The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Lallankhas
  • valentines day history origion of saint valentines why we celebrate valentines

वैलेंटाइन बाबा की कहानी, जिन्होंने अपने ही जेलर की बेटी को कहा था - 'हैपी वैलेंटाइन्स डे!'

14 फ़रवरी को ही क्यों मनाते हैं वैलेंटाइन डे?

Advertisement
saint-valentines history of valentines day
संत वैलेंटाइन तीसरी सदी के एक रोमन संत थे. (फ़ोटो - catholic.og)
pic
सोम शेखर
14 फ़रवरी 2024 (Updated: 14 फ़रवरी 2024, 01:20 PM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

14 फ़रवरी को घटता है, वैलेंनटाइन्स डे. मानने वालों के लिए प्रेम का दिन. प्रेम की तो ख़ैर दुनिया ही है, लेकिन जनता ने आज का दिन मुक़र्रर किया है. कुछ प्रेमिकाओं के बाल में फूल लगाते हुए फोटो चेंपते हैं और कहते हैं - 'अगर तुम साथ हो, तो हर दिन वैलेंटाइन'. कुछ इसे 'पश्चिमी असर' के नाम पर ख़ारिज देते हैं. कुछ दिलजले 'तुम साथ हो, या न हो.. क्या फ़र्क़ है' सुनते हुए गले के रास्ते ओल्ड मंक सरकाते हैं. जिनसे ये दुख अकेले नहीं मनाया जाता, वो 'संस्कृति रक्षा' के नाम पर क़ानून और हॉकी हाथ में ले कर घूमते हैं. मगर सवाल वही है, 14 फ़रवरी के दिन ही क्यों?

Valentine's Day प्रेम के बारे में है ही नहीं

इतिहास के छात्र पूछ सकते हैं कि क्या इस दिन की उत्पत्ति पेगन परंपरा से आई या या क्रिश्चिन मान्यताओं से? इसीलिए शुरू से शुरू करते हैं. कई कहानियां हैं, पुख़्ता कोई भी नहीं.

तीसरी सदी की बात है. रोम में सम्राट क्लॉडियस द्वितीय का शासन था. तब 13 से 15 फरवरी के बीच रोमन्स बहार के स्वागत में लुपरकेलिया नाम का त्योहार मनाते थे. एक बकरी और एक कुत्ते की बलि दी जाती थी, फिर उन्हीं की खाल से कोड़े बनाकर आदमी, महिलाओं को कोड़े मारते थे. NPR की एक स्टोरी के मुताबिक़, ऐसी मान्यता थी कि कोड़े मारने से महिलाओं में प्रजनन क्षमता बढ़ती है. इस 'त्योहार' में एक मैच-मेकिंग लॉटरी भी निकाली जाती थी.

ये भी पढ़ें - प्यार के त्योहार से लोगों को इतनी नफरत क्यों है?

अच्छा, तारीख़ तो हो गई. नाम कहां से आया? इसके लिए दूसरी कहानी है. सम्राट क्लॉडियस द्वितीय ने वैलेंटाइन नाम के दो लोगों को फांसी दी थी. एक दिन नहीं, 14 फ़रवरी को ही.. मगर अलग-अलग सालों में. बाद में उनकी शहादत को कैथोलिक चर्च सेंट वैलेंटाइन डे मानकर याद करता है.

अब सेंट वैलेंटाइन कौन हैं? एक लोकप्रिय किंवदंती है कि जिन दोनों लोगों को सम्राट ने मरवाया था, उनमें से एक थे टर्नी के संत वैलेंटाइन. उन्होंने सम्राट की इच्छाओं के विरुद्ध जाकर छिप-छिपाकर बहुत सारे रोमन सैनिकों की शादियां कराई थीं. क़ायदेनुसार शादी की वजह से सैनिक जंग से बच गए. इससे कुछ लोगों ने उन्हें प्रेम का पुरोधा क़रार दिया. फिर लेजेंड बनता है, तो बढ़ता ही जाता है. ये भी कहा जाता है कि जब संत वैलेंटाइन अपने गुनाहों के लिए कारागार में सज़ा काट रहे थे, तो उन्हें जेलर की बेटी से इश्क़ हो गया. उन्होंने उसे ख़त लिखा और अंत में लिखा - '..तुम्हारा वैलेंटाइन'.

