जनगणना वाले आपसे खाने-पीने, और आपके टॉयलेट से जुड़े सवाल क्यों पूछ रहे हैं?
हर सवाल के पीछे एक वजह है.
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2011 में हुई जनगणना (सेन्सस) के हिसाब से भारत की जनसंख्या 1.21 अरब थी. अब 2021 में नई जनगणना के आंकड़े जारी होंगे, इसके लिए तैयारी शुरू हो गई है. गृह मंत्रालय के अधीन आने वाले ऑफिस ऑफ रजिस्ट्रार जनरल एंड सेन्सस कमिश्नर ने घोषणा कर दी है कि 1 अप्रैल से जनगणना की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.
इस जनगणना के लिए कुल मिलाकर 31 सवाल पूछे जाएंगे. उनमें से कुछ ये हैं:
मकान किसके नाम पर है, लोग कितने रहते हैं, फर्श और दीवार किस चीज़ से बने हैं, कमरे कितने हैं, पीने का पानी कहां से आता है, कितना मिल पाता है, गन्दा पानी कहां से निकलता है, नहाने के लिए बाथरूम है या नहीं, शौचालय है या नहीं, है तो किस प्रकार, दो पहिया वाहन कितने हैं, चारपहिया वाहन कितने हैं, रेडियो, टीवी, इंटरनेट है या नहीं, लैपटॉप/कम्प्यूटर है या नहीं, टेलीफोन/मोबाइल फोन/स्मार्टफोन है या नहीं, घर में खाया जाने वाला मुख्य अनाज कौन सा है.
आखिर ये सवाल क्यों पूछे जा रहे हैं. इनका जनगणना से क्या लेना देना है. सिर्फ लोगों की गिनती ही तो करनी है. लेकिन जनगणना का मकसद सिर्फ जनसंख्या पता करना नहीं होता. इसलिए पहले ये समझ लेते हैं कि जनगणना का मकसद और प्रोसेस क्या होता है.
पहले सवाल पहले.Official notification for the roll out of #CensusIndia2021
Preparation of an accurate #CensusForNewIndia
published with the set of questions to be covered in the first phase.
.@PMOIndia
@HMOIndia
@PIBHomeAffairs
@PIB_India
pic.twitter.com/XTay3bUyKo
— Census India 2021 (@CensusIndia2021) January 10, 2020
जनगणना क्यों और कैसे होती है?
हर दस साल पर जनगणना होती है. आज़ादी के बाद पहली बार 1951 में हुई थी. 2011 तक जनगणना करने वाले अधिकारी (लोकल तहसीलदार/वार्ड अधिकारी) घर-घर जाकर फॉर्म्स में जानकारी इकठ्ठा करते थे. इस बार मोबाइल एप्लीकेशन के ज़रिए डेटा इकट्ठा किया जाएगा. जो एन्यूमरेटर (Enumerator- गिनती करने वाले) होंगे, वो जानकारी अपने मोबाइल एप में फीड करेंगे.
यूनियन होम सेक्रेटरी राजीव गाबा ने मीडिया को बताया कि सेन्सस बहुमूल्य सामाजिक-आर्थिक डेटा भी उपलब्ध कराता है. ये आंकड़े फिर एक मजबूत आधार बनते हैं जिन पर नीतियां बनती हैं और फिर संसाधन उसी हिसाब से इस्तेमाल में लगाये जाते हैं. लोगों के लिए कल्याणकारी योजनायें चलाना या देश के आर्थिक विकास के प्लैन, सभी में बदलाव लाने में मदद मिलती है जनगणना से.
पहले पेन और पेपर से फॉर्म भरे जाते थे. इस बार मोबाइल एप्लीकेशन के साथ एन्यूमरेटर्स (जनगणना करने वाले लोग) की ट्रेनिंग होगी. (तस्वीर: सेन्सस 2021 का ऑफिशियल लोगो)
ये सवाल कैसे ड्राफ्ट होते हैं. इनका क्या फायदा है?
