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उन्नाव में लड़की की हत्या के सपा कनेक्शन का पूरा सच ये है

उन्नाव में दलित लड़की की लाश के बाद केस में ये एंगल हैरान करता है

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उन्नाव में दलित लड़की की लाश के बाद केस में ये एंगल हैरान करता है(फोटो- इंडिया टुडे)
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11 फ़रवरी 2022 (Updated: 11 फ़रवरी 2022, 19:33 IST)
Updated: 11 फ़रवरी 2022 19:33 IST
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दो महीने से लड़की लापता थी. पुलिस वालों के पास गए तो बोले- लड़की किसी के साथ भाग गई होगी. पुलिस वाले जांच करने की बात कहते रहे, लेकिन बराबर झूठ बोल रहे थे. ये सब बातें उस मां की ज़ख्मी ज़ुबान से आई हैं, जिसकी बेटी 63 दिन बाद मिल तो जाती है. लेकिन धरती के 6 फीट अंदर से. कंबल में लिपटी सड़ती लाश के रूप में. एक मग़रूर मर्द ने बिना कानून के ख़ौफ के, एक लड़की को उठा लिया. कई दिनों तक बंदी बनाकर रखा है. इस दौरान क्या किया, अभी हम नहीं जानते.  और फिर अपनी ज़मीन के एक कोने में गढ्डा खोदकर दबा देता है. और ये क्रूर अपराध हफ़्तों तक मिट्टी के अंदर दफ्न रहता है. यूपी की चौकस, मुस्तैद पुलिस भी कुछ भी जान पाती है. सब कुछ सामने आने में 63 दिन लग जाते हैं. सब इसी देश में हो रहा है. हम उत्तर प्रदेश के उन्नाव की घटना की बात कर रहे हैं. वो घटना जिसमें मुख्य आरोपी एक पूर्व मंत्री का बेटा है. आज इस केस की डिटेल में जाएंगे. नेशनल मीडिया के पास यूपी के उन्नाव से 10 फरवरी को एक खबर आती है. खबर .ये कि आश्रम के पास ज़मीन खोदकर पुलिस ने लड़की की जीर्ण-शीर्ण लाश निकाली है. ज़मीन समाजवादी पार्टी की सरकार में मंत्री रहे दिवंगत नेता फतेह बहादुर सिंह की है. इस नाम से कंफ्यूज़ मत हो जाइएगा. यूपी में फतेह बहादुर सिंह नाम से बीजेपी के नेता भी हैं, वो गोरखपुर से हैं. पूर्व सीएम वीर बहादुर सिंह के बेटे. लेकिन इस मामले में जिस फतेह बहादुर सिंह की बात हो रही है, वो समाजवादी पार्टी की सरकार में मंत्री रहे थे. फतेह बहादुर के दो बेटे हैं - अशोक सिंह और अरुण सिंह ऊर्फ राजोल सिंह. और राजोल सिंह पर ये आरोप है कि लड़की को उसी ने मारकर दबाया है. उसकी गिरफ्तारी भी पिछले महीने ही हो गई थी. तो इस पॉलिटिकल एंगल की वजह से चुनावी रैलियों में भी इस अपराध का ज़िक्र हो रहा है, पक्ष - विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है. तो पूरी बात तभी समझ आएगी. जब मामले को शुरू से समझेंगे. और उससे पहले आपको ये बता देते हैं कि इस मामले में पीड़ित परिवार की पहचान हम जाहिर नहीं करेंगे. मामला शुरू हुआ दिसंबर के दूसरे हफ्ते से. 8 दिसंबर को यूपी के उन्नाव ज़िले की कांशीराम कॉलोनी से एक लड़की रात तक घर नहीं लौटती है. मां-बाप को चिंता होती है. वो रात भर इंतजार करते हैं. अगले दिन कोतवाली थाने के तहत आने वाली कांशीराम कॉलोनी चौकी में शिकायत दर्ज कराने जाते हैं. उन्नाव में आज तक के पत्रकार विशाल ने हमें बताया कि चौकी इंचार्ज प्रेम प्रकाश दीक्षित थे. पुलिस के मुताबिक गुमशुदगी की तहरीर ले ली गई थी. हालांकि FIR दर्ज नहीं हुई. लड़की की मां का पक्ष कुछ अलग है.
हमारी बेटी को राजोल सिंह ने मारकर गाड़ दिया.हम पहले भी यहां प्रेम नारायण दीक्षित को लेकर आए थे. हमें पूरा आश्रम दिखाया गया सिवाए इस कोठी के. और इसी में मेरी बेटी बंद थी.
परिवार के अलावा हम पुलिस के पक्ष पर भी आएंगे, लेकिन पहले आगे की टाइमलाइन समझ लीजिए. 9 दिसंबर को गुमशुदगी की तहरीर दर्ज होती है. परिवार स्थानीय थाने की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं होता है तो 13 दिसंबर को एसपी के यहां गुहार लगाता है. फिर महीने भर कुछ नहीं होता है. पुलिस जांच करने की बात कहती है. 10 जनवरी को कोतवाली थाना में एक FIR दर्ज होती है. इस FIR की कॉपी तो हमें नहीं मिल पाई, लेकिन सूत्रों से जानकारी मिली है कि एसएसटी उत्पीड़न कानून के प्रावधानों के तहत ये केस दर्ज हुआ. क्योंकि लड़की दलित थीं, और उसके परिवार ने आरोप लगाया कि उनके परिवार के खिलाफ पूर्व मंत्री के बेटे राजोल सिंह ने जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया. हम फिर बता दे रहे हैं इस FIR की कॉपी हमें नहीं मिली है, इसलिए बिना आरोपों की पुष्टि नहीं कर रहे हैं. खैर आगे बढ़ते हैं. 24 जनवरी को लखनऊ से एक खबर आती है. खबर कि एक महिला ने अखिलेश के काफिले के सामने आत्मदाह की कोशिश की. ये महिला उसी लड़की की मां थी, जो उन्नाव से गुमशुदा थी. अब यहां ये समझने में थोड़ी मुश्किल हमें भी हो रही है, शायद आपको भी होगी कि पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही थी, तो महिला अखिलेश यादव, जो कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष हैं, विपक्ष में हैं, उनके सामने आत्मदाह क्यों करना चाहती थीं. हमें उलझन इसलिए भी है, क्योंकि पीड़ित लड़की की मां से आज मीडिया ने जब पूछा कि आरोपी राजोल सिंह किस पार्टी के हैं, तो उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता. माने लड़की की मां को आरोपी के राजनीति रूझानों का घोषित तौर पर पता नहीं था. फिर भी वो अखिलेश के काफिले के सामने आत्मदाह की कोशिश करती हैं. खैर, इस तरह की गैर-जरूरी डिटेल में नहीं जाते हैं, और वापस घटनाक्रम पर आगे बढ़ते हैं. आत्मदाह वाली घटना के बाद राजोल सिंह को गिरफ्तार कर लिया जाता है. स्थानीय पत्रकार से जानकारी मिली की असल में ये कार्रवाई यूपी एसटीएफ की थी. स्थानीय पत्रकार से ये भी जानकारी मिली की राजोल सिंह को गिरफ्तारी के बाद जेल भेज दिया जाता है. यानी न्यायिक हिरासत में भेज दिया जाता है. इस पर भी हैरानी हुई. क्योंकि एक लड़ती लापता थी, वो मिल नहीं रही थी और उस घटना के आरोपी को पुलिस गिरफ्तार करती है, तो फिर रिमांड पर लेने के बाद न्यायिक हिरासत में क्यों भेजा गया. आजतक के उन्नाव में पत्रकार विशाल के मुताबिक आरोपी राजोल सिंह की पुलिस 4 फरवरी को रिमांड मांगती है. यानी अब उससे पूछताछ होती है. उसके बाद एक जानकारी ये भी आती है कि राजोल सिंह के एक सहयोगी सूरज को भी पुलिस गिरफ्तार करती है. जानकारी ये आई कि आरोपी सूरज से पूछताछ में ही मालूम चला कि लड़की आश्रम में दफ्न है. और फिर 10 फरवरी को लड़की की लाश आश्रम से खोदकर निकाली जाती है. ये आश्रम क्या है, इस पर थोड़े बाद में आएंगे. पहले अब तक के घटनाक्रम पर पुलिस का वर्ज़न जान लीजिए. शशि शेखर सिंह एएसपी उन्नाव ने मीडिया से बात करते हुए कहा
8 दिसंबर को एक युवती की गुमशुदगी की सूचना थाना कोतवाली में मिली थी. उसके बाद इसकी इसकी जाँच शुरू हुई. जाँच के क्रम में आवाज़ हमें यह डेड बॉडी प्राप्त हुई है.अब हम इसका पोस्टमार्टम कराके आगे की कार्रवाई करेंगे.
