. मिल भी रहा तो आधा अधूरा. या कहीं बहुत ज़्यादा ब्याज देना पड़ रहा है. कहीं सिक्यूरिटी में अपनी पान की दुकान गिरवी रखनी पड़ रही है. तो माताप्रसाद मन मसोस कर रह जाता है. और इस तरह का रिस्की लोन लेने के बजाए वह फिर अपने पान बेचने में लग जाता है. एक दिन उसके पास पान खाने असलम चचा आते हैं. बोलते हैं, 'पान की दुकान तो बहुत अच्छी जगह लगाई है. यहां पर परचून की दुकान खोल लो, आधे पैसे मैं दूंगा. मगर आधा प्रॉफिट भी मेरा.' बेशक असलम चचा ने माताप्रसाद के मन की बात छीन ली थी. लेकिन माताप्रसाद नहीं माना. और कारण भी वैलिड है. क्यूंकि माताप्रसाद ने अपनी दुकान को बहुत मेहनत से एस्टेब्लिश किया था. साथ ही उसकी दुकान पहले से ही है, जहां से उसे प्रॉफिट मिल ही रहा है. कम ही सही. तो सिर्फ आधे पैसे लगाकर असलम चचा आधी कंपनी (बनारसी पान भंडार) के मालिक बन जाएंगे. लेकिन पिछले सारे पैसों का क्या? उसकी प्राइम लोकेशन का क्या? दो साल से जो गुडविल कमाई है उसका क्या? ये सब चीज़ें ध्यान में रखकर तय होता है कि आगे आने वाले रिनोवेशन के सारे पैसे असलम चाचा देंगे. लगभग 5 लाख रुपए. और इसके बाद प्रॉफिट, लॉस, दुकान के सारे सामान में से 10 प्रतिशत हिस्सा उनका रहेगा. अगर दुकान बिकती है, तो उसका भी. यूं 5 लाख रुपए में असलम चचा को 10 प्रतिशत की हिस्सेदारी मिल जाती है. अब माताप्रसाद 4 ऐसे और लोगों को ढूंढता है, उन्हें भी 5-5 लाख में दुकान की 10-10 प्रतिशत हिस्सेदारी दे देता है. यानी माताप्रसाद अपनी दुकान की 50% हिस्सेदारी बेच के पच्चीस लाख कमा लेता है. ये जो 50 प्रतिशत हिस्सेदारी माताप्रसाद ने बेची उसे कहते हैं आईपीओ. यानी इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग. कहानी यहां ख़त्म नहीं होती. माताप्रसाद तो अपने पचास प्रतिशत हिस्से को बेचकर निश्चितं हो जाता है और अपने काम में लग जाता है. वही दुकान खोलना, वही रिनोवेशन. वही फायदे का 50% बाकी 5 लोगों में दे देना. लेकिन बाकी 5 लोग अपने-अपने शेयर खरीदने-बेचने लग जाते हैं. जैसे असलम चचा अपने दस प्रतिशत शेयर में से 5 प्रतिशत शेयर 4 लाख में बेच देते हैं. इसे कोई सातवां खरीद लेता है. कोई और अपने शेयर नुकसान में बेचता है, क्यूंकि उस वक्त माताप्रसाद का बिज़नस घाटे में चल रहा होता है. कोई दस के बदले अपने शेयर 12 प्रतिशत शेयर कर लेता है. यूं माताप्रसाद के पास तो अपने 50 प्रतिशत शेयर हमेशा रहते हैं, लेकिन बाकी के शेयर जो माताप्रसाद ने ‘इनिशियली’ बेचे थे, उनका भी व्यापार होना शुरू हो जाता है. इसे ही ट्रेडिंग कहते हैं. वो देखते हैं न आप सेंसेक्स ऊपर गया. नीचे गया. ये वही है. अब हम इस सब को ‘माताप्रसाद’ के उदाहरण के पार समझेंगे.# आओ सुनाऊं पान की एक कहानी-
