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तारीख: इजरायल के बदले की कहानी, जब दुश्मनों को फूल भेजकर मारा गया!

1980 और 90 के दशक में फिलिस्तीन समर्थक चरमपंथी गुटों के घर एक गुलदस्ता आता और इसके कुछ दिनों बाद उस परिवार के किसी शख्स की हत्या हो जाती. ये तरीका था इजरायल की ख़ुफ़िया एजेंसी मोसाद का.
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1980 और 90 के दशक में फिलिस्तीन समर्थक चरमपंथी गुटों के घर कई बार एक गुलदस्ता आता था. साथ में होता था एक नोट. जिस पर लिखा रहता, हम न भूलते हैं, न माफ़ करते हैं. इसके कुछ दिनों बाद उस परिवार के किसी शख्स की हत्या हो जाती. ये तरीका मोसाद का था, इजरायल की ख़ुफ़िया एजेंसी. इस दौर में इजरायल के गुनाहगार पाताल में भी छुप जाते, तो शायद मोसाद उन्हें ढूंढ लाती. लेकिन आखिर ऐसा हुआ क्या था कि मोसाद किसी को माफी देने को तैयार नहीं थी? इसी सवाल से जुड़ी है हमारी आज की कहानी. कहानी
 


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