कहते हैं दुनिया की सबसे छोटी कहानी एक भूत की कहानी है.
एक रेलवे कम्पार्टमेंट में केवल दो अपरिचित व्यक्ति यात्रा कर रहे थे. क्या तुम भूतों में विश्वास करते हो. एक ने दूसरे से बातचीत प्रारम्भ करते हुए पूछा. हां, दूसरे ने उत्तर दिया और गायब हो गया.
भूतों के किस्से हम में से हर किसी के पास होते हैं, किसी से भी पूछ लो दो-चार किस्से सुना देगा मानो रोज ही भूतों से मेल होता हो. वाणी प्रकाशन की नई किताब आ रही है. नाम है 'भटकती आत्माएँ'. डॉ. बृजमोहन ने किताब लिखी है. इसी में जिक्र है, भूतों की उन कहानियों का जो सेलीब्रिटीज ने सुनाई हैं. 6 कहानियां हम आपके लिए लाए हैं.
1. रणधीर कपूर
सबसे बड़ा भूत तो इंसान ही होता है और इंसानों में सबसे बड़ा भूत मैं खुद को मानता हूं. इंसान की खुराफातों के समाने भूत बेचारा कहां ठहर सकता है. फिर भी कुछ समय पहले मैंने एक ऐसी चीज देखी थी जो आज भी मेरे दिमाग में अक्सर एक उलझी हुई पहेली की तरह घूमा करती है. कोई पाँच साल हुए हैं. वर्सोवा में एक दोस्त के यहां पार्टी थी, वहीं से मैं बबीता के साथ लौट रहा था. रात के कोई दो बज रहे थे. कार मैं चला रहा था. दूर तक सड़क पर सन्नाटा फैला हुआ था. हल्की-हल्की बारिश में सन्नाटा कुछ अजीब लग रहा था. अचानक मेरी कार की रोशनी में एक बच्चा नजर आया. एकदम मेरी कार के करीब से भागता हुआ समुद्र की तरफ चला गया. मैंने घबराकर ब्रेक लगाया वह अन्धेरे में तब तक गायब हो चुका था.
कोई 6-7 साल का रहा होगा वह. उसके बदन पर कोई कपड़ा नहीं था. कहा जा सकता है कि वह किसी झुग्गी वाले का बच्चा रहा होगा. तो सवाल यह है कि रात के उस पहर में और बारिश में इस तरह कहां जा रहा था. जिस दिशा में जाते हुए मैंने देखा था उधर आबादी नहीं थी. बाद में मैंने वर्सोवा में रहने वाले दोस्तों से उसका जिक्र किया तो उन्होंने बताया कि कोई दो महीने पहले एक औरत ने वहीं कहीं अपने बच्चे के साथ समुद्र में कूद कर आत्महत्या की थी.
2. कुमार गौरव
मैं भूत-प्रेत पर यकीन नहीं करता, पर एक रात गोवा के एक सुनसान तट पर मैंने जिस औरत को देखा था, मैं नहीं कह सकता कि वह औरत ही थी या कुछ और. हम लोग एक फिल्म की शूटिंग के सिलसिले में गोवा में थे. एक रात मुझे समुद्र में नहाने की सूझी. अपने दो दोस्तों के साथ मैं जिस कॉटेज में ठहरा था वह समुद्र के किनारे ही था, काफी रात हो चुकी थी. दोस्तों से कहा, वे तैयार न हुए तो मैं अकेला ही नहाने निकल पड़ा. काफी देर तक मैं लहरों में तैरता रहा. हल्की-हल्की चांदनी में सब कुछ रहस्यपूर्ण लग रहा था. जी भर कर तैरने के बाद मैं बाहर निकला तो चांद की रोशनी में मैंने एक आकृति को कुछ फासले पर देखा. उसकी पीठ मेरी तरफ थी. अपनी जगह वह बिल्कुल खामोश खड़ी थी. मुझे लगा कि वह मेरा साथी है. इसीलिए मैंने आवाज दी. वह कुछ न बोला.