आईआरसीटीसी पूरी सरकारी कंपनी है जिसकी सरकार मालिक है. आप हिस्सेदारी की बात करेंगे तो 99 प्रतिशत से ज़्यादा, या यूं कहें पूरी की पूरी हिस्सेदारी देश के राष्ट्रपति की है. जैसे माताप्रसाद के पास बनारसी पान भंडार की पूरी हिस्सेदारी थी. अब आज यानी 30 सितंबर, 2019 से लेकर 03 अक्टूबर, 2019 तक आईआरसीटीसी अपने 12.5 प्रतिशत हिस्से को बेच रहा है. वैसे ही जैसे हमारे उदाहरण में माताप्रसाद ने 50 प्रतिशत बेचे. और चूंकि इसे सीधे कंपनी बेच रही है इसलिए इसे ‘इनिशियल’ पब्लिक ऑफरिंग यानी IPO कहा जाएगा. अब इन 12.5 प्रतिशत हिस्से को सरकार ने छोटे-छोटे हिस्सों में बांटा है. कितने छोटे? इस 12.5 प्रतिशत हिस्से के 20,160,000 छोटे-छोटे भाग कर दिए गए हैं और हर हिस्से का मूल्य 315-320 रुपए रखा गया है. यानी अगर नियम अलाऊ करते तो आप पूरी की पूरी 12.5 प्रतिशत हिस्सेदारी 6,45,12,00,000 (20,160,000X320) रुपए देकर खरीद सकते थे. लेकिन आप ऐसा नहीं कर सकते क्यूंकि इसमें रिजर्वेशन है. क्यूंकि ये माताप्रसाद का बनारस पान भंडार तो है नहीं. कई रूल हैं, कि आप कितने शेयर खरीद सकते हैं. कितने नहीं. जैसे-# आईआरसीटीसी का आईपीओ-
# आपको आईआरसीटीसी के कम से कम 40 शेयर खरीदने हैं. और 40 के गुणांक में ही खरीदने हैं. यानी 40, 80, 120.# ये हर 40 शेयर का एक लॉट, कोइंसिडेंटली ‘लॉट’ कहलाता है.# हर रिटेलर इंडीविज़ुअल व्यक्ति अधिकतम 16 लॉट के लिए अप्लाई कर सकता है. 16 लॉट मतलब 16*40 = 640 शेयर [रिटेलर बोले तो हम आप जैसा आम आदमी, जो फुटकर में इन्हें खरीदेंगे. और हम आप जैसे आम आदमी के लिए 35% IPO रिज़र्व हैं.] # हम आप जैसे आम आदमी के लिए 10 रुपए का डिस्काउंट भी है.# 1,60,000 शेयर आईआरसीटीसी के कर्मचारियों के लिए रिज़र्व्ड है.
अब गौर कीजिए हमने ये नहीं कहा कि हर रिटेलर इंडीविज़ुअल व्यक्ति अधिकतम 16 लॉट ‘खरीद’ सकता है, बल्कि ये कहा कि ‘अप्लाई कर सकता है’. क्यूंकि ऐसा नहीं है कि आप गए और आपने आईपीओ खरीद लिए. आपको पहले रिक्वेस्ट करनी पड़ेगी कि मुझे चाहिए. यही रिक्वेस्ट की तारीख है आज से लेकर 03 अक्टूबर तक की. अब जितने शेयर आईआरसीटीसी के पास हैं (20,160,000) उतने ही या उससे कम शेयर की रिक्वेस्ट आई तो हर एक को शेयर मिल जाएंगे. लेकिन अगर शेयर ओवर-सब्सक्राइब हुए तो फिर लॉटरी सिस्टम से शेयर्स का बंटवारा होगा. और आईआरसीटीसी के केस में आप आईपीओ का ओवर-सब्सक्राइब होना निश्चित मानिए.
ओवर सबस्क्राइब शब्द सुनने को आपको बहुत मिलेगा. इसका मतलब आपको समझ आ गया होगा. मतलब कंपनी जितने शेयर बेचना चाहती है उससे ज़्यादा शेयर खरीदने के दावे आ गये. आप सुनेंगे कि आईपीओ 10 टाइम्स ओवर सबस्क्राइब हो गया. मतलब कि जितने शेयर बेचने के लिए रखे थे उससे दस गुना दावे आ गए. आईआरसीटीसी के मामले में किसको कितने शेयर मिले ये बात पता लगेगी 9 अक्टूबर को. और बाकी पैसे वापस आ जाएंगे 10 अक्टूबर को.# ओवर सबस्क्राइब-
देखिए आपको ये शेयर, ये आईपीओ खरीदने के लिए एक डीमैट अकाउंट चाहिए होगा. जैसे पैसे के लेन-देन के लिए बैंक अकाउंट, वैसे ही शेयर के लेन-देन के लिए डीमैट अकाउंट. शेयर खान, आईसीआईसीआई डायरेक्ट, एंजल ब्रोकिंग ऐसे ही कुछ संस्थान हैं जहां से आप ये डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं. इसी डीमैट अकाउंट में आपके खरीदे हुए आईपीओ और आपके शेयर जमा रहते हैं. जैसे बैंक अकाउंट में पैसे. तो यहां पर आपको जितने मूल्य के आईपीओ खरीदने हैं उतना अमाउंट शुरू में ही देना होगा. वो अकाउंट ब्लॉक हो जाएगा. और 9 तारीख को जितने शेयर मिले उसे छोड़ के बाकी का अमाउंट 10 तारीख को रिफंड हो जाएगा.# बाकी पैसे?
गौर कीजिए कि हो सकता है आपने 4 लॉट यानी 160 शेयर्स के लिए अप्लाई किया हो लेकिन आपको मिला सिर्फ 1 लॉट यानी 40 शेयर्स. तो बाकी 120 शेयर्स के रुपए आपको रिफंड हो जाएंगे. 10 अक्टूबर को.
अब 12 अक्टूबर को ये आईपीओ शेयर मार्केट में लिस्ट हो जाएगा. मतलब उसके बाद आप अपने शेयर मार्केट में जो रेट चल रहा है उसके हिसाब से बेच सकते हैं. या फिर आप अगर आईपीओ के माध्यम से शेयर नहीं खरीद पाए तो 12 अक्टूबर के बाद मार्केट से जितने चाहे उतने शेयर खरीद सकते हो. माताप्रसाद के बाकी 5 साथियों ने भी यही किया था बाद में. एक तरफ माताप्रसाद की दुकान, दूसरी तरफ उसके शेयर्स की दुकान. इसी शेयर की दुकान को शेयर मार्केट कहते हैं. आप सुनते हैं न कि वोडाफोन का शेयर इतना बढ़ा, इतना घटा. तो उसका भी यही प्रोसीजर रहा होगा. पहले वोडाफोन ने अपना आईपीओ जारी किया होगा. फिर उसे लोगों ने खरीदा होगा. कुछ दिनों बाद वो कंपनी शेयर मार्केट में यानी सेबी के साथ लिस्ट हुई होगी. उसके बाद मार्केट और कंपनी के फंडामेंटल्स डिसाइड करेंगे कि हर शेयर का मूल्य क्या होगा.# आईपीओ खरीद लिया. अब?
- जैसे बैंक्स के लिए आरबीआई वैसे ही शेयर के लिए इंडिया में सेबी (सिक्यूरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया). एक रेगुलेटरी अथॉरिटी, जो सुनिश्चित करती है कि माताप्रसाद अपने आईपीओ के उतने ही दाम रखे जितने जायज़ हैं और असलम चचा उतने में ही खरीदे जितने में जायज़ है. और भी कई नियम कानून ताकि फिर कोई हर्षद मेहता टाइप कांड न हो.- फंडामेंटल्स यानी कंपनी कितना कमा रही है, खर्च कर रही है. कितना प्रॉफिट, कितना लॉस, भविष्य की प्लानिंग.
