बंगाल में इस नई पार्टी के बनने से क्या और बढ़ सकती है दीदी की मुश्किल?
कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी सिद्दीकी की पार्टी?
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फ़ुरफ़ुरा शरीफ़ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी. (स्क्रीनग्रैब: यूट्यूब)
पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव नज़दीक आ रहे हैं और ऐसे में बंगाल से लगातार अपडेट आ रहे हैं. ताज़ा अपडेट ये है कि फ़ुरफ़ुरा शरीफ़ के पीरज़ादे अब्बास सिद्दीकी ने नई पार्टी बनाने की घोषणा कर दी है. पार्टी का नाम इंडियन सेक्युलर फ्रंट (Indian Secular Front) रखा गया है. अब्बास सिद्दीकी के भाई नौशाद सिद्दीकी पार्टी के चेयरमैन और सिमुल सोरेन पार्टी के अध्यक्ष बनाए गए हैं.
पार्टी की घोषणा करते हुए अब्बास सिद्दीकी ने कहा-
हमने आज पार्टी की घोषणा की है. अब हम AIMIM जैसी पार्टियों के साथ बैठकर तय करेंगे कि हम कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. अभी हम सभी 294 सीटों पर चुनाव लड़ने की सोच रहे हैं.उन्होंने आगे कहा-
मैं किंगमेकर बनना चाहता हूं. मैं खुद चुनाव नहीं लडूंगा लेकिन पार्टी की जीत के लिए सब कुछ करूंगा. हम मुस्लिमों, दलितों और गरीबों की बेहतरी के लिए काम करेंगे. हमारी पार्टी सबके लिए है.आपको बता दें कि हाल ही में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अब्बास सिद्दीकी से मुलाकात की थी. दोनों के बीच करीब 2 घंटे तक बातचीत हुई थी. ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि इस मुलाकात के बाद सिद्दीकी विधानसभा लड़ सकते हैं, अब उन्होंने अपनी पार्टी का ही ऐलान कर दिया है.
पीरज़ादा अब्बास सिद्दीकी के बारे में जानिए? सिद्दीकी फ़ुरफ़ुरा शरीफ़ के पीरजादे हैं. पीरज़ादा माने धार्मिक नेता कह सकते हैं. फ़ुरफ़ुरा शरीफ़ राजस्थान के अजमेर शरीफ़ मज़ार के बाद दूसरी सबसे प्रमुख मज़ार माना जाती है. हुगली ज़िले में फ़ुरफ़ुरा शरीफ़ मज़ार बंगाल के मुसलमानों का अहम धार्मिक स्थल है. पश्चिम बंगाल सरकार के टूरिज़्म डिपार्टमेंट की वेबसाइट बताती है कि फ़ुरफ़ुरा शरीफ़ दरगाह का निर्माण 1375 में मुखलिश खान ने किया था. फ़ुरफ़ुरा शरीफ़ में सबसे अहम जगह मज़ार शरीफ़ को माना जाता है. मज़ार शरीफ़ में हज़रत अबु बकर सिद्दीक़ी और उनके पांच बेटों की मज़ार हैं. ममता के लिए सबसे बड़ी चुनौती? इस बार के चुनाव को ममता बनर्जी के लिए सबसे बड़ी राजनीतिक चुनौती माना जा रहा है. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी सिर्फ़ 3 सीटें और महज़ 10.3% वोट हासिल कर पाई थी, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने 40% वोट हासिल कर लिए और 18 सीटें जीतीं, जो कि सीधे 16 सीटों का इज़ाफ़ा है. बंगाल में जिस तरह से बीजेपी की राजनीतिक गतिविधियां बढ़ रही हैं, ममता के लिए भी हर बीतते दिन के साथ चुनौती बढ़ती जा रही है. कभी ममता के चहेते रहे नेताओं के बीजेपी में शामिल होने की लिस्ट लंबी होती जा रही है. ऐसे में अगर मुस्लिम वोटों का विभाजन हुआ तो ममता दीदी के सियासी समीकरण उलट-पुलट सकते हैं.At Furfura Sharif, West Bengal in a meeting with Pirzada Abbas Siddiqui sb, Pirzada Naushad Siddiqui sb, Pirzada Baizid Amin sb & Janab Sabir Ghaffar sb pic.twitter.com/lptUX24JnJ
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) January 3, 2021