मैं उसके करीब पहुंचाऔर गाली देते हुए उसके कूल्हे पर लात मार दी. उसने पलट कर देखा तो मुझे एक सत्तर-बहत्तर साल की औरत का चेहरा नजर आया. इतना वीभत्स चेहरा मैंने कभी नहीं देखा था. मैं इस तरह डर गया कि मेरे मुह से आवाज न निकली. और वह आराम से चलती हुई धुंधली चांदनी में धीरे-धीरे गायब होती गयी. कॉटेज में लौटने के बाद मैं सारी रात सो नहीं सका. मैं यही सोचता रहा कि आखिर कौन थी वह.
3. सुरेश ओबराय
हैदराबाद में मेरे एक दोस्त के परिवार ने मकान बदला था. जिस नये मकान में वे लोग आये थे, उसके मालिक ने सारा मकान तो उनके हवाले कर दिया मगर एक कमरे में उसने ताला लगा दिया. उसने बताया था कि उस कमरे में उसका कुछ सामान रखा हुआ था. एक बड़ा सा ताला कमरे के दरवाजे पर झूलता रहता था. एक दिन मैं दोस्त के साथ उस घर के आंगन में बैठा बातें कर रहा था कि अचानक किसी के कराहने की आवाज सुनायी दी. कराहने की वह आवाज कुछ ऐसी थी जैसे कोई बहुत सख्त तकलीफ में हो. उस वक्त दोपहर का ठीक एक बजा था. मुझे लगा कि वह आवाज उसी बंद कमरे के अन्दर से आयी है. उसके बारे में मैं अपने दोस्त से पूछना ही चाहता था कि तभी नजर उसके चेहरे पर पड़ गयी. वह बहुत बुरी तरह डरा और घबराया हुआ था. फिर मैंने गौर किया कि घर के दूसरे लोगों का चेहरा भी उड़ा हुआ है. मुझे मालूम हुआ कि हर रोज ठीक दोपहर के एक बजे उस बंद कमरे से उसी तरह कराहने की आवाज आती थी.
ढाई-तीन महीने वहां रहने के बाद उन लोगों ने दूसरा मकान ले लिया और बंद कमरे का रहस्य रहस्य ही रहा.
4. पूनम ढिल्लन
चण्डीगढ़ में हम लोग एक डॉक्टर के मकान में किरायेदार की हैसियत से रहते थे. डॉक्टर की मां की मौत उसी मकान में सीढ़ियों पर पाँव फिसल जाने से अचानक हुई थी. हमने उसे नहीं देखा था. बस, यह घटना सुनी थी. उस मकान में एक अजीब-सा सपना लगभग छः महीने तक मैं हर रोज देखती रही. एक बूढ़ी औरत घर का दरवाजा खोलकर चुपके से आती थी. उसके एक हाथ में एक काली मुर्गी होती थी और दूसरे हाथ में छुरा. धीरे आकर वह मेरी पलंग के पास बैठ जाती और जमीन पर छुरा रगड़ना शुरू कर देती थी. उसका पूरा ध्यान छुरे पर होता था. वह किसी और तरफ नहीं देखती थी. उसके चेहरे पर झुर्रियों का जाल होता था और आंखें किसी मुर्दे की तरह बुझी-बुझी सी. कुछ देर तक वह जमीन पर छुरा तेज करती रहती फिर जिस खामोशी से आती उसी खामोशी से वह उठकर छुरे और मुर्गी के साथ वापस चली जाती. मैं नहीं जानती कि उस सपने का क्या मतलब हो सकता था. लेकिन यह कम हैरानी की बात नहीं कि मैं लगातार छह महीने तक यही एक सपना हर रोज देखती रही.
5. जॉनी वाकर
कोई बीस साल हुए. मैं अजीत व कुछ और दोस्तों के साथ इंदौर शिकार खेलने गया था. उन दिनों उस इलाके में एक तेंदुए ने बड़ी दहशत फैला रखी थी. आबादी में घुसकर वह जानवर उठा ले जाता था. जिस गांव में हमारा पड़ाव था वहां के लोगों ने उस तेंदुए को मारने के लिए हमसे प्रार्थना की. हम भी पीछे हटने वाले तो थे नहीं. तेंदुए की तलाश में लग गये. दिन में ढूंढा रात को जंगलों में कई जगह मचान लगाकर उसका इंतजार किया पर नाकामी ही हाथ लगी. मचानों पर कई रात बिताने के बाद मेरे साथियों ने हार मान ली. उन सब की राय थी कि अब इस तेंदुए का ख्याल छोड़ दिया जाए.
