The Lallantop
Advertisement

हमने तो सुना था पानी खराब नहीं होता तो पानी की बोतल पर एक्सपायरी डेट क्यों होती है?

हैंडपंप से जो पानी निकलता है वो करोड़ों साल पुराना पानी है. फिर भी इसे लोग पीते हैं, लेकिन प्लास्टिक की बोतल में तो एक्सपायरी डेट लिखी होती है. तो क्या बोतल में भरने पर पानी खराब हो जाता है?

Advertisement
WATER BOTTLE SCIENCE EXPLAIED EXPRY
AI से बनी सांकेतिक तस्वीर.
pic
राजविक्रम
27 फ़रवरी 2024 (Updated: 27 फ़रवरी 2024, 03:02 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

वैज्ञानिकों का मानना है कि हमारी धरती करीब 4.5 बिलियन साल पुरानी है यानी करीब 450 करोड़ साल पुरानी. एक मजेदार बात ये है कि धरती में मौजूद पानी धरती से भी पुराना हो सकता है. दरअसल, जब हमारा सोलर सिस्टम बना था तब भी भाप के तौर पर पानी मौजूद था. जरा सोचिए डायनसोर जो पानी पीते रहे होंगे, वो आज भी मौजूद है. क्यों कि शुद्ध पानी खराब नहीं होता. वो बस भाप से पानी, पानी से बर्फ में बदलता रहता है. ये तो बस हाइड्रोजन (Hydrogen) और ऑक्सीजन (Oxygen) के मौलीक्यूल से बना है. जिनके खराब होने का कोई तुक नहीं बनता. लेकिन कभी एक बात ध्यान दी है कि बोतल बंद पानी (Packaged water) में एक्सपायरी डेट लिखी होती है. आखिर करोड़ों सालों से मौजूद पानी बोतल में भरने के बाद कुछ सालों में एक्सपायर कैसे हो जाता है?

पानी को क्यों खराब नहीं होना चाहिए

पानी को अगर समझने की कोशिश करें तो ये बस दो हाइड्रोजन एटम और एक ऑक्सीजन एटम से मिलकर बना होता है. जिसको ‘H2O’ के तौर पर दर्शाते हैं. ये हमारे सौर्य मंडल (solar system) के बनने के पहले से स्पेस में मौजूद है. तभी आपने अक्सर ध्यान दिया होगा कि इसरो (ISRO), नासा (NASA) वगैरह के मिशन में दूसरे ग्रहों में पानी खोजने की कोशिश भी की जाती है. क्योंकि ये कोई धरती तक सीमित चीज नहीं है. बस एक केमिकल है. जो करोड़ों सालों से मौजूद है. इसलिए इसे खराब नहीं होना चाहिए. क्यों कि सालों बाद भी H2O तो H2O ही रहेगा, बशर्ते उसमें कोई छेड़छाड़ न की जाए.


एक ऑक्सीजन एटम को पकड़े दो हाइड्रोजन

इससे पहले आप को लगे कि पानी के स्ट्रक्चर और केमिस्ट्री का इस सब से क्या लेना देना? तो बता दें कि लेना देना है. पानी एक बहुत अच्छा ‘सालवेंट’ है. यानी इसमें चीजें आसानी से घुल जाती हैं. चाहे वो चीनी जैसी ऑर्गैनिक ( जिनमें कार्बन हो) चीज हो जा फिर नमक जैसी इनऑर्गैनिक (जिनमें कार्बन नहीं होता) चीज हो. सभी पानी में बराबर घुल जाती हैं. पानी की इंन्हीं शक्तियों को देखते हुए शायद हेरा फेरी फिल्म के बाबू भइया ने कहा था.

फिल्म: हेरा फेरी


पानी के साथ एक और अच्छी बात ये है कि शुद्ध पानी में कोई बैक्टीरिया वगैरह नहीं पनपते. क्योंकि इसमें कोई न्यूट्रिएंट्स नहीं होते. बोतल बंद पानी भी कुछ-कुछ ऐसा ही होता है. उसमें न कार्बोहाइड्रेट होते हैं न ही प्रोटीन. फिर भी पानी की बोतल में एक्सपायरी डेट लिखी होती है, समझते हैं.

क्यों होती है पानी की बोतल में एक्सपायरी डेट

दरअसल बोतल बंद पानी में एक्सपायरी डेट पानी के खराब होने की नहीं होती. वो दरअसल प्लास्टिक बोतल की एक्सपायरी डेट होती है. गर्मी और धूप में प्लास्टिक धीरे-धीरे खराब होता रहता है. धूप में माैजूद UV किरणें भी प्लास्टिक को तोड़ सकती हैं. यानी इसके केमिकल को बदल सकती हैं. इससे क्या होता है?

पानी में रिसता है प्लास्टिक?

देखने में तो लगता है कि प्लास्टिक तो कभी घुलता नहीं होगा. प्लास्टिक तो सालों-साल चलता है. ये तो वॉटर प्रूफ चीज है. लेकिन ऐसा भी नहीं है. प्लास्टिक बेहद महीन टुकड़ों में टूटता रहता है, जिसे माइक्रोप्लास्टिक कहते हैं. इसके अलावा सॉफ्ट प्लास्टिक बोतल हजारों तरह के केमिकल पानी में छोड़ सकती हैं. ये केमिकल अपने आप में इंसानों के लिए खतरनाक हो सकते हैं. हमें बीमार भी कर सकते हैं.

इसलिए प्लास्टिक बोतल में भरे पानी के खराब होने के चांस रहते हैं. क्योंकि प्लास्टिक के खतरनाक केमिकल धीरे-धीरे पानी में घुल सकते हैं. साथ ही बोतल वाले पानी में प्लास्टिक जमा होता रह सकता है. तभी बोतल पर एक्सपायरी लिखी जाती है. दूसरे शब्दों में समझें तो बोतल बंद पानी में लिखी एक्सपायरी पानी के लिए नहीं बल्कि प्लास्टिक की बोतल के लिए लिखी जाती है.

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement