वो डकैत, जिसने चंदन के जंगलों को अपनी मूंछों में बांध रखा था
आज ही के दिन पैदा हुआ था भारत का सबसे चर्चित अपराधी.
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फोटो - thelallantop
भारत की पुलिस को इस आदमी ने जितना दौड़ाया था, उतना शायद किसी ने नहीं दौड़ाया. 3 राज्यों कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के 6 हजार स्क्वायर किलोमीटर में फैला था उसका राज. इस राज में घुसने से पहले इस आदमी की परमिशन लेनी पड़ती थी. बड़े-बड़े लोग भी सहम जाते थे. एक बड़ा आदमी आया था इस जगह 1997 में. आंख-कान पर पट्टी बांध के. घसीटते हुये लाया गया था. उसका नाम था राजकुमार. कन्नड़ फिल्मों का बहुत बड़ा हीरो. 5 स्टार होटल में रहने वाले को 109 दिन रहना पड़ा था उस एरिया में. और तभी पूरे भारत को पता चला कि ये एरिया किसका था.वीरप्पन का. जिसने राजनीति, पुलिस और जंगल को इतनी कहानियां दी कि जब वीरप्पन के ऊपर फिल्म आई, तो लोगों ने कह दिया कि इसमें वो बात नहीं है. असली कहानी तो छूट ही गई है.

1962 में 10 की उम्र में वीरप्पन ने पहला अपराध किया था. एक तस्कर का कत्ल किया था. उसी वक्त फॉरेस्ट विभाग के तीन अफसरों को भी मारा था. नाम था वीरैय्या. गांव के लोगों के मुताबिक पहले ये भी एकदम गरीब था. साधारण आदमी. फॉरेस्ट विभाग के लोगों ने ही इसे उकसाया था स्मगलिंग के लिये. फिर जब ये पैसा बनाने लगा तो वो इसको मारने के चक्कर में पड़ गये. फिर ये जंगल में भाग गया. नई कहानी शुरू हुई. गांव के लोगों का ये भी कहना था कि लोग वीरप्पन के बारे में सिर्फ स्कैंडल सुनना चाहते हैं. पर ये कोई नहीं जानना चाहता कि एक गरीब आदमी कैसे पुलिस, राजनीति और सरकार के भ्रष्टाचार तंत्र में फंस के वीरप्पन बनता है. और ये कितना तकलीफदेह होता है.1987 में नाम उछला वीरप्पन का. जब उसने चिदंबरम नाम के एक फॉरेस्ट अफसर को किडनैप किया. फिर उसी वक्त एक पुलिस टीम को ही उड़ा दिया, जिसमें 22 लोग मारे गये. 1997 में वीरप्पन ने दो लोगों को किडनैप किया था. सरकारी अफसर समझकर. पर ये दोनों लोग फोटोग्राफर थे. ये लोग उसके साथ 11 दिन रहे. इन्होंने वीरप्पन की अलग ही स्टोरी सुनाई. वीरप्पन हाथियों को लेकर बड़ा इमोशनल था. उसने कहा कि जंगल में जो कुछ होता है, मेरे नाम पर मढ़ दिया जाता है. पर मुझे पता है कि 20-25 गैंग शामिल हैं इस काम में. सारा काम मैं ही नहीं करता. मैंने कब का छोड़ दिया है. हाथियों को तो इंसान ने कितना तंग किया है. वीरप्पन उस समय नेशनल ज्यॉग्रफिक मैगजीन पढ़ रहा था.