पर मुझ पर उसे मारने की धुन सवार थी. एक रात एक बकरी को लेकर मैं अकेला ही जंगल में निकल गया. एक पेड़ के साथ जहां मचान पहले से लगा हुआ था, मैंने बकरी बाँधी और राइफल सम्भाल कर मचान पर चढ़कर बैठ गया. जंगल का अन्धेरा सन्नाटा और अकेला मैं न जाने किस वक्त बकरी की रिरियाती आवाज सुनकर मैंने होशियार होकर नीचे देखा तो एक तेंदुआ बकरी की तरफ झपटता हुआ नजर आया. मैंने अंदाजे से ही गोली चला दी. टार्च की रोशनी में मैंने अच्छी तरह तड़पते हुए तेंदुए को भी देखा और फिर उसकी लाश को भी. बकरी भी एक तरफ पड़ी अंतिम सांस ले रही थी. गोली लगने से पहले तेंदुए ने उसे अच्छी तरह झंझोड़ दिया था. मैं बेफिक्र होकर वहीं मचान पर झपकी लेने के लिए लेट गया. सोचा कि सुबह जाकर गांव वालों को खबर करूंगा. वही लोग तेंदुए को उठाने का इंतजाम करेंगे.
और तड़के जब मेरी आंख खुली तो देखा कि तेंदुए का कहीं पता नहीं है और बकरी सही-सलामत अपनी जगह पर बंधी हुई है. मेरी हैरानी की सीमा न रही. मैंने तेंदुए का शिकार सपने में कतई नहीं किया था. मेरी राइफल से गोली चली थी. नाल में बारूद के कण मौजूद थे. रात की सारी बातें मुझे अच्छी तरह याद थीं. लेकिन अब कहीं तेंदुए की लाश नहीं थी. उसका कोई निशान भी नहीं था और न ही कहीं खून का धब्बा. मैंने उस घटना के बारे में किसी को बताया नहीं पर मुझे पूरी तरह यकीन है कि मैंने उस तेंदुए को मारा था और उसे मरते देखा था. अब यह मुझे नहीं मालूम कि वह तेंदुआ ही था या तेंदुए के रूप में कुछ और.
6. जितेंद्र
हम मैसूर के जंगल में शूटिंग कर रहे थे. लोकेशन आबादी से बहुत दूर होने के कारण हम सबके रहने का प्रबन्ध वहीं तम्बुओं में कर दिया गया था. दिन में शूटिंग होती और रात को हम सब गप्पें मारते या ताश खेलते. एक रात भूतों की बात चली तो हमारे एक स्थानीय साथी ने बताया कि भूत तो इस जंगल के भी काफी चर्चित हैं. उसने कई डरावनी कहानियां उनके बारे में सुनाईं. दूसरे लोग तो खामोश रहे पर मैंने साफ कह दिया कि भूतों पर मैं यकीन नहीं करता. मेरे साथी ने कहा - आपकी बात अगर किसी भूत ने सुन ली तो वह आपको परेशान कर सकता है. मैंने उसकी बात हंसी में उड़ा दी. पर उस रात मेरे साथ जो कुछ बीता उसका कोई मतलब मैं आज तक ढूंढ़ नहीं सका हूं . रात भर मेरे माथे पर कोई चिकोटी भरता रहा. आंख खोलकर देखता तो कोई नजर न आता, आंख मूंदकर सोने की कोशिश करता तो कोई जोर से मेरे माथे पर चिकोटी काट कर मुझे हड़बड़ाकर आंख खोलने पर मजबूर कर देता. सुबह मैंने शीशे में देखा तो माथे पर तेज नाखूनों के निशान जगह-जगह बने हुए थे. शुक्र है कि वहां हमारी शूटिंग का आखिरी दिन था.