अब आश्रम वाली बात पर आते हैं. उन्नाव से करीब 3 किलोमीटर दूर दोस्तीनगर है. वहां दिव्यानंद नाम से आश्रम है. आश्रम के महंत ने बताया कि साल 1999 से आश्रम चल रहा है. आरोपी राजोल के पिता और सपा सरकार में मंत्री रहे फतेह बहादूर सिंह ने आश्रम बनवाया था. आश्रम पर बड़ा सा पोस्टर है. लिखा है - श्री शक्ति पीठ. मां दुर्गा के नवो स्वरूपों का दिव्य दर्शन.'' यहां करीब 25 बीघा की प्रोपर्टी फतेह बहादुर सिंह की है. ये 20 बीघा से कम या ज्यादा हो सकती है, हमने बस एक मोटा मोटा अनुमान बताया है. तो पूर्व मंत्री की मौत के बाद दोनों बेटों ने इस प्रोपर्टी को भी आधा आधा बांट लिया. लेकिन एक हिस्से को लेकर झगड़ा चल रहा है. जहां पर एक तीन मंज़िला इमारत भी बताई जाती है. उसी के पीछे लड़की की लाश मिली है. अब यहां एक बात और गौर करने लायक है. लड़की की मां ने मीडिया को बताया कि वो आश्रम में पहले भी आई थी, ये देखने के लिए कहीं राजोल सिंह ने उसकी लड़की को आश्रम में तो नहीं छिपा रखा है. मतलब पीड़ित परिवार को राजोल सिंह पर शक था. उनको आशंका थी कि लड़की को उसी ने उठाया होगा. और इसीलिए उसके खिलाफ पुलिस से मदद की मांग भी लड़की के परिवार ने कही. तो जब हम ये खबर तैयार कर रहे थे, तो हमारे दिमाग में भी ये बात आई कि लड़की की मां को राजोल पर किस आधार पर शक था. क्या लड़की या उसका परिवार आश्रम में पहले भी आया करता था. या फिर कोई वजह थी. इस बारे में सूत्रों के हवाले से एक जानकारी हम तक पहुंची. कि राजोल सिंह मृतक लड़की से फोन पर बात करता था. और जिस दिन लड़की गुमशुदा हुई, उस दिन राजोल सिंह ने लड़की को हरदोई पुल के पास बुलाया था. यानी हरदोई की तरफ रास्ता जाता है, वहां पर एक पुल है उसके पास बुलाया था. ये जानकारी भी हमें सूत्रों के हवाले से मिली है. बाकी पुलिस जांच करेगी तो चीज़ें ज्यादा साफ हो पाएंगे. तो सूत्रों वाली जानकारी से मुताबिक राजोल सिंह ने कथित रूप से 8 दिसंबर को पुल के पास से लड़की को उठा लिया. फिर कथित रूप से बंदी बनाकर रखा. सूत्रों ने ये भी बताया कि लड़की को राजोल सिंह पहले आश्रम नहीं लेकर गया था. कथित रूप से कहीं और लेकर गया था. सूत्रों के मुताबिक अगवा करने के 4-5 दिन बाद ही लड़की की हत्या करके आश्रम के पास दबा दिया गया था. हांलाकि इसकी पुष्टि पोस्ट मार्टम रिपोर्ट आने पर ही होगी. पोस्ट रिपोर्ट का ज़िक्र आया है तो शुरूआती रिपोर्ट में क्या आया है, वो भी जान लीजिए. - PM रिपोर्ट में मृतक लड़की की गर्दन की हड्डी टूटी पाई गई है.  