टाइम कैप्सूल, जो कभी इंदिरा ने दफनाई थी और अब मोदी दफनाएंगे
आखिर टाइम कैप्सूल दफनाने का मकसद क्या है?
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1973 में इंदिरा गांधी ने टाइम कैप्सूल रखवाया था (दाएं, फोटो- guruprasad.net). और अब अयोध्या में तैयारी है (फोटो- PTI).
अयोध्या में राम मंदिर का 5 अगस्त को भूमि पूजन होना है. लेकिन इससे पहले मंदिर के गर्भगृह की 2000 फुट गहराई में टाइम कैप्सूल रखा जाएगा. इसमें मंदिर का पूरा इतिहास-भूगोल, सारी जानकारियां दर्ज़ होंगी, जो आने वाले कई साल तक ज़मीन के भीतर सुरक्षित रहेंगी. ताकि भविष्य में जन्मभूमि और राम मंदिर का इतिहास देखा जा सके और कोई विवाद न हो. राम मंदिर की जिम्मेदारी संभाल रहे राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने यह बताया है.
5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अयोध्या पहुंच रहे हैं. ऐसे में मुमकिन है कि टाइम कैप्सूल भी उनके हाथों ही रखवाया जाए.
क्या होता है टाइम कैप्सूल?
एक कंटेनर. ठोस. लोहा-लाट. हर मौसम का सामना करने में सक्षम. टाइम कैप्सूल को जमीन के अंदर काफी गहराई में दफना दिया जाता है. ज़मीन के अंदर ये सड़ता-गलता नहीं है. टाइम कैप्सूल तैयार करने और इसे दफनाने का मकसद होता है किसी समाज, किसी ख़ास वक्त, किसी स्थान के इतिहास को सुरक्षित रखना. यह एक तरह से एक दस्तावेज होता है, जो मौजूदा पीढ़ी आगे आने वाली कई पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखकर जाती है.
भारत में टाइम कैप्सूल
अयोध्या में टाइम कैप्सूल दफन करने की जानकारी सामने आने के बाद प्रफेसर आनंद रंगनाथन ने एक फोटो ट्वीट की. लिखा-
15 अगस्त, 1973 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लालकिले के पास एक टाइम कैप्सूल ज़मीन में दफनाया था. वैक्यूम सील्ड, कॉपर और स्टील मिक्स, जो पांच हज़ार साल तक टिका रह सकता है. लेकिन इसमें क्या जानकारी थी, वो कभी सार्वजनिक नहीं की गई.
उस वक्त की रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि टाइम कैप्सूल में आजादी के बाद के 25 साल के घटनाक्रम को साक्ष्यों के साथ दफन करवाया गया था. हालांकि ये अभी तक सामने नहीं आया है कि उस कैप्सूल में कौन-कौन सी जानकारियां थीं. ख़ैर, अब अयोध्या में 3 अगस्त से अनुष्ठान वगैरह शुरू हो जाएंगे. 5 अगस्त को भूमि पूजन होगा. इसका लाइव टेलीकास्ट भी किए जाने की तैयारी है. हालांकि कामेश्वर चौपाल का बयान आने के एक दिन बाद ही राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ही जनरल सेक्रेटरी चंपत राय ने इसका खंडन कर दिया है. लिहाज़ा टाइम कैप्सूल को लेकर कन्फ्यूज़न की स्थिति भी बनती जा रही है.On August 15, 1973, amid great fanfare, Indira Gandhi buried a vacuum-sealed, copper- and steel-encased time capsule in front of the Red Fort. Set to last 5000 years, its contents have never been made public.
What was in it that was so secretive? pic.twitter.com/Z7gm05cOKR — Anand Ranganathan (@ARanganathan72) July 26, 2020
क्या अयोध्या में राम मंदिर के अलावा भी कुछ बनवाने का प्लान है?

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