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बाबरी विध्वंस के दिन कारसेवकों पर गोली चलाने से पुलिस को सीएम कल्याण सिंह ने इसलिए रोका था

विधानसभा और सुप्रीम कोर्ट में ढांचे की सुरक्षा का वादा भी किया था

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कल्याण सिंह का लंबी बीमारी के बाद निधन. (फाइल फोटो)
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अमित
30 सितंबर 2020 (Updated: 30 सितंबर 2020, 06:15 AM IST)
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बाबरी ढांचा गिराने के मामले में जिनके रोल पर सबसे ज्यादा विवाद हुआ, उनमें यूपी के तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह भी हैं. एक मुख्यमंत्री के तौर पर प्रदेश की कानून व्यवस्था का जिम्मा उनका था. जब ढांचा गिराए जाने का प्लान बन रहा था, और 1992 में ढांचा गिराया गया, तब क्या कर रहे थे सीएम कल्याण सिंह. उन्होंने पुलिस और प्रशासन को क्या आदेश दिए. आइए जानते हैं-
सुप्रीम कोर्ट को दी थी सुरक्षा की तसल्ली अयोध्या में जब कारसेवक जमा होने लगे थे तो यूपी सरकार और अयोध्या प्रशासन पर दबाव बढ़ गया था. इसे देखते हुए तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह ने असेंबली में लिखित आश्वासन दिया कि सरकार विवादित ढांचे को आंच नहीं आने देगी. इतना ही नहीं, कल्याण सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में भी चार बिंदुओं का हलफनामा दाखिल किया. इसमें कहा गया कि मस्जिद की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी. कारसेवा सिर्फ सांकेतिक होगी.
कल्याण सिंह ने यूपी असेंबली के साथ ही सुप्रीम कोर्ट से भी ढांचे की सुरक्षा का वादा किया था. (फाइल फोटो.)
कल्याण सिंह ने यूपी असेंबली के अलावा सुप्रीम कोर्ट के सामने भी ढांचे की सुरक्षा का वादा किया था. (फाइल फोटो.)

6 दिसंबर 1992 को पुलिस को क्या आदेश दिए? हिंदुस्तान टाइम्स में 1 अगस्त 2020 को छपे एक इंटरव्यू में कल्याण सिंह ने कहा-
मैं आपको बताता हूं. उस दिन (6 दिसंबर को) जब माहौल बिगड़ने लगा, मुझे अयोध्या के जिलाधिकारी का फोन आया. उन्होंने कहा कि 3.5 लाख के आसपास कारसेवक जमा हो चुके हैं. केंद्रीय सुरक्षा बल मंदिर परिसर की तरफ बढ़ रहे हैं लेकिन कारसेवकों ने साकेत कॉलेज के पास उनका रास्ता रोक रखा है.
मुझसे पूछा गया कि क्या कारसेवकों पर फायरिंग का आदेश दिया जा सकता है? मैंने ऐसा न करने का आदेश लिखित में दिया. मेरा वह आदेश अब भी फाइलों में होगा. फायरिंग करने से हालात और बिगड़ सकते थे. कई लोगों की जान जा सकती थी. न सिर्फ यहां बल्कि पूरे देश में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हो सकती है. 
मुझे अपने इस फैसले पर आज भी गर्व है कि मेरी सरकार चली गई लेकिन मैंने कारसेवकों को बचा लिया. दूसरी तरफ मैं यह भी सोचता हूं कि शायद इस विध्वंस से ही मंदिर निर्माण का रास्ता खुला है.
ऐसी ही बात उन्होंने 2009 में एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में कही.
मैंने अधिकारियों को कह दिया था कि ढांचे की सुरक्षा के लिए जैसे भी उपाय करने हैं या योजना बनानी है, कीजिए लेकिन मैंने उनसे एक बात कह दी थी कि लाखों कारसेवक मौजूद हैं, उन पर गोली नहीं चलेगी. अधिकारियों ने सिर्फ मेरे आदेश का पालन किया.
बाबरी ढांचे को ढहाने के मामले की जांच करने वाले लिब्रहान कमीशन ने 17 साल में जो रिपोर्ट तैयार की, उसमें भी कल्याण सिंह की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की गई. विध्वंस के लिए कल्याण सिंह के वक्त पर एक्शन न ले पाने का जिक्र किया गया है.

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