हालांकि, इतिहासकारों को संत वैलेंटाइन की असली पहचान सटीक नहीं मिलती. दरअसल, वैलेंटाइन तब बहुत कॉमन नाम था. आज के राहुल या अभिषेक जैसे. वैलेंटाइन रोमन शब्द 'वैलेंटीनस' से आया है, जिसके मायने हैं योग्य, मज़बूत या ताक़तवर. दूसरी और आठवीं सदी के बीच कई शहीदों का नाम यही था. इतनी थियरीज़ हैं कि कैथोलिक चर्च ने 1969 में संत वैलेंटाइन के लिए होने वाली धार्मिक पूजा बंद कर दी. मगर उनका नाम मान्यता प्राप्त संतों की सूची में अभी भी है.

ये भी पढ़ें - ये 5 रोमांटिक फ़िल्में, आपका वैलेंटाइन डे थोड़ा और गुलज़ार बना देंगी

ख़ैर, पांचवी सदी आते-आते चीज़ें बदलीं. धार्मिक अध्ययन के प्रोफ़ेसर नोएल लेन्स्की ने NPR को बताया था कि पोप गेलैसियस ने पेगन रीति-रिवाजों को ख़त्म करने के इरादे से लुपरकेलिया त्योहार को सेंट वेलेंटाइन डे के साथ जोड़ दिया. भले ही ईसाइयों ने अपने कपड़े वापस पहन लिए हों. लेकिन जो इसका मतलब था, वही रहा. इसे प्रजनन और प्रेम के दिन के रूप में मनाया गया.

समय के साथ ये क्रूर त्योहार स्वीट-सा होता गया. लेकिन प्रेम के दिन वाली बात पर संशय बना रहा. लगभग 14वीं सदी तक वैलेंटाइन डे में रोमांटिक एंगल की तस्दीक़ नहीं होती है. history.com के मुताबिक़, मध्यकालीन अंग्रेज़ी कवि जेफ़्री चौसर ने 1381 में एक कविता लिखी थी, जिसमें उन्होंने 14 फ़रवरी और प्रेम को जोड़ दिया है. चौसर अक्सर इतिहास के साथ ऐसी छूट लेते थे. अपनी कविता के पात्रों को ऐतिहासिक संदर्भों से जोड़ते थे. वैसे ही अपनी कविता 'पार्लियामेंट ऑफ फ़ाउल्स' में उन्होंने प्रेम की परंपरा को सेंट वैलेंटाइन पर्व से जोड़ा. लिखा,

“For this was sent on Seynt Valentyne’s day 
Whan every foul cometh ther to choose his mate.."

अर्थात् 14 फरवरी वही दिन है, जब पक्षी (और मनुष्य) साथी की तलाश में एक साथ आते हैं. इतिहास इस बात पर माने-न-माने, इस बात का सेंस तो बनता ही है कि प्रेम का दिन एक कवि ने ही धरा होगा.

हालांकि, जिसे चॉकलेट देनी थी, वो दे चुका. जो चूक गया, उसने ग़म की लंबी शाम काट ली. पूरा या जितना भी टूटा-फूटा इतिहास हमने बांचा, उसे न भी जानें तो ठीक. प्रेम पर लिखने वाले इतना लिख गए हैं कि कुछ कहने को नहीं बचा. ये मुआ मसला ही ऐसा है कि इसपर दुनिया की शुरुआत से लिखा जा रहा है, अंत तक लिखा जाएगा. पर सबसे ज़रूरी बात यही है कि लिखें न लिखें, प्रेम करना ज़रूरी है. एक बार प्रेम से प्रेम करें.

बाक़ी पाब्लो नारूदा तो लिख ही गए हैं - अगर मौत से हमें कोई नहीं बचा सकता, तो काश कि प्रेम हमें जीवन से बचा ले.
 

Advertisement

Advertisement

()