तो आईपीओ भी शेयर हैं और स्टॉक मार्केट में जिनकी ट्रेडिंग होती है वो भी. बस आईपीओ फर्स्ट हैंड शेयर्स होते हैं यानी कंपनी इसे सीधे जारी करती है. और स्टॉक मार्केट में जिनकी ट्रेडिंग होती है उन्हें लोग या अन्य ट्रेडिंग कंपनियां एक दूसरे को बेचती हैं. सेकेंड हेंड शेयर्स. दूसरे शब्दों में कहें तो जब तक आईआरसीटीसी अपनी और हिस्सेदारी नहीं बेचती, तब तक यही 20,160,000 शेयर मार्केट में घूमते रहेंगे. तो सवाल ये कि जब 14 तारीख के बाद आप इन शेयर्स को आसानी से खरीद सकते हैं तो अभी इसके लिए लाइन क्यूं लगानी? और लॉटरी सिस्टम में क्यूं पड़ना? उत्तर है- लिस्टिंग प्रॉफिट के चलते. देखिए अभी तो इस शेयर का एक निश्चित मूल्य है, 315-320. लेकिन जब ये मार्केट में लिस्ट होंगे, यानी व्यापार के लिए उपलब्ध होंगे तब स्थिति पैसा फेंक तमाशा देख वाली होगी. उस वक्त लोगों का अनुमान है कि ये अपने आईपीओ वाले मूल्य से 20-30% ऊपर ट्रेड कर रहे होंगे. यानी अभी खरीद के आप इसे अगर 14 को बेच दें तो 20-30% का लाभ. लेकिन ये लाभ केवल अनुमान भर है और अच्छी कंपनियों के लिए ये अनुमान अमूमन सही ही साबित होता है. डिपेंड करता है कि कंपनी के फंडामेंटल्स कैसे हैं?# लिस्टिंग प्रॉफिट-
देखिए अगर फंडामेंटल्स की बात करें तो न केवल लिस्टिंग प्रॉफिट के चलते बल्कि लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के चलते भी आपको इस आईपीओ के लिए अप्लाई कर देना चाहिए. हम ये नहीं कह रहे कि रिस्क नहीं है. मगर बहुत कम, कैलकुलेटेड रिस्क है. 1) अव्वल तो आईआरसीटीसी के फंडामेंटल्स बड़े प्रोमिसिंग हैं-# क्या आईआरसीटीसी का आईपीओ लें-
# रेल रिजर्वेशन और रेल कैटरिंग को लेकर पूरी तरह इस ऑर्गेनाइजेशन की मोनोपॉली है.# आपको लगता होगा कि आईआरसीटीसी सबसे ज़्यादा टिकट बेचने से कमाती है तो आप ग़लत हैं. टिकट बेचने से जो रेवेन्यू इसे मिलता है वो तो कुल रेवेन्यू का सिर्फ 12 प्रतिशत के लगभग है. तो सबसे ज़्यादा पैसे कहां से आते हैं? कैटरिंग से- 53-54% के लगभग, रेल नीर से 9-10 प्रतिशत और बाकी ट्रेवल टूरिज़्म और विज्ञापनों से.# सरकारी कंपनी है.# ऐसी कुछेक सरकारी कंपनियों में से है जो प्रॉफिट में है.2) और दूसरा इस वक्त तक जब अभी 6-7 घंटे बीते हैं ये 50% सब्सक्राइब हो चुका है. तो कुछ नहीं भी तो, जिन्हें अभी ये शेयर नहीं मिला, मार्केट में लिस्ट होने के बाद इसे दौड़ कर खरीदेंगे तो लिस्टिंग प्रॉफिट तो हईए है.
अपने बैंक को संपर्क कीजिए. अमूमन हर बैक आपको डीमैट अकाउंट खोलने की फैसिलिटी देता ही है. कुछ टाइम लगेगा. उनसे प्रोसेस तेज़ करने को कहिए. कारण बताइए. डीमैट अकाउंट खुल जाने के बाद आईपीओ के लिए अप्लाई कर दीजिए और 8 तारीख तक फिंगर्स क्रॉस करके बैठ जाइए.# क्या करें-
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