हमारी पिच्चरों में जो गाना लिखते हैं न. वो चने के खेत से,छत पे सोए हरजाई तक पर गाना लिख डाले हैं. पर कभी-कभी इनकी क्रिएटिविटी ऐसी कुलांच मारती है कि अम्मा कसम आदमी चउआ जाए. कुछ-कुछ गाने सुनने के बाद तो हमको लगता है ये गानय नहीं है. ये तो प्राइमरी स्कूल है जहां आपको जनवरी-फरवरी से लेकर,कुंआर-कार्तिक तक पढ़ाए जा रहे हैं. तीन मिनिट बाद पता लगता है इ तो सोशल साइंस की क्लास चला दिहिस है. बताते हैं ऐसा कौन-कौन गाना है.
1. गूगल वालों से भी पहले इनने बताया था अल्फाबेट का महात्म्य
एबीसीडीईएफजीएचआयजेकेएलएमएन. यहिन गाना गाते हुए ममता और रामकिशन के छौने-बबुए पिकनिक पर जा रहे हैं. गाने के शुरू में लगता है कोई मस्त सफ़र वाला गाना शुरू होगा. लेकिन पता लगता है नहीं. हम तो शिशुशाला में आ गए हैं.
https://www.youtube.com/watch?v=ninsb8n8cRE
2. भाई की केजी की क्लास और बारह महीने का कार्यक्रम
गाना तो सुनो तुम एक बार 'जनवरी में जब आएगी विंटर,ऑन कर लेंगे चाहत का हीटर,फरवरी जितनी छोटी रजाई,जिसमें करे हम छुपम-छुपाई." सलमान भाई कुछ भी कर सकते हैं. भाई नाच रहे हैं. भाई लड़की घुमा रहे हैं. भाई केजी 2 की क्लास ले रहे हैं.
https://www.youtube.com/watch?v=p6D8u6lEDjQ
3. अनिल कपूर का सबसे बड़ा दुःख
विरह का इतना घनघोर वर्णन मालिक की कसम कौनो कवि आज तक न कर पाया होगा .जैसा इस गाने में हुआ है. आप लहालोट हो जाओ . अइसा आह से उपजा गान लिखा है वियोगी होकर. "सत्रह को सोया नहीं रात भर,अठारह को भी तू ना आई नजर.उन्नीस को मैं दीवाना हुआ,बीस को घर से रवाना हुआ." इस विकट फेमस गाने पर डॉक्टर नेने की मैडम को नाचते बहुत देखे होंगे आप. आज सोनम के पापा को देखिए.
https://www.youtube.com/watch?v=sOGWtJt6I0Q
4. हफ्ते भर में प्यार का क्रैशकोर्स
चार बजे मैं सोया था,पांच बजे उठ जागा.साढ़े पांच को लेकर गाड़ी,तुमसे मिलने भागा.जितेंद्र को इस वाले गाने में हफ्ते भर में प्यार हो जाता है. आधे-आधे घंटे का हिसाब देते हैं. गाना शुरू ही हफ्ते के दिनों का नाम बताना शुरू कर देते हैं. जैसेन गाना पूरा होने को होता है आप किलक उठते हैं. बेई तुषार के पापा तो प्राइमरी की क्लास ले लिहिन.
https://www.youtube.com/watch?v=DhAkGcJHnqs
5. सुबह की गाड़ी और साल भर की शिकायत
अल्ताफ राजा का एलबम आया था. एलबम क्या क्रांति समझिए साहब. छह साल का था मैं. स्कूल दो किलोमीटर दूर पड़ता. घर से स्कूल को निकलता और कम से कम दस जगह यही गाना बजते सुनता. साढ़े चौदह मिनट का गाना है. सुनिए और जनवरी-फ़रवरी सीखिए. आप भी कीक मार देंगे जब अल्ताफ राजा डूब के "जुलाई में जो तुमने, की बातचीत कुछ कम थे आसमां पे बादल, और मेरी आँखें पुरनम" गा रहे होंगे.
https://www.youtube.com/watch?v=3uTzfhqdcn8
6. सेंट जेवियर्स वालों के लिए एक गाना
फिल्म 'सिन्दूर' साल 1987. गाना आनंद बक्शी का. संगीत लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल का. एक बात समझिए. ये गाना नहीं है. ये एक प्रयास है उन कॉन्वेंट के लौंडों-लल्लियों को जो जनवरी को जैन और फरवरी को फैब कहते हैं उन्हें हिंदी ऋतुओं के नाम रटवाने का.
https://www.youtube.com/watch?v=8y-7UAWcuwA
7. जब अमिताभ बच्चन फीलने लगे हॉर्नी
बच्चन अमिताभ की पिच्चर थी पुकार. बच्चन जीनत को कन्विंस कर रहे हैं कि वो मायके न जाएं और इस बहाने वो साल भर के सारे महीने गिना डालते हैं कि इन-इन महीनों में उनका का कैसा हाल होता है. वाजिब वजह बताते हैं क्यों जीनत मायके न जाएँ. 'चाँद को क्या मालूम' और 'चांदी की दीवार न तोड़ी' वाले गुलशन बावरा कैसा-कैसा लिख सकते हैं उसकी बानगी देखिए.
मार्च, अप्रैल में बहार कुछ ऐसे झूम के आये.देख के तेरा,देख के तेरा,देख के तेरा गदरा बदन,हाय जी मेरा ललचाये,तू मइके मत जइयो...
https://www.youtube.com/watch?v=DXyiADcSJgw
8. कामकाजी हीरोइन की लाचारी और मल्टीभाषी गाना
कामकाजी लोगों की जिंदगी झंड होती है. वीकेंड तक अपना नहीं होता. ऐसे में कोई एक शाम मांग ले तो क्या रिएक्शन आता है इस गाने में देखिए. इतने पर भी हीरोइन यूं ही नहीं टरकाती. वजह बताती है. एक-एक दिन का हिसाब देती है. वो भी हिंदी-इंग्लिश और उर्दू तीनों भाषाओं में.
https://www.youtube.com/watch?v=qdXJAWxr2H0