184 लोगों को मारा था वीरप्पन ने, जिसमें से 97 लोग पुलिस के थे. हाथियों को मारना इसका पेशा, हॉबी और लोगों से दोस्ती का फर्ज अदा करने का तरीका था. 5 करोड़ का इनाम था इसके सिर पर. ये कहा जाता है कि जब इसको बच्ची पैदा हुई तो इसने उसका गला घोंट दिया. 10 हजार टन चंदन की लकड़ी काट के बेच दी. जिसकी कीमत 2 अरब रुपये थी. वीरप्पन को मारने के लिये जो टास्क फोर्स बनाई गई थी, उस पर 100 करोड़ रुपये खर्च हुए थे.2003 में जब विजय कुमार एसटीएफ के चीफ बने तब वीरप्पन अपनी स्किल खो रहा था. विजय कुमार के लिए वीरप्पन नया नाम नहीं था. 1993 में भी विजय ने उसको पकड़ने के लिए बड़ी मेहनत की थी. पत्तों के चरमराने से जानवर को पहचान लेने वाला वीरप्पन ये नहीं पकड़ पाया कि उसके गैंग में विजय के आदमी घुस गये थे. उस वक्त दुनिया बदल रही थी. अब गैंग वाली लाइफ लोगों को अच्छी नहीं लगती थी. वीरप्पन के गैंग में लोग कम होने लगे थे. विजय कुमार को ये बात पता थी. जिस दिन वो मारा गया, उस दिन वो आंख का इलाज कराने निकला था. जंगल से जब बाहर निकला तो पपीरापट्टी गांव में एक एंबुलेंस ली. पर वो गाड़ी थी पुलिस की, जिसे विजय का एक आदमी चला रहा था. जो वीरप्पन के लोगों से दोस्ती कर चुका था. पुलिस के लोग रास्ते में छिपे थे. एक जगह गाड़ी रोककर ड्राइवर भाग निकला. फायरिंग होने लगी. ड्राइवर के जिंदा बच निकलने का कोई अंदाजा नहीं था. पर निकल गया. वीरप्पन मारा गया. कहते हैं कि उसे जिंदा पकड़ने की कोशिश ही नहीं की गई. क्योंकि वो छूट जाता. पर पुलिस यही कहती है कि हमने वॉर्निंग दी थी, पर उसने गोली चलानी शुरू कर दी.
पर जान पर खेलकर उसके गैंग में शामिल होने वाले पुलिस वाले कमाल के थे. बहादुरी की ऐसी मिसाल मिलनी मुश्किल है. जयललिता ने इस ऑपरेशन में शामिल अपने अफसरों को प्रमोशन दिया और सबको तीन-तीन लाख रुपये दिए गए. विजय कुमार ने इस ऑपरेशन कोकून के बारे में किताब भी लिखी है. नाम है Veerappan: Chasing The Brigand. दस महीने तक चला था ये ऑपरेशन. विजय के आदमी सब्जी वाले, मजदूर, कारीगर बनकर उन गांवों में फैल गये थे, जहां वीरप्पन घूमता था.कहते हैं कि वीरप्पन की बीवी ने उससे शादी इसलिए की कि उसे वीरप्पन की मूंछें और बदनामी रास आ गई थी. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक वीरप्पन की बीवी मुथुलक्ष्मी ने कहा कि वीरप्पन को फंसाया गया था. हाथी और चंदन से वीरप्पन को कोई फायदा नहीं हुआ था. नेताओं ने इसका खूब इस्तेमाल किया. हमने साउथ छोड़कर नॉर्थ जाने का भी प्लान किया था पर वीरप्पन ने कहा कि अगर यहां से बाहर निकले तो लोग मार देंगे. क्या आपको पता है कि मेरे पति को 12 की उम्र में एक कुत्ते की तरह चेन में बांध दिया गया था. किसी ने एक हाथी के दांत निकाल लिये थे और इल्जाम वीरप्पन पर लगाया था. इस टॉर्चर के बाद वीरप्पन हमेशा के लिए बदल गया. एसटीएफ चीफ विजय कुमार ने उनको मारने के लिये दिमाग तो बहुत लगाया था. पर उसके आदमियों के बारे में वीरप्पन को पता था. पर उनको हमने मारा नहीं क्योंकि डर था कि हमारे अपने लोग मार दिए जाएंगे. मेरी दोस्ती हुई थी प्रिया से, जो पुलिस इन्फॉर्मर निकली. मेरे बच्चों को तकलीफ बहुत है. लोग उन्हें चिढ़ाते हैं. पैसे भी नहीं हैं मेरे पास. अगर होते तो मैं आपको फोन करने के लिए क्यों कहती?
रामगोपाल वर्मा ने वीरप्पन पर फिल्म बनाते वक्त कहा था कि उसने रजनीकांत को किडनैप करने का भी प्लान बनाया था. क्योंकि वो अपने को रजनी से ज्यादा फेमस मानता था.इन सारी चीजों से अलग वीरप्पन फेमस था अपनी मूंछों के लिये. उसकी मूंछें थीं 1857 की क्रांति के एक हीरो कट्टाबोमन के जैसी. जब वीरप्पन मरा, तब उसकी ये मूंछें नहीं थीं. कमजोर दिख रहा था. शायद ये बदलते वक्त की मार थी. लाचारी की.
