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जब औरंगज़ेब से एक समुद्री डाकू ने 900 करोड़ लूट लिए!

1695 में एक हेनरी एवरी में मक्का सा सूरत लौट रहे मुग़ल बेड़े पर हमला कर उसे लूट लिया था.

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हेनरी एवरी ने ब्रिटिश शिप पर हमला कर उसे लूटा और कभी हाथ नहीं आया (तस्वीर: Wikimedia Commons)
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11 अगस्त 2022 (Updated: 9 अगस्त 2022, 16:14 IST)
Updated: 9 अगस्त 2022 16:14 IST
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बात 11 मार्च 2021 की है. गुरूवार का दिन. अमेरिका के रोड आइलैंड शहर में जिम बेली एक मेटल डिटेक्टर पकड़े जमीन की सतह पर फहरा रहे थे. पिछली बार इसी जगह पर जिम को 18 वीं सदी के कुछ जूते के बकल मिले थे. इस बार भी डिटेक्टर खनका और कुछ सिक्के मिले. इनमें अरेबिक भाषा में लिखा हुआ था. रिसर्च के बाद पता चला इन सिक्कों को साल 1693 में यमन में ढाला गया था. सवाल उठा कि ये सिक्के अमेरिका तक पहुंचे कैसे? क्योंकि ब्रिटिशर्स ने जब अमेरिका में बसावट शुरू की, तो उनके और मिडिल ईस्ट के बीच ट्रेड के कोई सबूत नहीं थे. ये ट्रेड इसके काफी बाद में शुरू हुआ था. जिम ने थोड़ी और रिसर्च से पता लगाने की कोशिश की तो सामने आई एक एक हैरतअंगेज़ कहानी.

कहानी एक समुद्री लुटेरे की. जिसने मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब के खजाने से 900 करोड़ (आज के हिसाब से) लूटे और हवा में गायब हो गया. इस लूट को इतिहास की सबसे बड़ी समुद्री लूट माना जाता है. इस लूट से औरंगज़ेब इतने आगबबूला हुए कि उन्होंने सीधे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की गर्दन पकड़ी. लुटेरे के सर पर करोड़ों का इनाम रखा गया. लन्दन से लेकर अमेरिका तक लुटेरे को खोजने की कोशिश हुई. इतिहास में पहली बार हो रहा था कि इतने बड़े पैमाने पर किसी की खोज की जा रही थी. इसके बावजूद लुटेरा कभी हाथ नहीं आया. 2021 में जब इस लूट के सिक्के अमेरिका में मिले तो कहानी का एक और पहलू सामने आया. पता चला कि मुग़ल खजाने को लॉन्डर करने के लिए अश्वेत गुलामों के कारोबार का सहारा लिया गया था. कौन था ये लुटेरा और कैसे मुग़ल खजाने की लूट को अंजाम दिया गया? आइये जानते हैं.

लुटेरों का सरताज 

कहानी की शुरुआत होती है 1659 में. इंग्लैंड के प्लेमथ शहर से. यहां पैदाइश हुई हेनरी एवरी की. एवरी बड़ा हुआ तो उसने ब्रिटिश रॉयल नेवी में नौकरी कर ली. यहां से फारिग होने के बाद हेनरी गुलामों के व्यापार में घुस गया.

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चार्ल्स एल्म्स द्वारा द पाइरेट्स ओन बुक में दर्शाया गया, हेनरी हर अपने जहाज, फैंसी पर खजाने के तीन चेस्ट प्राप्त करते हुए (तस्वीर: Wikimedia Commons)

साल 1693 में उसे नौकरी का एक और ऑफर मिला. लन्दन का एक रईस हुआ करता था जेम्स हबलिन. हबलिन ने अपनी एक फ्लीट बनाई और स्पेन के राजा से व्यापार का लाइसेंस हासिल कर लिया. इस फ्लीट को वेस्टइंडीज जाना था. लेकिन स्पेन पहुंचते ही हबलिन की फ्लीट को रोक दिया गया. यहां आगे के सफर के लिए दस्तावेज़ बनने थे. लेकिन इस काम में महीनों लग गए. इस बीच फ्लीट में काम करने वाले लोगों को न तनख्वाह मिली न ढंग का खाना-पीना.