मृतका के सिर में दो चोट के निशान हैं. यानी मारपीट के बाद हत्या के संकेत मिलते हैं. रेप हुआ था कि नहीं, इसकी जांच के लिए सेंपल जांच के लिए भेजे गए हैं. इसकी अभी कोई जानकारी हमारे पास नहीं है. अब इस मामले में कथित रूप से एक पुलिस वाले की भी एंट्री होती है. लखनऊ में तैनात एक सिपाही का भी कनेक्शन सामने आ रहा है. सूत्रों के मुताबिक कॉल डिटेल रिकॉर्ड से मालूम चला है कि लखनऊ के आलमबाग थाने में तैनात सिपाही लड़की से बात कर रहा था, घटना वाले दिन. और लड़की की गुमशुदगी की तहरीर के बाद कथित रूप से उन्नाव के सीओ ने सिपाही को बयान लेने के लिए बुलाया था. ये सिपाही अभी विधानसभा की ड्यूटी में तैनात है. तो लड़की की मौत में सिपाही का क्या रोल है? कोई रोल है भी या नहीं. ये तो पुलिस की जांच के बाद ही मालूम चलेगा. लेकिन हमें अपुष्ट जानकारी मिली कि राजोल सिंह इस बात से नाराज़ था कि लड़की किसी और से बात कर रही है. इसलिए उसने लड़की को सबक सिखानी की ठानी. ये सब सूत्रों से मिली जानकारी है. कॉन्स्टेबल के अलावा भी मृतका के परिवार की नाराज़गी पुलिस वालों से है. लापरवाही का आरोप लगाया है अब इस मामले के राजनीतिक पहलू पर आते हैं. आरोपी राजोल सिंह सपा सरकार में मंत्री का दर्जा प्राप्त नेता का बेटा है, इसलिए लाजिमी है कि समाजवादी पार्टी और उसके मुखिया अखिलेश यादव पर सवाल उठेंगे. उठाए भी जा रहे हैं. अब आरोपों पर अखिलेश यादव की क्या सफाई है,  उन्होंने कहा
इस केस का समाजवादी पार्टी से कोई लेना देना नहीं है. जिनके बेटे पर आरोप उसका समाजवादी पार्टी से रिश्ता नहीं है. उसपर कठोर एक्शन होना चाहिए.
अखिलेश यादव कह रहे हैं कि आरोपी के पिता समाजवादी पार्टी में थे, उनके लड़कों का सपा से कोई लेना देना नहीं है. अब उनका लेना देना है या नहीं, ये साबित करने का बर्डन ऑफ प्रुफ तो हमारे ऊपर है नहीं. या तो आरोप लगाने वाले सबूत पेश करें या खुद को बेगुनाह बताने वाले पेश करें. जो अपडेट उधर से आएगा, हम आपके सामने पेश कर ही देंगे. वैसे हमें स्थानीय पत्रकार से ये जानकारी मिली है कि राजोल सिंह ज्यादा कुछ करता नहीं है, पुश्तैनी प्रोपर्टी के किराए से कथित रूप से अय्याशी करता था.

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