हमने रजिस्ट्रार जनरल एंड सेन्सस कमिश्नर के ऑफिस में बात की. उनसे पूछा कि इस तरह के सवाल ड्राफ्ट कैसे किए जाते हैं. वहां बताया गया:
सेन्सस में सभी स्टेकहोल्डर्स से बात होती है. इसमें मंत्रालय, रीसर्च करने वाले, डेटा का इस्तेमाल करने वाली सरकारी एजेंसियां होतीं हैं, उनसे कंसल्ट करके सवाल तय होते हैं. एक टेक्नीकल एडवाइजरी कमिटी होती है. इसमें डेमोग्राफर्स होते हैं, अलग अलग शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधि होते हैं. जनगणना ऑफिस तो सबके लिए डेटा कलेक्ट करता है. जैसे मान लीजिए हमने डेटा कलेक्ट किया शौचालय से सम्बंधित. अब इसका इस्तेमाल कौन कौन कर सकता है? शहरी विकास मंत्रालय हो सकता है, ग्रामीण विकास मंत्रालय हो सकता है, सैनिटेशन वाले हो सकते हैं. सबसे डिस्कशन करके ये सवाल बनाए गए हैं. अब इसको कैसे यूज किया जाएगा, उसके लिए एक कमिटी बनेगी. जो एक टेबुलेशन प्लैन बनाएगी. जब डेटा इकठ्ठा हो जाएगा, उसके बाद यही टेबुलेशन प्लैन डिसाइड करेगा कि इसका इस्तेमाल कहां और कैसे होगा.गैस कनेक्शन, मोबाइल कनेक्शन, टॉयलेट का प्रकार इत्यादि पूछने के पीछे भी यही वजह है. अगर कोई गांव है, जहां पर गैस के चूल्हों की कच्चे चूल्हे ज्यादा इस्तेमाल हो रहे हैं, तो ये सेन्सस में रिफ्लेक्ट होगा. फिर सरकार वहां पर गैस कनेक्शन पहुंचाने के लिए बेहतर इंतजाम करेगी.
ये पता चले कि अधिकतर किस तरह का अन्न खाया जाता है अलग-अलग क्षेत्रों में, तो जानकारी इकठ्ठा होगी कि कितने लोग सिर्फ मोटे अन्न पर गुज़ारा कर रहे हैं, और कितने लोगों के पास अन्न ढंग से पहुंच भी नहीं पा रहा. स्टेपल फ़ूड यानी मुख्य आहार किस क्षेत्र में कौन सा है. FCI यानी फ़ूड कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया इसी डेटा के हिसाब से अन्न के बेहतर इंतजाम करने की कोशिश करेगी. ये उदाहरण हैं इस डेटा के इस्तेमाल के.
इन सवालों में ये भी शामिल है कि घर में प्रकाश का क्या स्रोत है. खाना पकाने के लिए कौन सा ईंधन इस्तेमाल होता है. (सांकेतिक तस्वीर: Getty Images)
अभी तक उपलब्ध जानकारी के अनुसार 2021 की जनगणना दो हिस्सों में होगी. पहले फेज में राज्य किन्हीं दो महीनों में अपनी सीमा में मौजूद सभी घरों की लिस्टिंग करेंगे. इसके लिए समय अप्रैल 2020 से सितम्बर 2020 तक का रखा गया है. दूसरे फेज में जनगणना होगी जो फरवरी 2021 में होगी. और उसके बाद मार्च में उसे रिवाइज किया जाएगा. इसी के साथ NPR (नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर) पर भी काम होगा. जनगणना के लिए 8,754.23 करोड़ रुपए और NPR अपडेट के लिए 3,941.35 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रस्ताव है. NPR का काम असम को छोड़कर पूरे देश में होगा क्योंकि वहां NRC हो चुका है. इसे आख़िरी बार 2015 में अपडेट किया गया था. इसके बारे में आप और जानकारी के लिए यहां पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं.
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