शिप पर काम करने वालों में गुस्सा बढ़ता जा रहा था. हेनरी ने इस गुस्से का फायदा उठाया. उसने कुछ लोगों को अपने साथ मिलाया और बगावत कर दी. 7 मई 1694 को हेनरी ने एक जहाज पर कब्ज़ा किया और रात के अंधेरे में समंदर में गायब हो गया. उसके साथ शिप पर 85 लोग थे. उसने इन लोगों से वादा किया कि अगर वो उसका साथ दें तो वो भारत पहुंचकर ईस्ट इंडिया कंपनी के जहाजों को लूटेंगे और खूब पैसा बनाएंगे. हेनरी को शिप का कप्तान बना दिया गया. उसने अपने शिप का नया नाम रखा, ‘द फैंसी’. 

फैंसी नाम का ये जहाज अफ्रीका के कोस्ट से होते हुए हिन्द महासागर में पहुंचा. रास्ते में इन्होने कई व्यापारी जहाजों को लूटा. और कई लोगों को शिप पर भर्ती भी कर लिया. जहाज में काम करने वालों की संख्या अब 184 हो चुकी थी. लेकिन हेनरी को और लोगों की जरुरत थी. 1695 आते आते उसने 5 और पाइरेट जहाजों को अपने साथ शामिल कर लिया. अब उसके पास 440 आदमी और 6 जहाजों की एक फ्लीट थी.'

80 तोपों वाला गंज-ए-सवाई

यमन के पास लाल सागर में पेरिम नाम का एक द्वीप पड़ता है. हेनरी ने इस द्वीप को अपना ठिकाना बनाया. ये जगह एक खास मकसद से चुनी गई थी. क्योंकि ये रास्ता था सूरत से मक्का का. हर साल एक खास वक्त पर मुग़ल जहाजों का एक बेड़ा इस रास्ते से गुजरता था. 25 जहाजों के इस बेड़े में मक्का तक हज पर जाने वाले लोग हुआ करते थे. साथ ही सूरत से सामान भी भेजा जाता था ताकि मिडिल ईस्ट में बेचा जा सके.

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गंज-ए-सवाई. (तस्वीर Wikimedia Commons)

इस बेड़े का सबसे बड़ा जहाज था गंज-ए-सवाई. 1600 टन के इस जहाज पर 80 तोपें लगी हुई थीं और 600 से ज्यादा लोग इस पर काम करते थे. एक ट्रिविया ये भी इस जहाज को अकबर की बेगम मरियम उज़ जमानी ने बनवाया था. मुग़ल फ्लीट में गंज-ए-सवाई के पीछे रहता था फ़तेह मुहम्मद. 600 टन का एक जहाज, जो खास गंज-ए सवाई की हिफाजत के लिए पीछे-पीछे चलता था.

हेनरी ऐवरी का पाइरेट बेड़ा पेरिम में इन जहाजों का इंतज़ार कर रहे थे. हेनरी चाहता था कि वापस लौटते हुए जहाजों को लूटा जाए. क्योंकि लौटते हुए ये जहाज सामान बेचकर आते थे. और उनमें सोने के सिक्के भरे होते थे. एक रात मुग़ल बेड़ा पेरिम से गुजरा लेकिन रात के अंधेरे में लुटेरे उसे देख नहीं पाए. जैसे ही सुबह इस बात का पता चला, ये लोग मुग़ल बड़े के पीछे लग गए.

हेनरी के पाइरेट बेड़े में 6 जहाज थे. 
-द फैंसी, जिसका कप्तान खुद हेनरी था. 
-डॉलफिन, जिसके कप्तान का नाम था रिचर्ड वांट. 
-पोर्टस्मिथ एडवेंचर जहाज का कप्तान था जोसफ फेरो. 
-चौथा जहाज था एमिटी, जिसका कप्तान एक मशहूर समुद्री डाकू थॉमस ट्यू था.
-पांचवा जहाज था पर्ल, जिसके कप्तान का नाम विलियम मेज़.
-छठा और आख़िरी जहाज था सुजैना और इसका कप्तान था थॉमस वेक.

ये 6 जहाज मुग़ल बेड़े के पीछे हो लिए. डॉल्फिन की रफ़्तार कम थी, इसलिए उसे जलाकर उसके लोग एवरी के जहाज पर चढ़ गए. सबसे आगे था एमिटी. जो तीन दिन बाद फ़तेह मुहम्मद के नजदीक पहुंचा और दोनों में लड़ाई शुरू हुई. फ़तेह मुहम्मद की फायर पावर ज्यादा थी, इसलिए एमिटी उसके सामने टिक न सका. उसका कप्तान थॉमस ट्यू मारा गया और बाकी लोग बंदी बना लिए गए.

900 करोड़ की लूट 

एमिटी के बाद पोर्टस्मिथ एडवेंचर और पर्ल ने फ़तेह मुहम्मद पर हमला किया. फ़तेह मुहम्मद पर सवार लोग लड़ते-लड़ते थक चुके थे. इसलिए उन्होंने बिना कोई हमला किए हथियार डाल दिए. एवरी ने अपने लोगों को छुड़ाया और फ़तेह मुहम्मद को लूट लिया. इस हमले में लुटेरों के हाथ करोड़ों की दौलत लगी. लेकिन हेनरी इससे संतुष्ट न हुआ.

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20वीं सदी की एक पेंटिंग जिसमें सम्राट औरंगजेब की पोती के साथ कैप्टन एवरी की मुठभेड़ को दर्शाया गया है (तस्वीर: Wikimedia Commons)

उसने गंज-ए-सवाई का पीछा किया. दोनों जहाजों की मुलाकात हुई, जब गंज-ए-सवाई सूरत से 8 दिन की दूरी पर था. पीछे-पीछे पर्ल और पोर्टस्मिथ एडवेंचर भी आए. हमला शुरू हुआ. गंज-ए-सवाई में 80 तोपें थीं लेकिन उस दिन किस्मत हेनरी पर मेहरबान थी. पहले ही हमले में गंज-ए-सवाई की एक तोप में धमाका हो गया और शिप पर आग लग गई. गंज-ए-सवाई के 40 तोपची मारे गए. इससे मची भगदड़ का फायदा उठाकर लुटेरे शिप पर चढ़ गए. तीन घंटे चली लड़ाई के बाद एवरी ने शिप पर कब्ज़ा कर लिया.

मुग़ल इतिहासकार मुहम्मद हासिम कफी खान इस घटना का ब्यौरा लिखते हुए बताते हैं,

“जैसे ही एवरी के आदमी शिप पर चढ़े, कप्तान मुहम्मद इब्राहिम शिप छोड़कर नीचे चला गया और छुप गया. उसने गुलाम लड़कियों को अपने बदले लड़ने के लिए भेजा. मुहम्मद हासिम के अनुसार अगर कप्तान ने जरा भी हिम्मत दिखाई होती तो उन्हें हार का मुंह नहीं देखना पड़ता.”

बहरहाल शिप पर कब्ज़ा होते ही एवरी के लोगों ने सोने की खोज शुरू कर दी. शिप पर मौजूद लोगों को टॉर्चर किया गया. शिप पर हज पर जाने वाली कई औरतें भी थीं. कई दिनों तक उनके साथ रेप किया गया. कई औरतों ने अपनी इज्जत बचाने के लिए समंदर में छलांग लगा दी. जो बच गई उन्हें लुटेरे अपने साथ ले गए. और साथ ही ले गए मुग़ल खजाना. जिसकी कीमत आज के हिसाब से 900 करोड़ के आसपास थी. कई जगह जिक्र आता है कि इस शिप पर औरंगज़ेब की एक रिश्तेदार भी थी. उसके साथ भी बदसुलूकी की गई. जहाज को लूटने के बाद उसे भारत के लिए रवाना कर दिया गया. इसके बाद एवरी और बाकियों ने लूट को आपस में बांटा और अपने-अपने रास्ते हो लिए.

ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी पर औरंगज़ेब का कहर 

इधर जहाज सूरत पहुंचा. खबर औरंगज़ेब तक पहुंची तो वो आगबबूला हो गए. खासकर हज कर लौट रहे लोगों के साथ हुई हरकत ने उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंचा दिया था. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को तब सूरत सहित कुछ पोर्ट्स पर व्यापार की परमिशन मिली थी. उन्होंने तुरंत कंपनी की चार फैक्ट्रियों पर ताला लगवा दिया. और फौज को आदेश दिया कि बॉम्बे पोर्ट पर हमला कर अंग्रेज़ों को हमेशा-हमेशा के लिए भारत से खदेड़ दिया जाए. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी का इस लूट में सीधा हाथ नहीं था. लेकिन मुग़ल अधिकारी मानते थे कि कंपनी के बेईमान अधिकारियों ने उनके शिप्स की जानकारी लुटेरों तक पहुंचाई है.

अमेरिका में मिले कॉइन (तस्वीर: AFP)

इधर ईस्ट इंडिया कम्पनी की हालत वैसे ही खस्ता चल रही थी. कंपनी का रेवेन्यू लगातार ड्राप हो रहा था. उन्होंने डर के मारे औरंगज़ेब को खुश करने के लिए वादा किया किया कि वो पूरे नुकसान की भरपाई करेंगे. बात इंग्लैंड तक पहुंची. ब्रटिश सरकार ने एवरी और उसके साथियों पर आज के हिसाब से 2 करोड़ रूपये का ईनाम रखा. यूरोप का हर बाउंटी हंटर अब हेनरी एवरी और उसके साथियों की तलाश में था.

1696 में ब्रिटिश सरकार को पता चला कि एवरी अटलांटिक में छिपा है. उसके 30 साथियों को पकड़ लिया गया. और आज ही के दिन यानी 11 अगस्त 1696 को 5 लोगों को इस मामले में फांसी दी गयी. लेकिन एवरी का कुछ पता नहीं चला. 1709 में एवरी का एक संस्मरण छपा. इसके अनुसार एवरी मेडागास्कर में एक पाइरेट किंगडम का राजा बना हुआ था. ऐसी कहानियां पब्लिक में खूब चली लेकिन कभी प्रमाण नहीं मिला. आने वाले सालों में कई लोगों ने दावा किया कि एवरी भेष बदलकर ब्रिटेन लौटा और मरने दम तक वहीं रहा. कुछ ने कहा कि वो मुफलिसी की मौत मारा था.

मुग़ल खजाना अमेरिका कैसे पहुंचा? 

एवरी ने जो खजाना लूटा था उस कुछ सिक्के अमेरिका तक पहुंचे. इस बात का पता चला जब 2014 से 2021 के बीच अमेरिका के तीन शहरों में ये सिक्के मिले. रिसर्च में सामने आया कि एवरी ने लूट के बाद अपने जहाज को छोड़ दिया था. और वो बाद में सी फ्लावर नाम के एक जहाज में चढ़ गया था. 1696 में ये जहाज अश्वेत गुलामों को लेकर अमेरिका के रोड आइलैंड पहुंचा. और आगे जाकर ये इलाका गुलामों के व्यापार का एक मेजर हब बन गया. रिसर्च में ये बात भी सामने आई कि अमेरिकी कॉलोनियां समुद्री लुटेरों का बेस थीं. और लुटे हुए माल को लॉन्डर करने के लिए स्लेव ट्रेड में खपाया जाता था.

बहरहाल एवरी का क्या हुआ इसको लेकर कभी कुछ प्रामाणिक सामने नहीं आया. उसका नाम किंवदंतियों में शुमार हो गया. उसके नाम पर कई गाने लिखे गए. ब्रिटिश नाटककारों ने उसकी कहानी पर नाटक बनाए. लेटेस्ट रिफ्रेंस के लिए एवरी की कहानी ब्रिटिश सीरियल डॉक्टर हू में शामिल की गई थी. और वीडियो गेम के शौक़ीन इस नाम को अनचार्टेड: अ थीफ्स एन्ड से रिलेट कर सकते हैं. एवरी की कहानी ही इस गेम का मुख्य बैकड्रॉप है.

वीडियो देखें-क्या है नॉर्थ सेंटिनल आइलैंड का राज?

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